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प्रश्न 1 - राजनीतिक सिद्धांत क्या है? इसकी विशेषता एवं महत्व/प्रासंगिकता की व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
परिचय
राजनीतिक सिद्धांत राज्य, सरकार, राजनीतिक संस्थाओं और उनकी कार्यप्रणाली का व्यवस्थित अध्ययन है। राजनीति केवल सत्ता प्राप्त करने का माध्यम नहीं, बल्कि समाज को सुचारू रूप से चलाने का एक साधन भी है। चूंकि जैसा की अपनी पुस्तक "पॉलिटिक्स" (politics) में अरस्तू ने कहा था मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समुदाय में रहना उसकी जरूरत है, लेकिन इसी समुदाय में सत्ता, न्याय और स्वतंत्रता से जुड़े विभिन्न मुद्दे उत्पन्न होते हैं। राजनीतिक सिद्धांत इन मुद्दों पर विचार करता है और एक आदर्श समाज की दिशा तय करने में मदद करता है।
राजनीतिक सिद्धांत क्या है?
राजनीतिक सिद्धान्त समाज की राजनीतिक घटनाओं तथा प्रक्रियाओं का वर्णन, व्याख्या और विश्लेषण करते है तथा उनकी कमियों को दूर करने के उपाय बताते हैं। इसका इतिहास 2400 वर्षों से अधिक पुराना है. जिसमें विभिन्न दार्शनिकों, समाजशास्त्रियों और राजनेताओं ने योगदान दिया। समय और सामाजिक-आर्थिक बदलावों के कारण राजनीतिक सिद्धान्तों में निरंतर परिवर्तन हुआ है। इस प्रकार के अध्ययन को विभिन्न धाराओं में बाँटा जाता है, जैसे पारंपरिक (क्लासिकी), उदारवादी, मार्क्सवादी, व्यवहारवादी और समकालीन। इन धाराओं में अलग-अलग दृष्टिकोण हैं, जो राजनीति के अध्ययन को व्यापक और विविध बनाते हैं।
राजनीतिक सिद्धांत का अर्थ :
'राजनीतिक सिद्धांत' दो शब्दों से मिलकर बना है: 'राजनीति' और 'सिद्धांत'। 'राजनीति' शब्द ग्रीक भाषा के 'पोलिस' से लिया गया है, जिसका अर्थ "नगर-राज्य" होता है। 'सिद्धांत' ग्रीक शब्द 'थ्यूरी' (Theory) से आया है, और यह दो शब्दों से जुड़ा हुआ है: 1. थ्यूरिया (Theoria): इसका मतलब है, जो कुछ हमारे आसपास हो रहा है, उसे समझने की प्रक्रिया। इसे हम 'सैद्धान्तीकरण' (Theorizing) भी कहते हैं, यानी किसी विषय पर सोचने और समझने की क्रिया। 2. थ्योरमा (Theorema): यह वह निष्कर्ष है जो इस सोचने की प्रक्रिया से निकलता है। इसे हम 'थ्योरम' (Theorem) भी कहते हैं, यानी वह परिणाम जो हम समझने के बाद प्राप्त करते हैं।
राजनीतिक सिद्धांत पर विभिन्न विचारकों के विचार :
राजनीतिक सिद्धांत की विशेषताएं :
1. व्यक्तिगत चिंतन और परिकल्पना राजनीतिक सिद्धांत में व्यक्तिगत चिंतन और परिकल्पना की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह विचारधारा के विकास में व्यक्ति की सोच, अनुभव और दृष्टिकोण को दर्शाता है। राजनीतिक विचारक जैसे प्लेटो, अरस्तू, मैकियावेली आदि ने अपने समय के सामाजिक-राजनीतिक संदर्भ में अपनी व्यक्तिगत धारणाओं को प्रस्तुत किया। ये विचारक न केवल अपने समय की समस्याओं का समाधान खोजते हैं, बल्कि वे भविष्य के लिए भी दिशा-निर्देश प्रदान करते हैं। इस प्रकार, व्यक्तिगत चिंतन राजनीतिक सिद्धांत को गहराई और विविधता प्रदान करता है।
2. व्यक्ति, समाज और इतिहास की व्याख्या राजनीतिक सिद्धांत व्यक्ति, समाज और इतिहास की गहरी जाँच करते हैं। यह अध्ययन करता है कि समाज कैसे संगठित होता है, उसके प्रमुख तत्व क्या होते हैं, तथा विवादों के स्रोत क्या हैं। साथ ही, ये यह भी समझते हैं कि इन विवादों को कैसे हल किया जा सकता है और समाज की कार्यप्रणाली क्या होनी चाहिए।
3. विषय-विशेष पर आधारित सिद्धांत राजनीतिक सिद्धांत अक्सर विशिष्ट विषयों पर आधारित होता है जैसे न्याय, स्वतंत्रता, समानता आदि। इन्हें प्रस्तुत करने वाले विचारक दार्शनिक, इतिहासकार, अर्थशास्त्री या समाजशास्त्री हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, अरस्तू का सिद्धांत दर्शन और राजनीति का मिश्रण है, जबकि मार्क्स का सिद्धांत अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र पर आधारित है।
