प्रश्न 1- राजनीतिक सिद्धांत क्या है? इसकी प्रकृति एवं महत्ता को परिभाषित कीजिए।

Jun 02, 2025
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प्रश्न 1- राजनीतिक सिद्धांत क्या है? इसकी प्रकृति एवं महत्ता को परिभाषित कीजिए।

अथवा

राजनीतिक सिद्धान्त की प्रासंगिकता विवेचना कीजिए।


उत्तर- परिचय

राजनीति-शास्त्र एक प्राचीन और समकालीन विषय है, जिसकी जड़ें प्लेटो और अरस्तू जैसे महान विचारकों तक फैली हैं। यह विषय निरंतर नई सामग्री और नवीन दृष्टिकोणों को समाहित करता रहा है, जिससे इसकी प्रासंगिकता और महत्व समय के साथ बढ़ता गया है। 'राजनीतिक सिद्धांत' दो शब्दों से मिलकर बना है: राजनीतिक और 'सिद्धांत' । राजनीतिक' शब्द ग्रीक भाषा के 'पोलिस' से लिया गया है, जिसका अर्थ नगर-राज्य होता है। 'सिद्धांत' शब्द की उत्पत्ति ग्रीक 'थ्योरिया' से हुई है, जिसका अर्थ चिंतन और मनन की अवस्था है।

राजनीतिक सिद्धांत का अर्थ

राजनीतिक सिद्धांत राज्य, सरकार और समाज से जुड़े विचारों और संस्थानों का व्यवस्थित अध्ययन है। यह राजनीतिक प्रक्रियाओं का विश्लेषण करता है, उनके प्रभाव को समझता है, और आदर्श राज्य व समाज की परिकल्पना प्रस्तुत करता है। इसका उद्देश्य न्याय, स्वतंत्रता, समानता और स्थिरता के सिद्धांतों पर आधारित एक बेहतर राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना करना है। राजनीतिक सिद्धांत का सम्बन्ध राजनीतिक दर्शन और राजनीतिक विज्ञान दोनों से है, और इसकी महत्वता इसलिए है क्योंकि यह नीति निर्माण तथा शासन को न्यायपूर्ण और संतुलित बनाता है।

राजनीतिक सिद्धांत पर विभिन्न विचारकों के विचार :

एंड्रयू हैकर के अनुसार, "राजनीतिक सिद्धान्त एक और बिना किसी पक्षपात के अच्छे राज्य तथा समाज की तलाश है, तो दूसरी ओर राजनीतिक एवं सामाजिक वास्तविकताओं की पक्षपात रहित जानकारी का मिश्रण है।"

डेविड हेल्ड के अनुसार: "राजनीतिक सिद्धान्त राजनीतिक जीवन से सम्बंधित अवधारणाओं और व्यापक अनुमानों का एक ऐसा ताना-बाना है, जिसमें शासन, राज्य और समाज की प्रकृति व लक्ष्यों और मनुष्यों की राजनीतिक क्षमताओं का विवरण शामिल है।"

राजनीतिक सिद्धांत की प्रकृति:

राजनीतिक सिद्धांत समय और युग की परिस्थितियों के अनुसार बदलता और विकसित होता रहा है। इस विकास में अनेक विचारकों और दार्शनिकों का योगदान रहा, जिन्होंने विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सिद्धांतों कानिर्माण किया। राजनीतिक सिद्धांत ने विकास के क्रम में तीन प्रमुख रूप धारण किए हैं :-

1. परम्परागत राजनीतिक सिद्धांत :

परम्परागत जिसे आदर्शवादी राजनीतिक सिद्धांत भी कहा जाता है। यह सिद्धांत उन आदर्श विचारों और कल्पनाओं पर आधारित है जो एक आदर्श राज्य या शासन व्यवस्था की संरचना करने के लिए प्रेरणा प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, प्लेटो ने "दार्शनिक राजाओं" (Philosopher Kings) की परिकल्पना की और उसके आधार पर एक आदर्श राज्य का ढांचा प्रस्तुत किया।

