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प्रश्न 1- व्यावहारिक हिन्दी का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके विविध क्षेत्रों का परिचय दीजिए।
अथवा
विभिन्न क्षेत्रों में प्रयुक्त होने वाली व्यावहारिक हिन्दी का विवेचन कीजिए।
उत्तर-
परिचय
हिंदी भाषा का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, इसका उपयोग भाषा और संस्कृति के संवाद में, राष्ट्रीय एकता में और सामाजिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जीवन के विविध कार्यक्षेत्रों से संबंधित प्रयोग होने वाली हिंदी व्यावहारिक हिंदी का स्वरूप हैं। यह सामान्य जनता तक संदेश पहुंचाने, सार्थक संवाद स्थापित करने, सामाजिक और आर्थिक संबंधों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण है।
व्यावहारिक हिंदी
व्यावहारिक हिंदी का अर्थ: हिंदी के व्यावहारिक होने का अर्थ है हिंदी को प्रशासन और व्यवसाय के कामकाज के प्रयोग की भाषा बनाना।"
सरल शब्दों में किसी व्यवसाय या कार्यक्षेत्र के लोगों द्वारा उस व्यवसाय या कार्यक्षेत्र के प्रयोजन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली भाषा "व्यावहारिक हिंदी" या "प्रयोजनमूलक हिंदी" कहलाती है।
डॉ. कृष्ण कुमार गोस्वामी ने कहा है, "वास्तव में सामान्य भाषा और विशिष्ट भाषा एक ही होती है, किंतु शब्दावली और संरचना की दृष्टि से दोनों अलग हो जाती हैं।"
व्यावहारिक हिंदी में विशिष्ट शब्दावली का प्रयोग किया जाता है, वहीं सामान्य भाषा में अनौपचारिकता का भाव होता है। वैज्ञानिक, पत्रकार, डॉक्टर, व्यापारी आदि अपने कार्य क्षेत्र से संबंधित हिंदी भाषा के विशिष्ट स्वरूप को ही प्रयोजनमूलक या व्यावहारिक हिंदी मानते हैं।
व्यावहारिक हिंदी के विविध क्षेत्र
1. वाणिज्यिक और व्यापारिक:
हिंदी व्यावहारिक हिंदी मध्यकाल से लेकर आज तक संपर्क भाषा के रूप में कार्यरत है। व्यापार, व्यवसाय, आयात-निर्यात, वाणिज्य आदि में इसका प्रयोग होता रहा है। वस्तुओं के खरीदने से लेकर बेचने तक वाणिज्यिक और व्यापारिक हिंदी का प्रयोग अत्यधिक प्रचलित रहा है। स्वतंत्रता के बाद इसमें कई परिवर्तन हुए व वाणिज्यिक और व्यापारिक हिंदी के प्रयोग को धीरे-धीरे बढ़ावा मिला। सरकार ने वाणिज्य शिक्षा के क्षेत्र में पाठ्यक्रमों की पढ़ाई के लिए कई राज्यों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया।
वाणिज्य और व्यापार के क्षेत्र में निश्चित पारिभाषिक शब्दावली एवं शैली का प्रयोग किया जाता है, जैसे-
2. वैज्ञानिक एवं तकनीकी हिंदी :
वैज्ञानिक एवं तकनीकी हिंदी से तात्पर्य 'विज्ञान' के विविध क्षेत्रों में प्रयुक्त हिंदी से है। आधुनिक विज्ञान का जन्म 19वीं शताब्दी में माना जाता है।
विज्ञान का संबंध जहाँ एक ओर तकनीकी से है, वहीं दूसरी ओर प्रौद्योगिकी से भी है। इसके अंतर्गत भौतिकी, रसायन, जीव-विज्ञान, चिकित्सा, कंप्यूटर, यांत्रिकी आदि विषय भी आते हैं। इन विषयों को व्यावहारिक हिंदी के अंतर्गत रखने से देश का अत्यधिक कार्य सुविधापूर्ण ढंग से एवं जनहित में होता है। इन
विषयों का साहित्य सामान्यतः निम्नलिखित माध्यमों में उपलब्ध है-
पुस्तकों के रुप में विज्ञान।
शोध पत्रों तथा पत्रिकाओं के रुप में।
कोशों तथा विश्व कोशों के रुप में।
जनसंचार माध्यमों के रुप में।
3. विधिक हिंदी :
विधिक हिंदी से तात्पर्य- 'लॉ या कानून' की हिंदी से है। जिला न्यायालय, उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में जज के सामने वकील दूसरे वकील से जब बहस करता है, तो इस कानूनी प्रक्रिया के दौरान जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, उसे विधिक हिंदी, 'लॉ या कानून' की हिंदी कहते हैं।
4. कार्यालयी हिंदी:
सरकारी, गैर सरकारी या निजी कार्यालयों के औपचारिक लिखित कामकाज की भाषा को कार्यालयी भाषा कहा जाता है। कोई भी भाषा कार्यालयी भाषा हो सकती है। इसी कारण अलग-अलग प्रदेशों और देशों के कार्यालयों में अलग-अलग भाषाएँ कार्यालयी भाषा के रूप में प्रयोग की जाती हैं, जैसे महाराष्ट्र में मराठी, केरल में मलयालम, जापान में जापानी, रूस में रूसी भाषाएँ कार्यालयी भाषा के रूप में प्रयोग की जाती हैं। इन कार्यालयी कार्यों के लिए जिस हिंदी का प्रयोग किया जाता है, उसे कार्यालयी हिंदी कहते हैं।
निष्कर्ष
व्यावहारिक हिंदी के विविध रूपों का विकास काफी तेज़ी से हो रहा है। जहाँ एक ओर वाणिज्य, व्यापार, तकनीकी और जनसंचार के रूप में व्यावहारिक हिंदी का प्रयोग क्रमबद्ध रूप से बढ़ रहा है, वहीं जीवन के अन्य क्षेत्रों जैसे विधि क्षेत्र, कार्यालयों के कार्यक्षेत्र आदि में भी हिंदी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवा रही है।
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