Education: Introduction to Educational Research Hindi Medium

Aug 06, 2025
1 Min Read

प्रश्न 1. शैक्षिक अनुसंधान की व्याख्या करें। शैक्षिक अनुसंधान के विभिन्न प्रकार और सिद्धांत क्या हैं?

उत्तर-:

परिचय

"शैक्षिक अनुसंधान" शब्द "शिक्षा" और "अनुसंधान" के अर्थों को जोड़ता है। "शिक्षा" शब्द की जड़ें लैटिन शब्दों में हैं: एडुकेयर (Educare), जिसका अर्थ है "पालन-पोषण करना," "प्रशिक्षित करना," या "बड़ा करना।" "अनुसंधान" (research) शब्द पुराने फ्रांसीसी शब्द rechercher से उत्पन्न हुआ है, जिसका अर्थ है "फिर से खोजना" या "अच्छी तरह से खोजना।" इसलिए, "शैक्षिक अनुसंधान" को शिक्षा के क्षेत्र में मुद्दों की व्यवस्थित जांच के रूप में समझा जा सकता है। इसमें शैक्षिक घटनाओं का पता लगाने, वर्णन करने, समझाने, भविष्यवाणी करने और संभावित रूप से प्रभावित करने के लिए अनुसंधान विधियों और तकनीकों को लागू करना शामिल है।

Click Here For Full Notes

परिभाषा
गुड (Good) के अनुसार, " शैक्षिक अनुसंधान शिक्षा के क्षेत्र में जांच और अध्ययन है।"
व्हिटनी (Whitney) (1950) के अनुसार, "वैज्ञानिक और दार्शनिक विधियों के अनुप्रयोग के माध्यम से, शैक्षिक अनुसंधान शिक्षा से संबंधित मुद्दों को हल करना चाहता है।"

शैक्षिक अनुसंधान
जब शिक्षा के क्षेत्र में समस्याओं को हल करने या नया ज्ञान प्राप्त करने या बनाने के लिए अनुसंधान किया जाता है, तो इसे शैक्षिक अनुसंधान कहा जाता है। इसलिए, शैक्षिक अनुसंधान एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शिक्षा के क्षेत्र में समस्याओं को व्यवस्थित कार्यों या वैज्ञानिक पद्धति के माध्यम से हल किया जाता है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई शोधकर्ता एनईपी-2020 के अनुसार विकसित पाठ्यपुस्तकों की गुणवत्ता जानने के लिए उनका सामग्री विश्लेषण करना चाहता है, तो यह शोध शैक्षिक अनुसंधान होगा।

Click Here For Full Notes

शैक्षिक अनुसंधान के सिद्धांतः


1. वस्तुनिष्ठता (Objectivity): अनुसंधान को व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों (धारणाएँ) या मतों से मुक्त रखना।

2. वैधता (Validity): सुनिश्चित करें कि आप वही माप रहे हैं जो आप वास्तव में मापना चाहते हैं।

3. विश्वसनीयता (Reliability): यदि अध्ययन दोहराया जाए तो परिणाम सुसंगत (एक जैसे) होने चाहिए।

4. नैतिकता (Ethics): प्रतिभागियों के अधिकारों का सम्मान करें- सहमति, गोपनीयता बनाए रखे।

5. पारदर्शिता (Transparency): अपनी विधियों को स्पष्ट रूप से समझाएं ताकि अन्य लोग उनका पालन कर सकें या उन्हें दोहरा सकें।

6. समीक्षाात्मक चिंतन (Critical Thinking): मान्यताओं पर सवाल उठाएं और विभिन्न विचारों पर विचार करें।

7. प्रासंगिकता (Relevance): सार्थक (महत्वपूर्ण) मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें जो शिक्षा में सुधार कर सकते है।

8. सामान्यीकरण क्षमता (Generalizability): इस बारे में सोचें कि क्या आपके निष्कर्ष अन्य परिस्थितियों पर लागू होते हैं या नहीं।

9. समग्र दृष्टिकोण (Holistic View): शिक्षा को प्रभावित करने वाले सभी कारकों जैसे की सामाजिक, सांस्कृतिक, व्यक्तिगत पर विचार करें।

10. जवाबदेही (Accountability): अपने शोध की गुणवत्ता और सत्यनिष्ठा (ईमानदारी) के लिए जिम्मेदार बनें।

