Welcome to MVS Blog
प्रश्न 1.
(क) सामवेद में दिए गए गान रूपी नाट्य तत्त्वों की एक सूची बनाइये ।
उत्तर - सामवेद में दिए गए गान रूपी नाट्य तत्त्वों की सूचीः
- तत (वीणा आदि),
- अवनद्ध (मृदंग, पटह आदि)
- सुशीर (वंशी, वेणु आदि) और
- घन (झाल आदि)।
वस्तुतः गीत और वाद्य का समुचित रूप नाट्य के महत्वपूर्ण तत्त्व के रूप में माना गया है।
प्रश्न 2.
(ख) पाँच कार्यावस्थाओं का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर - नाटक की पांच कार्यावस्थाएं इस प्रकार हैं:
1. आरम्भ : कथावस्तु में प्रचुर फल की प्राप्ति के लिए उत्सुकता मात्र होना ही आरम्भ कहलाता है।
2. यत्न : कथावस्तु में फल के प्राप्त न होने पर अत्यन्त वेगपूर्वक उद्योग करना प्रयत्न कहलाता है।
3. प्राप्त्याशा : कथावस्तु में फल प्राप्ति के उपाय (साधन) और अपाय (विघ्न बाधाओं) दोनों के बीच की अवस्था में जब दोनों की खींचातानी में फल प्राप्ति का निश्चय न किया जा सके उसे प्राप्त्याशा कहते हैं।
4. नियताप्ति : कथावस्तु में फल प्राप्ति में बाधाओं के दूर हो जाने से निश्चित फल की प्राप्ति को नियताप्ति कहते हैं।
5. फलागम : कथावस्तु में समग्र फल की प्राप्ति को फलागम कहते हैं।
प्रश्न 3. (ख) प्रतिमानाटक के पाँचवे अंक का संक्षिप्त में सार लिखिए।
Click Here For Full TMA Solution
प्रश्न 4. (क) प्रतिमानाटक के किन्ही दो पात्रों का चरित्र चित्रण लिखिए ।
प्रश्न 5. (क) नागानंद नाटक के रचयिता श्री हर्षवर्धन का सामान्य परिचय लिखिए ।
प्रश्न 6. (ख) रंगमंच के विभिन्न प्रकारों की सूची बनाते हुए उन्हें विस्तार से समझाइए ।
Click Here For Full TMA Solution
0 Response