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उत्तर - परिचय
अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था (आईपीई) एक ऐसा अध्ययन है जो राजनीति और अर्थशास्त्र के बीच वैश्विक संबंधों को समझने का प्रयास करता है। यह 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में उभरा। इसका उद्देश्य यह विश्लेषण करना है कि वैश्विक स्तर पर धन, शक्ति, और संसाधन कैसे वितरित होते हैं और उनका स्थिरता, विकास, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर क्या प्रभाव पड़ता है, जो वैश्विक मामलों को आकार देता है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था की परिभाषा
"अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था एक बहुआयामी अध्ययन है जो वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था के बीच परस्पर संबंधों का विश्लेषण करता है, जिसमें राज्यों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और गैर-सरकारी संगठनों की भूमिकाएँ शामिल होती हैं।"
अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था की उत्पत्ति एवं विकास :
वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में होने वाले बदलावों के प्रभाव के कारण,अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था (IPE) की शुरुआत एक स्वतंत्र और महत्वपूर्ण अध्ययन क्षेत्र के रूप में हूई। शुरुआत में इसे (IR) का एक उप-क्षेत्र माना जाता था, लेकिन समय के साथ इसके अध्ययन का दायरा और महत्व दोनों बढ़ते गए।
1. प्रारंभिक विचारधारा और आदान-प्रदान- IPE की उत्पत्ति में एडम स्मिथ और डेविड रिकार्डो के विचारों का बड़ा योगदान है। स्मिथ का "अदृश्य हाथ" और रिकार्डो का "तुलनात्मक लाभ" सिद्धांत ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और संसाधनों के वितरण को समझने में मदद की। उनके विचारों ने व्यापार, निवेश और वैश्विक आर्थिक विकास के लिए एक नींव तैयार की, जिससे बाद में अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था का निर्माण हुआ।
2. युद्ध और कीनेसियन सिद्धांत का प्रभाव- पहले और द्वितीय विश्व युद्धों के बीच, IPE में नए विचार सामने आए। आर्थिक राष्ट्रवाद और संगठित संरक्षणवाद की नीतियों ने व्यापार को बढ़ावा दिया और राष्ट्रीय हितों के लिए सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता को रेखांकित किया। कीनेसियन सिद्धांत ने राजकोषीय नीति, मैक्रोइकॉनोमिक प्रबंधन और सरकारी भागीदारी के महत्व पर बल दिया, जो वैश्विक आर्थिक स्थिरता और पुनर्निर्माण की दिशा में मददगार साबित हुआ।
3. ब्रेटन वुड्स व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का उदय - द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रेटन वुड्स सम्मेलन (1944) ने विश्व बैंक (WB) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसी संस्थाओं की स्थापना की, जिन्होंने वैश्विक आर्थिक सहयोग और स्थिरता को सुनिश्चित किया। इस समय में, रॉबर्ट केओहेन और जोसेफ नाइ के उदार अंतरराष्ट्रीयता के सिद्धांतों ने अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के भीतर सहयोग को बढ़ावा दिया, जिससे व्यापार और वित्तीय प्रणालियाँ व्यवस्थित हुईं और देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिला।
4. नव-मार्क्सवाद और नई विचारधाराएँ - 1970 और 1980 के दशकों में, नव-मार्क्सवाद, निर्भरता सिद्धांत और विश्व-प्रणाली विश्लेषण जैसे सिद्धांत उभरे, जिन्होंने IPE के पारंपरिक दृष्टिकोण को चुनौती दी। सुज़ेन स्ट्रेंज और रॉबर्ट कॉक्स जैसे विद्वानों ने शक्ति के रिश्तों और असमानताओं पर ध्यान केंद्रित किया और वैश्विक राजनीतिक अर्थव्यवस्था में मौजूद विरोधाभासों की गहरी समझ प्रस्तुत की।
5. IPE का वर्तमान और भविष्य - आज के समय में, IPE का अध्ययन पारंपरिक आर्थिक सिद्धांतों से लेकर वैश्विक असमानताओं, पर्यावरणीय बदलावों और वैश्विक आर्थिक शक्तियों के बीच संघर्षों तक कई विषयों को समेटे हुए है। IPE का क्षेत्र निरंतर विकसित हो रहा है और वैश्विक मामलों को समझने के लिए
महत्वपूर्ण विचार और दृष्टिकोण प्रदान करता है।
अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था का महत्व:
1. वैश्वीकरण - 20वीं सदी के अंत में वैश्वीकरण के साथ व्यापार, वित्तीय प्रवाह, और सूचना का आदान-प्रदान तेजी से बढ़ा, जिसके कारण राष्ट्रीय सीमाएँ "अर्थव्यवस्था और राजनीति" में महत्वपूर्ण नहीं रही।इससे विभिन्न देशों के बीच आर्थिक रिश्तों का विस्तार हुआ, और IPE की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई।
2. अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संस्थाओं का बढ़ता प्रभाव - IPE ने वैश्विक आर्थिक संस्थाओं जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, WTO और GATT (General Agreement on Tariffs and Trade) के प्रभाव को समझने में मदद की। इन संस्थाओं ने न केवल व्यापार और निवेश को प्रभावित किया, बल्कि वैश्विक विकास, ऋण, और आर्थिक संकटों के समाधान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
3. अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक संकट - वैश्विक वित्तीय संकट जैसे: 2008 का संकट, तेल संकट, और अन्य आर्थिक संकटों ने IPE के अध्ययन की आवश्यकता को और बढ़ाया। IPE ने यह समझनेमें मदद की कि कैसे आर्थिक संकट वैश्विक राजनीति और सत्ता संरचनाओं को प्रभावित करते हैं, औरकैसे देशों के बीच मतभेद और सहयोग इन संकटों का सामना करने में भूमिका निभाते हैं।
4. महामारी और वैश्विक राजनीति-आर्थिक प्रभाव- कोविड-19 महामारी ने दिखाया कि वैश्विक संकटों का असर केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका राजनीति और अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसे, लॉकडाउन से वैश्विक व्यापार बाधित हुआ, लेकिन आर्थिक प्रोत्साहन योजनाओं ने देशों की स्थिरता बनाए रखी, और वैक्सीन वितरण में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत साफ हुई। यह दर्शाता है कि IPE का अध्ययन वैश्विक संकटों से निपटने के लिए कितना जरूरी है।
5. भविष्य की वैश्विक स्थिरता और सहयोग - IPE का अध्ययन वैश्विक स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देने में मदद करता है। यह व्यापार विवाद, आर्थिक संकट, और पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए राजनीति और अर्थव्यवस्था के संबंधों को समझने पर जोर देता है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग और संस्थाएँ इन जटिल मुद्दों को प्रबंधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
निष्कर्ष
अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था का अध्ययन वैश्विक घटनाओं को समझने और उनके समाधान खोजने में मदद करता है। यह राजनीति और अर्थव्यवस्था के बीच के जटिल संबंधों को उजागर करता है, जिससे नीति निर्माता, शिक्षाविद् और आम नागरिक एक दूसरे पर निर्भर इस दुनिया में बेहतर निर्णय ले सकते हैं। IPE वैश्विक स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि की दिशा में एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक है।
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