प्रश्न 1- फ्रांस की क्रान्ति के कारण एवं प्रभावों की विवेचना कीजिये।

May 27, 2025
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प्रश्न 1- फ्रांस की क्रान्ति के कारण एवं प्रभावों की विवेचना कीजिये।

उत्तर- परिचय

फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) फ्रांस में सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल का एक ऐतिहासिक दौर था, जिसने न केवल फ्रांस बल्कि पूरे विश्व को गहराई से प्रभावित किया। यह क्रांति 14 जुलाई, 1789 को बैस्टिल जेल पर हमले के साथ आरंभ हुई और 1799 में नेपोलियन बोनापार्ट के सत्ता में आने के साथ समाप्त हुई। क्रांति के दौरान स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे आदर्श स्थापित हुए, जो आधुनिक लोकतंत्र के आधारभूत सिद्धांत बने।

क्रांति से पूर्व फ्रांसीसी समाज:

प्राचीन शासन काल में फ्रांस का समाज तीन वर्गों में बँटा था जिन्हें 'एस्टेट्स' कहा जाता था :

  1. प्रथम एस्टेट - पादटी वर्ग
  2. द्वितीय एस्टेट - कुलीन वर्ग
  3. तृतीय एस्टेट - आम जनता।

1. प्रथम एस्टेट: पादरी वर्ग- बिशप, पुजारी और अन्य धार्मिक अधिकारी, जिन्हें करों से छूट और भूमि का स्वामित्व प्राप्त था। उनका धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव मजबूत था।

2. द्वितीय एस्टेट: कुलीन वर्ग - कुलीन और राजपरिवार के सदस्य, जिनके पास भूमि और सामंती अधिकार थे। ये भी करों से मुक्त थे और समाज में शक्तिशाली थे।

3. तृतीय एस्टेट: आम जनता - इसमें व्यापारी, पेशेवर, श्रमिक और किसान शामिल थे। इन्हें करों का भारी बोझ उठाना पड़ता था और वे विशेषाधिकारों से वंचित थे, जिससे असंतोष बढ़ा।

यह कठोर सामाजिक विभाजन, जिसे "पुरानी व्यवस्था" (Ancien Regime) कहा जाता था, ने गहरी असमानताओं को जन्म दिया और इन असमानताओं के कारण समाज में व्यापक असंतोष फैला, जिसने अंततः फ्रांसीसी क्रांति को जन्म दिया।

फ्रांसीसी क्रांति के प्रमुख कारण:

1789 की फ्रांसीसी क्रांति निरंकुश राजशाही, सामाजिक असमानता और प्रबोधन विचारों के विरोध का परिणाम थी, जिसने बर्बोन राजवंश के पतन और गणराज्य की स्थापना की। इस क्रांति को अकार देने वाली कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार थीं :

1. राजनीतिक कारण

(क) बर्बोन राजवंश का निरंकुश शासन: बर्बोन राजवंश के शासक, विशेषकर लुई XVI, ने निरंकुश शासन का पालन किया। जनता की समस्याओं को अनदेखा किया गया और निर्णय केवल राजा और उनके सलाहकारों द्वारा लिए जाते थे। इससे जनता में असंतोष और आक्रोश बढ़ा।

(ख) कानून और न्यायपालिका की समस्याएं: फ्रांस में न्यायपालिका भ्रष्ट और पक्षपाती थी। कानून केवल अमीर वर्ग के हितों की रक्षा के लिए बनाए गए थे, जबकि आम जनता के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार होता था। न्यायिक प्रणाली में सुधार की मांग लंबे समय से हो रही थी।

(ग) दैवीय अधिकार का सिद्धांत : राजा को "दैवीय अधिकार" (Divine Right) के आधार पर शासन करने का अधिकार माना जाता था। यह विचारधारा राजा को जनता के प्रति उत्तरदायी नहीं मानती थी। इससे लोगों में क्रोध और विद्रोह की भावना उत्पन्न हुई।

(घ) आक्रामक नीति और प्रशासन में अराजकता : फ्रांसीसी शासन प्रणाली में अराजकता और अक्षमता स्पष्ट थी। राजा के निर्णय अक्सर असंगत और अव्यवस्थित होते थे। प्रशासन में भ्रष्टाचार और संसाधनों की बर्बादी से जनता की हालत और खराब हो गई।

2. आर्थिक कारण

(क) सामंती अर्थव्यवस्था : फ्रांस की अर्थव्यवस्था सामंती व्यवस्था पर आधारित थी, जिसमें किसान और गरीब वर्ग पर अत्यधिक कर लगाए जाते थे। इन करों से उच्च वर्ग और चर्च को फायदा होता था, जबकि गरीब वर्ग की स्थिति दयनीय बनी रहती थी।

(ख) दुखी व्यापारी: व्यापारियों और मध्यम वर्ग के लोगों को आर्थिक और सामाजिक प्रगति में बाधाओं का सामना करना पड़ता था। कर प्रणाली और गिल्ड प्रणाली के कारण व्यापार और उद्योग प्रभावित हो रहे थे। इन शोषणपूर्ण नीतियों ने आम जनता के साथ-साथ व्यापारी समूह को भी प्रभावित किया।

(ग) फ्रांस की आर्थिक विफलता : फ्रांस पर भारी कर्ज था, जो अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में मदद और शाही विलासिता के कारण बढ़ा। वित्तीय संकट ने देश को दिवालियेपन के कगार पर ला दिया, जिससे जनता का असंतोष और गहरा हो गया।