4. सामाजिक परिवर्तन के साधन राजनीतिक सिद्धांत केवल तथ्यों की व्याख्या तक सीमित नहीं होते, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के लिए साधन भी सुझाते हैं। ये सुधार, क्रांति या संरक्षण जैसे तरीकों की सिफारिश करते हैं। जैसा कि लास्की ने कहा है, इनका उद्देश्य यह निर्धारित करना भी है कि "क्या होना चाहिए।" इस प्रकार, राजनीतिक सिद्धांत न केवल वर्तमान स्थितियों का विश्लेषण करता है बल्कि भविष्य की संभावनाओं का भी पता लगाता है।
5. विचारधारा का समावेश राजनीतिक सिद्धांतों में विचारधारा का महत्वपूर्ण स्थान होता है। उदारवाद,मार्क्सवाद और समाजवाद जैसी विचारधाराएँ इन सिद्धांतों में प्रतिबिंबित होती हैं। ये विचारधाराएँ न केवल राजनीतिक विमर्श को समृद्ध करती हैं बल्कि विभिन्न दृष्टिकोणों से समस्याओं का समाधान खोजने में भी मदद करती हैं। इस प्रकार, विचारधारा का समावेश राजनीतिक सिद्धांत को बहुआयामी बनाता है।
राजनीतिक सिद्धांत का महत्व/प्रासंगिकता :
1. राज्य और सरकार की प्रकृति को समझना -
राजनीतिक सिद्धांत राज्य और सरकार की प्रकृति, उद्देश्यों और कार्यप्रणाली को समझने में मदद करते हैं। ये सिद्धांत यह बताते हैं कि राज्य क्यों अस्तित्व में है, इसके कार्य क्या हैं, और इसे कैसे संचालित किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, लॉक और रूसो के सिद्धांत राज्य की उत्पत्ति और उसके उद्देश्यों की व्याख्या करते हैं।
2. सामाजिक और राजनीतिक वास्तविकता को जोड़ना
राजनीतिक सिद्धांत समाज की वास्तविकता और आदर्शों के बीच संबंध स्थापित करते हैं। ये सिद्धांत यह समझाते हैं कि किसी समाज के आदर्श क्या होने चाहिए और उन्हें कैसे प्राप्त किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, गांधीवादी सिद्धांत सत्य और अहिंसा के आदर्शों को सामाजिक व्यवस्था से जोड़ते हैं।
3. व्यक्ति को अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना
राजनीतिक सिद्धांत व्यक्ति को उसके अधिकारों, कर्तव्यों, स्वतंत्रता, समानता और न्याय के बारे में जागरूक करते हैं। ये सिद्धांत यह बताते हैं कि एक नागरिक के रूप में व्यक्ति की भूमिका क्या होनी चाहिए और उसे कैसे समाज के प्रति जिम्मेदार बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, जॉन रॉल्स का 'न्याय का सिद्धांत' समानता और न्याय के महत्व को रेखांकित करता है।
4. सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का समाधान-
राजनीतिक सिद्धांत समकालीन समस्याओं जैसे गरीबी, भ्रष्टाचार, जातिवाद, और पर्यावरणीय संकट का विश्लेषण करके उनके समाधान के लिए वैकल्पिक तरीके सुझाते हैं। उदाहरण के लिए, मार्क्सवादी सिद्धांत आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए साम्यवादी व्यवस्था का प्रस्ताव करता है।
5. सामाजिक परिवर्तन और सुधार के लिए मार्गदर्शन -
राजनीतिक सिद्धांत केवल वर्तमान स्थिति की व्याख्या तक सीमित नहीं होते, बल्कि सामाजिक परिवर्तन और सुधार के लिए मार्गदर्शन भी प्रदान करते हैं। ये सिद्धांत सुधारवादी या क्रांतिकारी तरीकों से समाज को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करते हैं। उदाहरण के लिए, फ्रांसिसी क्रांति के दौरान स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांतों ने समाज को नई दिशा दी।
निष्कर्ष
राजनीतिक सिद्धांत राजनीति, राज्य, सरकार, न्याय और स्वतंत्रता की व्याख्या करता है। यह समाज, व्यक्ति और इतिहास को समझने में मदद करता है तथा सामाजिक सुधार और नीति निर्माण का मार्ग दिखाता है। इसकी प्रासंगिकता लोकतंत्र, मानवाधिकार और न्याय की स्थिरता में है। यह न केवल राजनीतिक वास्तविकता को स्पष्ट करता है बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने और राजनीति को अधिक उत्तरदायी बनाने में सहायक होता है।
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