Education: Research Methods in Education in Hindi medium

Aug 06, 2025
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प्रश्न 1. शैक्षिक अनुसंधान प्रभावी शैक्षिक नीतियों के विकास में किस प्रकार योगदान देता है?

उत्तर


परिचय

अनुसंधान (Reseach) शोध का मतलब है किसी चीज़ की ठीक ढंग से (Systematic) जाँच-पड़ताल करना। इसका मकसद होता है नई जानकारी खोजना या जो हम पहले से जानते हैं उसे और अच्छे से समझना। Research शब्द दो हिस्सों से बना है: 'Re' (यानी दोबारा) और 'Search' (यानी खोजना) । इसका मतलब है बार-बार खोजना या किसी चीज़ की गहराई से जाँच करना।

परिभाषा
कर्लिंगर के अनुसार, "अनुसंधान प्राकृतिक घटनाओं के बीच माने गए संबंधों के बारे में परिकल्पनात्मक कथनों की व्यवस्थित, नियंत्रित, अनुभवजन्य और महत्वपूर्ण जांच है।"

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शैक्षिक अनुसंधान (पढ़ाई-लिखाई से जुड़ा शोध)
जब पढ़ाई-लिखाई (शिक्षा) के क्षेत्र में समस्याओं को सुलझाने या नई जानकारी पाने के लिए खोजबीन (शोध) की जाती है, तो उसे शैक्षिक शोध कहते हैं। यह एक ऐसा तरीका है जिससे पढ़ाई-लिखाई की समस्याओं को सोच-समझकर या वैज्ञानिक तरीके से हल किया जाता है।
उदाहरण: अगर कोई यह जानना चाहता है कि NEP-2020 के हिसाब से बनी नई किताबें कैसी हैं, और उनकी सामग्री (content) को जांचता है, तो यह शैक्षिक शोध होगा।

  • गुड के अनुसार, "शैक्षिक अनुसंधान शिक्षा के क्षेत्र में जांच और अध्ययन है।"
  • मूले के अनुसार, "शिक्षा के विकास को विज्ञान के रूप में बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किए गए किसी भी व्यवस्थित अध्ययन को शैक्षिक अनुसंधान माना जा सकता है।"

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शैक्षिक अनुसंधान की आवश्यकता

  • शिक्षण में सुधार (पढ़ाई को बेहतर बनाना): पढ़ाने और बच्चों के सीखने के अच्छे तरीके ढूंढना।
  • नियम बनाने में मददः स्कूल कैसे चलें, इस बारे में सोच-समझकर फैसले लेना।
  • समस्याओं का समाधानः जैसे बच्चों के कम नंबर आना या व्यवहार की दिक्कतें, इन्हें हल करना।
  • जानकारी बढ़ानाः यह समझना कि सीखना कैसे होता है और नए आइडिया लाना।
  • कार्यक्रमों की जाँच: यह देखना कि पढ़ाई के प्रोग्राम सच में फायदेमंद हैं या नहीं।
  • बदलाव के साथ चलनाः पढ़ाई-लिखाई को टेक्नोलॉजी और समाज के बदलावों के साथ अपडेट रखना।


शैक्षिक नीतियां (Policies) कई कारणों से महत्वपूर्ण हैं:


"हमारी शैक्षिक नीतियां नियम हमारी सीख का आधार हैं। ये तय करते हैं कि हम क्या बनेंगे और हमारा समाज कैसा होगा। अच्छे नियम बनाने ज़रूरी हैं ताकि पढ़ाई का सिस्टम सबके लिए बराबर, असरदार और भविष्य की सोचने वाला हो। इससे सभी लोगों और पूरे समाज का भला होता है। ये इसलिए ज़रूरी हैं:-"

1. मानकीकरण(Standardization)

सबके लिए एक जैसे नियम बनाना: नियम बनाने से पढ़ाई, पढ़ाने के तरीके और परीक्षा के लिए एक जैसे स्टेंडर्ड बन जाते हैं, जिससे सभी स्कूलों में पढ़ाई की क्वालिटी एक जैसी रहती है।

2. समानता/साम्यता (Equality / Equity)

सबको बराबर मौके देनाः इसका मकसद है सबको पढ़ाई का बराबर मौका देना, चाहे कोई किसी भी परिवार से हो, किसी भी जाति या धर्म का हो। सबको अच्छी पढ़ाई मिलनी चाहिए।

3. भविष्य का कार्यबल (Future workforce)

बच्चों को भविष्य के लिए तैयार करनाः दुनिया बदल रही है। नियम स्कूलों को वो हुनर सिखाने में मदद करते हैं जिनकी लोगों को नौकरी और जीवन में ज़रूरत होगी। इससे बच्चे भविष्य के लिए तैयार होते हैं।

4. शैक्षिक अभ्यास (Educational Practice)

पढ़ाने के सही तरीके: नियम टीचरों और स्कूल नेताओं को रास्ता दिखाते हैं। ये बताते हैं कि सबसे अच्छे तरीके क्या हैं और फैसले लेने में मदद करते हैं, ताकि स्कूल ठीक से चलें।

5. प्रौद्योगिकी (Technology)

टेक्नोलॉजी का इस्तेमालः दुनिया बदल रही है, और टेक्नोलॉजी भी। नियम पढ़ाई के सिस्टम को भी इसके साथ बदलने में मदद करते हैं, ताकि यह फायदेमंद बनी रहे।

6. सामाजिक विकास(Social Development)

समाज की तरक्की: पढ़ाई लोगों को दुनिया समझने और अच्छा नागरिक बनने में मदद करती है। नियम यह पक्का करते हैं कि सबको आगे बढ़ने का मौका मिले।



निष्कर्ष :

आसान शब्दों में कहें तो, शैक्षिक अनुसंधान (खोजबीन) से हमें पढ़ाने, सीखने और स्कूलों को चलाने के बारे में बहुत ज़रूरी बातें पता चलती हैं। इससे बेहतर नियम (नीतियां) बनाने में मदद मिलती है। शोध से पता चलता है कि क्या समस्याएं हैं, नए तरीके आजमाए जाते हैं और देखा जाता है कि पुराने नियम कितने असरदार हैं। शोध से मिली जानकारी के आधार पर नियम बनाने वाले ऐसे फैसले ले सकते हैं जिनसे पढ़ाई अच्छी हो, सबके साथ बराबरी हो और बदलती जरूरतों के हिसाब से बदलाव हों। इससे पढ़ाई का सिस्टम और बेहतर बनता है, जिसमें सबका ध्यान रखा जाता है और जिससे बच्चों, टीचरों और पूरे समाज को फायदा होता है।


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