3. अन्य कारण

(क) अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम की सफलता : अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने फ्रांस की जनता को यह प्रेरणा दी कि संगठित होकर जनता किसी भी निरंकुश शासन को समाप्त कर सकती है। इस संग्राम ने स्वतंत्रता, समानता और जनसत्ता के विचारों को सशक्त किया, जिसने फ्रांसीसी क्रांति को प्रेरणा दी।

(ख) प्रबोधन और बौद्धिक आंदोलन का प्रभाव: 18वीं सदी में प्रबोधन (Enlightenment) विचारधारा ने तर्क, स्वतंत्रता और समानता का प्रचार किया। वॉल्टेयर, रूसो और मोंटेस्क्यू जैसे विचारकों ने पुरानी परंपराओं को चुनौती दी और जनता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उनकी लेखनी ने क्रांति के लिए मानसिक आधार तैयार किया।

(ग) धार्मिक कट्टरतावाद : फ्रांसीसी समाज में धार्मिक कट्टरता ने सामाजिक तनाव को बढ़ाया। चर्च के पास अत्यधिक शक्ति और संसाधन थे, और यह जनता के विचारों और जीवनशैली पर नियंत्रण रखता था। चर्च का दमनकारी रवैया और कर वसूली ने निम्न वर्ग के प्रति अन्याय को बढ़ावा दिया, जिससे असंतोष उत्पन्न हुआ।

फ्रांसीसी क्रांति के प्रमुख प्रभाव:

फ्रांसीसी क्रांति का न केवल फ्रांस में बल्कि पूरे यूरोप में गहरा प्रभाव पड़ा, जो 19वीं और 20वीं शताब्दी के दौरान दुनिया भर में उपनिवेश-विरोधी बुद्धिजीवियों और आंदोलनों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी।

1. सिद्धांतों की विजय: फ्रांसीसी क्रांति ने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के क्रांतिकारी सिद्धांतों को दुनिया भर में फैलाया, जिससे लोकतांत्रिक विचारधाराओं को मजबूती मिली और मानव अधिकारों के संरक्षण का मार्ग प्रशस्त हुआ। यह सिद्धांत अब अधिकांश देशों के संविधान का हिस्सा बने हैं।

2. जीवन और धन की हानि: क्रांति के दौरान हुई हिंसा और संघर्षों में लाखों लोग मारे गए, जिनमें शाही समर्थक, क्रांतिकारी, और आम लोग शामिल थे। इसके साथ ही फ्रांस की आर्थिक स्थिति भी गंभीर रूप से प्रभावित हुई, क्योंकि युद्ध और असंतोष ने भारी वित्तीय संकट उत्पन्न किया।

3.राजशाही का अंतः 1789 में फ्रांसीसी क्रांति ने बर्बोन राजवंश के निरंकुश शासन को समाप्त किया और राजाओं के दैवीय अधिकार को नकारते हुए जनता को अपने शासन का अधिकार दिया, जिससे लोकतांत्रिक आंदोलनों को बढ़ावा मिला।

4. सामंतवाद का अंतः सामंतवाद के तहत उच्च वर्ग ने गरीबों का शोषण किया और विशेषाधिकारों का आनंद लिया, जिसे क्रांति ने समाप्त कर दिया। सामंती वर्ग की संपत्तियाँ जब्त कर ली गईं और भूमि का पुनर्वितरण किया गया, जिससे आम लोगों को लाभ हुआ।

5. मानवाधिकारों की घोषणा: फ्रांसीसी मानवाधिकारों की घोषणा ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और समानता, स्वतंत्रता, और बंधुत्व को स्थापित करने का प्रयास किया। इसके माध्यम से समाज में असमानता और दासता को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए।

6. धार्मिक सुधारः क्रांतिकारियों ने चर्च और धार्मिक संस्थाओं के विशेष अधिकारों को समाप्त कर दिया और उनकी संपत्तियाँ जब्त कर लीं। इसके परिणामस्वरूप, चर्च की शक्ति कमजोर हुई और धर्म को राज्य से अलग करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए।

7. राष्ट्रवाद का उदय: फ्रांसीसी क्रांति ने राष्ट्रीय एकता और पहचान की भावना को बढ़ावा दिया, जिससे जनता ने अपने देश के लिए एकजुट होकर बाहरी खतरों का मुकाबला किया। इसने यूरोप में राष्ट्रवाद के विचार को फैलाया और लोकतांत्रिक आंदोलनों को प्रेरित किया।

8. संसदीय लोकतंत्र का उदय: क्रांति ने संसदीय लोकतंत्र की नींव रखी, जिसमें लोगों के प्रतिनिधि कानून बनाने के अधिकार के साथ-साथ स्वतंत्र न्यायपालिका और मतदान के अधिकार को भी स्थापित किया। इसने फ्रांस में लोकतांत्रिक प्रणाली की शुरुआत की।

9. नेपोलियन का उदय: फ्रांसीसी क्रांति ने नेपोलियन बोनापार्ट को एक प्रमुख सैन्य नेता के रूप में उभारा, जिसने 1799 में सत्ता पर कब्जा किया। उसकी सैन्य रणनीतियों और लोकप्रियता ने उसे फ्रांस का शासक बना दिया, और उसने फ्रांस को यूरोप में एक प्रमुख शक्ति बना दिया।

निष्कर्ष

फ्रांस की क्रांति ने न केवल फ्रांस बल्कि पूरे विश्व को लोकतंत्र, समानता और मानवाधिकारों की दिशा में प्रेरित किया। यह क्रांति आधुनिक राजनीति और समाज के विकास की नींव बनी और इसके आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं।

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