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उत्तर - परिचय
राजनीति विज्ञान केवल विचारों और सिद्धांतों का अध्ययन नहीं है, बल्कि यह एक व्यवस्थित ज्ञान है जो हमें बताता है कि राजनीतिक घटनाएँ, नीतियाँ और सत्ता संरचनाएँ कैसे काम करती हैं। इन बातों को गहराई से समझने और प्रमाणों के साथ जानने के लिए शोध विधियों (Research Methods) का प्रयोग किया जाता है। ये विधियाँ अवलोकन, डेटा संग्रह, और विश्लेषण के लिए एक व्यवस्थित ढांचा प्रदान करती हैं, ताकि निष्कर्ष विश्वसनीय और सत्यापन योग्य हों।
शोध का अर्थ – शोध शब्द संस्कृत के“षध” धातु से बना है, जिसका अर्थ है – “सत्य की खोज।” यह एक ऐसा व्यवस्थित प्रयास है जिससे हम किसी विषय या समस्या की गहराई से जाँच करके नए निष्कर्ष प्राप्त करते हैं, जो समाज और विज्ञान दोनों के विकास में सहायक होते हैं।"
शोध पर प्रमुख विचारकों के विचार :
जॉन डब्ल्यू. बेस्ट - ने अपनी पुस्तक, ‘रिसर्च इन एजुकेशन(1986) ’ में कहा "शोध एक ऐसी जाँच है जिसमें वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करके समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जाता है।"
क्लिफोर्ड वुड्स के अनुसार - "शोध एक ऐसी व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसमें समस्या की पहचान करके, तथ्यों को इकट्ठा करके और उनका विश्लेषण करके सटीक समाधान निकाला जाता है।"
शोध विधियों के अध्ययन की आवश्यकता / महत्व :
1. वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास - शोध विधियाँ हमें सोचने और समझने का एक वैज्ञानिक तरीका देती हैं। इससे हम किसी बात को अनुमान या भावनाओं के आधार पर नहीं, बल्कि प्रमाण और तर्क के साथ समझ पाते हैं। इससे राजनीतिक जानकारी ज्यादा सही और भरोसेमंद बनती है।
2. जटिल राजनीतिक घटनाओं का विश्लेषण - राजनीति में कई घटनाएँ बहुत जटिल होती हैं, जैसे चुनाव, कानून, सरकार की नीतियाँ, अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि। शोध विधियाँ इन घटनाओं को समझने के लिए एक व्यवस्थित तरीका देती हैं। इससे हम कारण, परिणाम और संबंध को साफ़-साफ़ समझ पाते हैं।
3. डेटा संग्रह और व्याख्या में दक्षता - शोध विधियाँ हमें यह सिखाती हैं कि सही तरीके से जानकारी (डेटा) कैसे जुटाएँ और उसका अर्थ कैसे निकालें। जैसे: सर्वे कैसे करें, लोगों से कैसे सवाल पूछें, और आँकड़ों का विश्लेषण कैसे करें। इससे हम जो जानकारी प्राप्त करते हैं, वह सटीक और उपयोगी होती है।
4. नैतिकता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करना - शोध करते समय कई बातें ध्यान रखनी होती हैं, जैसे: लोगों की जानकारी को गोपनीय रखना, झूठे आँकड़े न देना और निष्पक्ष रहना। शोध विधियाँ हमें इन नैतिक नियमों को समझने और पालन करने में मदद करती हैं, जिससे हमारा काम विश्वसनीय बनता है।
5. वैश्विक और स्थानीय संदर्भ को जोड़ना - शोध विधियाँ हमें यह समझने में मदद करती हैं कि हमारे देश की समस्याएँ और नीतियाँ दुनिया की बड़ी घटनाओं से कैसे जुड़ी हैं। इससे हम किसी मुद्दे को सिर्फ अपने नजरिए से नहीं, बल्कि वैश्विक नजरिए से भी देख पाते हैं। इससे राजनीतिक शोध केवल क्षेत्रीय स्तर तक सीमित न रहकर अंतरराष्ट्रीय महत्व प्राप्त करता है, जिससे तुलना, सीख, और सहयोग की संभावनाएँ बढ़ती हैं।
प्रमुख शोध विधियाँ
1. मात्रात्मक शोध विधियाँ -
यह विधियाँ संख्याओं और आँकड़ों पर आधारित होती हैं। इसमें हम सर्वे, जनगणना, या चुनाव जैसे डेटा को इकट्ठा करके उसका विश्लेषण करते हैं। इससे हमें यह पता चलता है कि कितने लोग क्या सोचते हैं, कौन-सी बात ज्यादा आम है और समय के साथ क्या बदलाव आ रहे हैं। यह विधि राजनीतिक फैसलों और नीतियों को वैज्ञानिक रूप से समझने में मदद करती है।
2. गुणात्मक शोध विधियाँ –
इस विधि में चीजों को गहराई से समझा जाता है: जैसे लोगों की सोच, अनुभव, भावनाएँ, और सामाजिक माहौल। इसमें इंटरव्यू, बातचीत, और केस स्टडी का इस्तेमाल होता है। यह विधि तब काम आती है जब हमें किसी आंदोलन, विरोध, या राजनीतिक सोच के पीछे के कारण जानने हों। इससे राजनीतिक ज्ञान अधिक मानवीय और संवेदनशील बनता है।
3. तुलनात्मक शोध विधि –
इसमें दो या अधिक देशों, राज्यों की राजनीतिक व्यवस्थाओं, कानूनों या नीतियों की तुलना की जाती है। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि किस जगह क्या बेहतर काम कर रहा है और क्यों। यह विधि नीति-निर्माण और राजनीतिक सुधारों के लिए उपयोगी होती है।
4. ऐतिहासिक शोध विधि –
इस विधि में बीती घटनाओं और नीतियों का अध्ययन किया जाता है। इसका उद्देश्य यह जानना होता है कि आज की राजनीति में जो हो रहा है, उसकी जड़ें कहाँ हैं। यह विधि यह समझने में मदद करती है कि वर्तमान निर्णय कैसे पुराने अनुभवों या घटनाओं से जुड़े हैं।
निष्कर्ष :
राजनीति विज्ञान में शोध विधियाँ इस विषय को केवल सिद्धांतों तक सीमित नहीं रखतीं, बल्कि अध्ययन को वैज्ञानिक, व्यवस्थित और व्यावहारिक बनाकर राजनीतिक घटनाओं, नीतियों और सामाजिक संरचनाओं को गहराई से समझने, विश्लेषण करने और उनके समाधान खोजने में मदद करती हैं, जिससे न केवल ज्ञान का विकास होता है बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था, नीति-निर्माण और समाज सुधार में भी सक्रिय योगदान संभव हो पाता है।
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