प्लेटो की "दार्शनिक राजाओं की अवधारणा उनके ग्रंथ " द रिपब्लिक" में प्रस्तुत आदर्श राज्य का आधार है। ये शासक ज्ञान, तर्क, न्याय, और नैतिकता में निपुण होते हैं। वे निजी स्वार्थ से मुक्त होकर सत्य, समानता, और सामाजिक न्याय स्थापित करते हैं।

  • वर्णनात्मक और समाधान केंद्रित अध्ययन : परम्परागत राजनीतिक चिंतन मुख्यतः वर्णनात्मक रहा है, जिसमें राजनीतिक संस्थाओं और समस्याओं का केवल विवरण दिया गया। पर कुछ विद्वानों
    ने समस्याओं के समाधान पर भी ध्यान दिया। जैसे, मैकियावली ने सत्ता विस्तार के लिए व्यवहारिक
    उपाय सुझाए हाब्स ने अराजकता समाप्त करने के लिए निरंकुश राजतंत्र का समर्थन किया।
  • दर्शन, धर्म और नैतिकता का प्रभाव : परम्परागत राजनीतिक सिद्धांतों में धर्म, दर्शन और नैतिक मूल्यों का गहरा प्रभाव रहा है। प्लेटो और अरस्तू के कार्यों में यह प्रभाव कम है, लेकिन मध्यकालीन ईसाई धर्म ने राजनीतिक विचारों को व्यापक रूप से प्रभावित किया। थॉमस एक्कीनास और विलियम ऑकम जैसे विचारकों ने धर्म को राज्य से श्रेष्ठ माना और इसे राजनीतिक हस्तक्षेप का आधार बनाया।
  • कानूनी और औपचारिक संस्थागत अध्ययन : इस सिद्धांत के अंतर्गत मुख्यतः कानूनी संरचनाओं और औपचारिक संस्थानों का अध्ययन किया गया। यह अध्ययन केवल संस्थानों के संरचनात्मक पहलुओं तक सीमित रहा। लास्की और मुनरो जैसे विद्वानों ने भी अपने कार्यों में कानून और औपचारिक संस्थाओं पर जोर दिया।

2. आधुनिक राजनीतिक सिद्धांत :

  • मूल्यविहीनता : आधुनिक राजनीति विज्ञान को प्रायः "मूल्यविहीन" कहा जाता है, क्योंकि यह नैतिकता, स्वतंत्रता, और भ्रातृत्व (भाईचारा) जैसे मानवीय मूल्यों को अपने विश्लेषण में शामिल नहीं करता। इसका मुख्य उद्देश्य राजनीति को एक सटीक और वैज्ञानिक विषय के रूप में विकसित करना है। इस अध्ययन में केवल उन तथ्यों और घटनाओं को प्राथमिकता दी जाती है जिन्हें देखा याअनुभव किया जा सकता है।
  • वैज्ञानिकता : आधुनिक राजनीति विज्ञान ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर तथ्यों और घटनाओं का विश्लेषण करना शुरू किया। यह प्राकृतिक और सामाजिक विज्ञानों की तकनीकों और पद्धतियों का उपयोग करता है। राजवैज्ञानिक राजनीति के अध्ययन को गणितीय, सांख्यिकीय और अन्य वैज्ञानिक उपकरणों के माध्यम से अधिक परिशुद्ध और तथ्यात्मक बनाने का प्रयास करते हैं।
  • अध्ययन मुक्तता : आधुनिक राजनीतिक सिद्धान्त ने परम्परागत सीमाओं को तोड़ते हुए अध्ययन को व्यापक और यथार्थपरक (वास्तविकता पर आधारित) बनाया। अब यह केवल ऐतिहासिक या संस्थागत अध्ययन तक सीमित नहीं है, बल्कि समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, और मनोविज्ञान जैसे विषयों
    को भी शामिल करता है। यहां तक कि बचपन, युवावस्था और अन्य व्यक्तिगत और सामूहिक राजनीतिक प्रवृत्तियों का अध्ययन भी इसका हिस्सा बन चुका है।

3. समकालीन राजनीतिक सिद्धांत :

