NIOS Class-10th Chapter wise Important Topics
गृह विज्ञान (216) | हिंदी में
Ch- 15. समय और ऊजा का प्रबंधन
प्रश्न 38. समय नियोजन के चरणों का मुल्यांकन कीजिए ।
उत्तर - समय नियोजन के चरण इस प्रकार हैं:
- सभी गतिविधियों की सूची तैयार करें: एक निश्चित दिन किए जाने वाले सभी कार्यों की सूची बना लें। ये कार्य हो सकते हैं भोजन करना, सोना, स्कूल जाना, स्कूल का समय तथा गृहकार्य, खेलना, अपनी माँ के साथ खरीदारी के लिए जाना, घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ करने में अपने पिताजी की सहायता करना, घर की साफ- सफाई करना, संगीत व नृत्य की कक्षाओं के लिए जाना आदि।
- लचीले व गैर-लचीले कार्यों का समूह बनाना: सभी कार्यों को दो श्रेणियों में बाँट लें। वे कार्य जिन्हें करने में समय की पाबंदी न हो अर्थात लचीले कार्य जैसे खरीदारी के लिए बाजार जाना। खरीदारी के दिन और समय को परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तित किया जा सकता है और उन्हें अगले दिन के लिए भी टाला जा सकता है। अन्य श्रेणी के कार्य वे हैं जिनके लिए समय की पाबंदी होती है अर्थात गैर लचीले कार्य जैसे स्कूल जाना, संगीत या नृत्य की कक्षाओं में जाना। इन कार्यों को करने का समय निश्चित है और इनमें विलंब या परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
- प्रत्येक कार्य को करने के लिए अपेक्षित समय का अनुमान लगाना: चरण 1 में तैयार की गई सूची में, प्रत्येक कार्य को करने के लिए अपेक्षित समय का आवंटन करें। स्कूल जाने के लिए 7-10 मिनट या 1 घंटे का समय लगता है। स्कूल का पूरा समय 5- 6 घंटे होता है। सूची में उन सभी अन्य कार्यों को भरें जो अल्प समय में निर्धारित गतिविधियों के साथ-साथ किए जा सकते हैं।
- संतुलन बनाना: यह सबसे कठिन कार्य है। प्रत्येक गतिविधि के लिए समय का समायोजन ही संतुलन बनाना है। यह समायोजन का वह चरण है जहाँ लचीले कार्यों तथा गैर-लचीले कार्यों की सूची आपकी सहायता कर सकती है। इसके अतिरिक्त, उन कार्यों को पहले आरंभ करें जिन्हें पूरा करने में अधिक समय लगना है ताकि जब आप तैयार हों तो ये कार्य भी पूरे हो जाएँ।
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प्रश्न 39. समय योजना तैयार करने के लाभ लिखिए ।
उत्तर - समय योजना तैयार करने के लाभ इस प्रकार हैं:
- आप थकान महसूस किए बिना अपने सभी कार्यों को कुशलतापूर्वक संपन्न कर पाएँगे।
- आपको विश्राम तथा आराम के लिए समय मिलता है।
- आपको अपनी रुचि जैसे बाहर के खेल खेलने (क्रिकेट, फुटबाल, वॉलीबाल तथा हॉकी आदि), इंब्राइडरी करने, संगीत सुनने, नृत्य करने, टी.वी. देखने आदि के लिए समय मिलता है।
- आप कम समय में अधिक सृजनात्मक कार्य कर पाते हैं।
- आप अंतिम क्षण के तनावों तथा असमंजस की स्थिति से बच पाते हैं; और
- किए गए कार्य की गुणवत्ता बेहतर होती है।
प्रश्न 40. ऊर्जा बचाने के तरीको का वर्णन कीजिए ।
उत्तर - ऊर्जा बचाने के तरीके निम्नलिखित हैं:
1. कार्य को छोटी-छोटी गतिविधियों में विभाजित करें: एक कार्य को पूरा करने में कई कार्य शामिल होते हैं।
