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प्रश्न 1 - संप्रेषण की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए इसकी अनिवार्यता पर प्रकाश डालिए।
अथवा
संप्रेषण की अवधारणा स्पष्ट करते हुए इसके महत्त्व और तत्वों की विवेचना कीजिए।
उत्तर -
परिचय
व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है जिसे समाज से स्वयं को संबंधित रखने के लिए विचारों का आदान-प्रदान करना आवश्यक होता है। मनुष्य और समाज के बीच सार्थक ध्वनियों के माध्यम से जो विचारों का आदान-प्रदान होता है, उसे भाषा कहा जाता है। इसी विचारों के आदान-प्रदान में जो भावनाएँ एक-दूसरे तक पहुँचती हैं, उसे संप्रेषण कहते हैं। इस प्रकार, भाषा और संप्रेषण मानव समाज के अभिन्न अंग हैं, जो आपसी समझ और संबंधों को मजबूत बनाते हैं।
संप्रेषण की अवधारणा
संप्रेषण शब्द की व्युत्पत्ति 'सम' + 'प्रेषण' के योग से हुई है। सम् यानी समान रूप से, पूरी तरह से और प्रेषण यानी आगे भेजना, अग्रसर करना। इन दोनों शब्दों के संयोग से बने 'संप्रेषण' शब्द से आशय है- समान रूप से भेजा गया। यानी विचारों और सूचनाओं को समान रूप से, प्रभावी रूप से और स्पष्ट रूप से दूसरों तक पहुँचाना।
अंग्रेजी में संप्रेषण को 'Communication' कहा जाता है, जिसका अर्थ है to share (साझा करना), to transmit (स्थानांतरण करना), और to exchange (आदान-प्रदान करना)। इस प्रकार, संप्रेषण का अर्थ केवल जानकारी साझा करना नहीं है, बल्कि इसे प्रभावी ढंग से स्थानांतरित करना और परस्पर आदान-प्रदान करना भी है।
संप्रेषण की परिभाषाएँ :
संप्रेषण के तत्व
1. संप्रेषक/स्रोत : संचार प्रक्रिया में संदेश भेजने वाला संप्रेषक होता है। संप्रेषक को प्रभावी संचार के लिए बोलने, लिखने, पढ़ने, सुनने और तर्क करने में कुशल होना चाहिए। इसके अलावा, उसे भाषा, संकेत और चित्र बनाने का ज्ञान होना चाहिए। संप्रेषक को संदेश पाने वाले के प्रति सही दृष्टिकोण और व्यवहार रखना चाहिए।
2. संदेश : संप्रेषण प्रक्रिया में संप्रेषक जो कुछ भी कहना चाहता है वही उसका संदेश होता है। संदेश की रचना के समय संप्रेषक को कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्यों को ध्यान में रखना चाहिए, जैसे- कि संदेश की विषय वस्तु, विश्लेषण का तरीका, संदेश प्रसारित का माध्यम और प्राप्तकर्ता। संदेश की रचना संप्रेषण का सबसे महत्वपूर्ण चरण है। कई बार एक शिक्षित व्यक्ति अपनी बात स्पष्ट नहीं कर पाता, जबकि एक साधारण व्यक्ति अपनी बात प्रभावी ढंग से समझा देता है। यह संप्रेषक के संदेश रचना कौशल के कारण होता है।
3. माध्यम : स्रोत और गंतव्य के बीच संदेश भेजने के लिए एक माध्यम होता है। जिसके द्वारा सम्प्रेषण को प्रसारित किया जाता है। उदाहरण के लिए जब एक व्यक्ति बोल रहा होता है तब हवा सम्प्रेषण का एक माध्यम होती है जबकि लेखन में कागज सम्प्रेषण का एक माध्यम होता है।
4. ग्राही या लक्ष्य : ग्राही वह होता है जिसे संप्रेषक अपना संदेश भेजता है। यह एक व्यक्ति, समूह या पूरा समाज हो सकता है।
5. प्रतिपुष्टि (फीडबैक) : प्रतिपुष्टि एक प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति या संगठन द्वारा दिए गए जवाब, अनुभव या विचारों का प्रतिक्रिया होता है। यह उपयोगकर्ता के अनुभव को समझने और सेवा, उत्पाद या प्रक्रिया में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है।
संप्रेषण का महत्त्व
1. व्यक्तिगत जरूरत - हम सब की कुछ व्यक्तिगत जरूरतें होती हैं और उनको पूरा करने के लिए हम संप्रेषण करते हैं। दैनिक दिनचर्या, खाना-पीना, प्रेम, सेवा इत्यादि से संबंधित हमारी बहुत सी जरूरतें होती हैं जो बिना संप्रेषण के पूरी नहीं हो सकती हैं।
2. व्यक्तिगत संबंध- व्यक्तिगत संबंध बनाने के लिए भी संप्रेषण नितांत जरूरी है। बिना बात-चीत के हम यह व्यक्तिगत संबंध बना ही नहीं सकते। उदाहरण के लिए एक माँ का अपने बच्चे को प्यार के साथ सही और गलत की पहचान कराना या बच्चों का अपने वृद्ध माता-पिता की सेवा करना। और ये सारे संबंध संप्रेषण से ही संचालित होते हैं।
4. आपस में बातचीत जब वक्ता श्रोता तक अपने संदेश भेजता है तभी संप्रेषण संपन्न 'गप्प' संप्रेषण का एक मजेदार और मनोरंजक उदाहरण है। 'गप्प' के द्वारा हम एक दूसरे के विचारों, भावनाओं को दृष्टिकोणों को समझने का प्रयास करते हैं। और यह सब संप्रेषण के बिना संभव नहीं है।
5. आग्रह - इस प्रकार का संप्रेषण विज्ञापनों में देखने को मिलता है। विज्ञापनों को इस प्रकार बनाया ही जाता है कि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को पसंद आये और विज्ञापन में इस प्रकार ग्राहकों से आग्रह किया जाता है कि ग्राहक उस वस्तु को लेने का मन बना लेता है।
निष्कर्ष
संप्रेषण समाज के सभी पहलुओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, चाहे वह व्यक्तिगत हो, सामाजिक हो या सांस्कृतिक हो। संप्रेषण एक विशिष्ट संदेश को संप्रेषक और प्राप्तकर्ता के बीच समझ के साथ जोड़ने का काम है। यह मानव जीवन का अभिन्न हिस्सा है और इसके बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती।
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