  • समकालीन राजनीतिक सिद्धांत राजनीति की गहन समझ और विश्लेषण पर बल देता है। यह न केवल दर्शन और विज्ञान का सम्मिश्रण है, बल्कि राजनीतिक अवधारणाओं, संस्थाओं और घटनाओं
    का ऐतिहासिक और नैतिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन करता है। इसका मुख्य उद्देश्य अतीत के अनुभवों के आधार पर वर्तमान और भविष्य की संरचना करना है।
  • "ब्रायन बेरी' ने अपनी पुस्तक पॉलिटिकल आर्ग्यूमेंट (1965) में संस्थाओं और सिद्धांतों के बीच गहरे अंतर्संबंध का अध्ययन प्रस्तुत किया। वहीं, 'जॉन रॉल्स' ने अपनी कृति ए थ्योरी ऑफ जस्टिस (1971) में सत्य की निरंतर खोज को राजनीतिक सिद्धांत का प्रमुख कार्य बताया, जिसमें वैज्ञानिक अनुभव और तर्क पर आधारित विधियों का उपयोग किया जाता है। समकालीन राजनीतिक सिद्धांत में यह विचार किया गया कि आँकड़ों का विश्लेषण, तर्क और नैतिकता से जुड़े विचार एक साथ राजनीतिक सिद्धांतों में शामिल हो सकते हैं।

राजनीतिक सिद्धांत का महत्व और प्रासंगिकता

1. राजनीतिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं की समझ : राजनीतिक सिद्धांत राजनीतिक संस्थाओं और उनके कार्यों को समझने में मदद करता है। यह विभिन्न राजनीतिक ढांचे, जैसे लोकतंत्र, तानाशाही, और संघीय प्रणाली के कामकाज को समझने का एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करता है।

2. समाज के मूल्यों का संरक्षण : राजनीतिक सिद्धांत समाज में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और मानव अधिकारों जैसे मूल्यों को संरक्षित करने के लिए दिशा प्रदान करता है। और हमें यह समझने में मदद करता है कि भविष्य में कैसे इन मूल्यों को लागू किया जा सकता है।

3. राजनीतिक निर्णयों में मार्गदर्शन : राजनीतिक सिद्धांत नीतियों और निर्णयों को समझने में सहायक होता है। यह राजनीतिक विचारकों को यह सुझाव देता है कि राजनीतिक फैसलों के पीछे की तर्कशक्ति और उनके सामाजिक प्रभाव क्या हो सकते हैं, जिससे अच्छे शासन की दिशा में मदद मिलती है।

4. वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग : समकालीन राजनीतिक सिद्धांत, जैसे 'ब्रायन बेरी' और 'जॉन रॉल्स' के विचारों के अनुसार, राजनीतिक घटनाओं और सिद्धांतों को समझने के लिए वैज्ञानिक और अनुभवजन्य विधियों का प्रयोग किया जाता है। यह सिद्धांतों को अधिक व्यावहारिक और प्रभावी बनाता है।

5. सामाजिक समस्याओं का समाधान : राजनीतिक सिद्धांत समाज में मौजूद विभिन्न समस्याओं जैसे असमानता, संघर्ष, और अन्याय के समाधान के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह सिद्धांत समाज के लिए न्यायपूर्ण और स्थिर समाधान प्रस्तुत करने में सहायक है।

निष्कर्ष

राजनीतिक सिद्धांत का विकास निरंतर जारी है। नवमार्क्सवाद, सामुदायिकतावाद, और अस्तित्ववाद जैसे नए विचार इसकी प्रासंगिकता बढ़ा रहे हैं। यह समाज, सरकार और संविधान को दिशा प्रदान करता है, साथ ही स्वतंत्रता, समानता, न्याय और लोकतंत्र जैसी प्रमुख अवधारणाओं की व्याख्या भी करता है।साथ ही यह वर्तमान और भविष्य की राजनीतिक चुनौतियों को समझने में सहायक है, जिससे नीति निर्माण और शासन को न्यायपूर्ण और संतुलित बनाया जा सके।

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