- उदाहरण के लिए कपड़ों की देखभाल और रख-रखाव।
अब कपड़े धोने के इस कार्य को छोटी-छोटी गतिविधियों में विभाजित करने के लिए विभिन्न प्रकार के कपड़ों, सूती-रंग, सफेद आदि को अलग करना, कुछ समय के लिए कपड़ों को साबुन/डिटर्जेंट के घोल में डुबाना; गंदे क्षेत्रों को रगड़ना आदि। इसमें साबुन/डिटर्जेंट निकालना भी शामिल है। फिर इन्हें निचोड़कर बाहर रख देना चाहिए या सूखने के लिए लटका देना चाहिए।
2. सभी अतिरिक्त संचालनो को हटा दें और गतिविधियों का संयोजित कर ले : कभी-कभी कुछ लोग अधिक भागदौड़ करते हैं और कम काम करते हैं।
- उदाहरण के लिए, आपके घर कुछ मेहमान आते हैं और आपको उन्हें पानी पिलाना है। आप किचन में जाते रहिए और एक-एक गिलास पानी लाते रहिए. इसके बजाय, एक बेहतर विकल्प यह है कि गिलासों को एक ट्रे पर लाया जाए और सभी मेहमानों को परोसा जाए। यह हमें ऊर्जा बचाने में भी मदद करता है।
3. गतिविधियों को बेहतर क्रम से करे: ऊर्जा बचाने के लिए गतिविधियों को उचित क्रम में किया जाना चाहिए। कुछ कार्य अन्य गतिविधियों से पहले और कुछ बाद में करने पड़ते हैं।
- उदाहरण के लिए, यदि झाड़ू लगाने से पहले फर्श पर धूल झाड़ दी जाए तो धूल वापस फर्नीचर पर जम जाएगी।
4. अपने कार्य में अधिक कुशल बनना: कार्यों को करने में कुशल होने से काम करना आसान हो जाता है। इससे काफी ऊर्जा की बचत होती है।
- उदाहरण के लिए, रजिता साइकिल चलाना सीख रही है। उनके पिता सहारा और संतुलन प्रदान करने के लिए साइकिल को पीछे से पकड़ते हैं। वह लगातार अपने सीखने की निगरानी कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वह सुरक्षित रहें और धीरे-धीरे साइकिल चलाने का कौशल सीख सकें।
5. सही मुद्रा का प्रयोग करना: सही मुद्रा बनाए रखने से मांसपेशियों पर तनाव कम होता है और शरीर का संरेखण अनुकूलित होता है। इससे शरीर को सहारा देने और हिलाने-डुलाने के लिए आवश्यक ऊर्जा कम हो जाती है, जिससे थकान और परेशानी नहीं होती।
- उदाहरण के लिए, पढ़ाई करते समय कुर्सी पर सीधा बैठना जरूरी है। लंबे समय तक गलत मुद्रा में पढ़ाई करने से गर्दन और पीठ में दर्द हो सकता है।
6. सही ऊंचाई पर काम करें और वस्तुओं को प्रयोग के स्थान के समीप रखे: फर्श पर बैठकर कपड़े इस्त्री करने की कोशिश लंबे समय तक नहीं की जा सकती, क्योंकि काम करने के लिए आपको झुकना पड़ता है। आप थक जाएंगे और संभवतः आपकी पीठ में दर्द होने लगेगा। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस्त्री करने का स्थान नीचा होता है और इस्त्री करते समय या भोजन पकाते समय या कोई कार्य लिखते समय आरामदायक नहीं होता है। इससे भी अनावश्यक तनाव और थकान होती है।
7. श्रम बचाने वाले उपकरणों का उपयोग करें: विद्युत श्रम-बचत उपकरणों का उपयोग समय और ऊर्जा दोनों को बचाने में मदद करता है। जैसे मसाले पीसने के लिए मिक्सर ग्राइंडर का उपयोग करना या ब्रेड को टोस्ट करने के लिए टोस्टर का उपयोग करना। इससे बहुत सारी ऊर्जा और समय की बचत होती है।
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