शैक्षिक अनुसंधान के प्रकारः


शैक्षिक अनुसंधान को मोटे तौर पर तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

वर्णनात्मक अनुसंधान (Descriptive research)  प्रायोगिक अनुसंधान (Experimental research) सहसंबंधात्मक अनुसंधान (Correlational research)

1. वर्णनात्मक अनुसंधानः


वर्णनात्मक अनुसंधान का उपयोग किसी भी स्थिति, समूह या प्रक्रिया की वर्तमान स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जाता है, बिना किसी शर्त को बदले। यह "क्या है" पर केंद्रित है, न कि "क्यों" या "कैसे" पर।
उदाहरण: एक शोधकर्ता 500 हाई स्कूल के छात्रों का सर्वेक्षण करता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे प्रत्येक सप्ताह होमवर्क पर कितने घंटे बिताते हैं।

2. प्रायोगिक अनुसंधानः

प्रायोगिक अनुसंधान का उपयोग एक चर (variable) को सक्रिय रूप से बदलकर और दूसरे चर पर इसके प्रभाव को देखकर कारण-और-प्रभाव संबंधों का परीक्षण करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण: एक शिक्षक छात्रों के एक समूह के साथ गणित पढ़ाने की एक नई विधि का उपयोग करता है और दूसरे समूह के साथ नियमित विधि का। एक परीक्षा के बाद, उनके परिणामों की तुलना यह देखने के लिए की जाती है कि कौन सी विधि अधिक प्रभावी थी।

3. सहसंबंधात्मक अनुसंधानः

सहसंबंधात्मक अनुसंधान दो या दो से अधिक चरों के बीच संबंध की जांच करता है ताकि यह देखा जा सके कि क्या वे एक अनुमानित पैटर्न में एक साथ चलते हैं। हालांकि, यह साबित नहीं करता है कि एक चर दूसरे का कारण बनता है।
उदाहरण: एक अध्ययन में पाया गया है कि जो छात्र अधिक सोते हैं, उनके शैक्षणिक अंक अधिक होते हैं।

Click Here For Full Notes

शैक्षिक अनुसंधान को कार्यक्षमता के आधार पर तीन मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. मौलिक अनुसंधान (Fundamental Research):
इस शोध का उद्देश्य शिक्षा में बुनियादी सिद्धांतों या सिद्धांतों को समझना और ज्ञान का निर्माण करना है। यह तुरंत किसी विशेष समस्या को हल करने के बारे में नहीं है।

उदाहरण: एक शोधकर्ता अध्ययन करता है कि बच्चों के मस्तिष्क में समय के साथ भाषा कौशल कैसे विकसित होते हैं। यह हमारी समझ को गहरा करने में मदद करता है, जो भविष्य के अध्ययनों का मार्गदर्शन कर सकता है।


2. अनुप्रयुक्त अनुसंधान (Applied Research):
इस प्रकार का शोध मौजूदा सिद्धांतों को लेकर, उनका उपयोग वास्तविक दुनिया की शैक्षिक समस्याओं के समाधान खोजने के लिए करता है।
उदाहरण: एक स्कूल यह जांचता है कि कक्षा में डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने से छात्र प्रदर्शन में सुधार होता है या नहीं। यह शिक्षण और सीखने में विशिष्ट मुद्दों को हल करने पर केंद्रित होता है।


3. क्रियात्मक अनुसंधान (Action Research):
आमतौर पर शिक्षकों या स्कूल कर्मचारियों द्वारा किया जाने वाला यह शोध उनके अपने काम को पहले से बेहतर बनाने पर केंद्रित होता है। यह व्यावहारिक होता है, और कक्षा
में किया जाता है।
उदाहरण: एक शिक्षक ध्यान भंग कम करने के लिए कक्षा के नए नियम आज़माता है और परिणामों पर नज़र रखता है। यह सब वहीं समस्याओं को बेहतर बनाने के बारे में है जहाँ वे होती हैं।



निष्कर्ष में:

शैक्षिक अनुसंधान विभिन्न तरीकों से सीखने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है। सभी प्रकारों में, क्रियात्मक अनुसंधान अक्सर सबसे व्यावहारिक होता है, क्योंकि यह सीधे शिक्षकों को कक्षा की वास्तविक समस्याओं को हल करने और छात्र परिणामों में सुधार करने में मदद करता है।

Click Here For Full Notes

What do you think?

0 Response