Political Science: Comparative Political Systems in Hindi Medium

Aug 07, 2025
1 Min Read

प्रश्न 1 - ब्रिटेन की राजनीतिक परंपराओं और संवैधानिक विकास की चर्चा कीजिए। साथ ही, ब्रिटेन के संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-

परिचय

ब्रिटेन, जिसे पूनाइटेड किंगडम (यूके) कहा जाता है, चार देशों इंड स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड से मिलकर बना एक मजबूत और ऐतिहासिक संघ है। इसका संविधान लिखित नहीं है, बल्कि परंपराओं और पुराने दस्तावेजों पर आधारित है, जिसे समय के अनुसार आसानी से ढाला जा सकता है। एक समय बिटिया साम्राज्य इतना विस्तृत था कि कहा जाता था इस पर कभी सूरज नहीं डूबता। इतना विशाल साम्राज्य रहा ब्रिटेन, आज भी दुनिया की राजनीति, व्यापार और कूटनीति में एक प्रभावशाली भूमिका निभा रहा है।

Click Here For Full Notes


ब्रिटेन की शासन प्रणाली और संविधान पर विभिन्न विचारकों के विचार:

  • वाल्टर बाघोट (Walter Bagehot) के अनुसार बाघोट ने अपनी पुस्तक The English Constitution" में ब्रिटिश शासन प्रणाली को 'द्वतीय प्रणाली' के रूप में बतायाः प्रतिष्वान भाग, जो राजा और परंपराओं का प्रतीक है. और प्रभावशाली भाग, जैसे प्रधानमंत्री और कैबिनेट, जो वास्तविक शासन बलाते हैं।
  • डॉ. अम्बेडकर (Dr. Ambedkar) के अनुसार अम्बेडकर ने ब्रिटिश संविधान की प्रशंसा करते हुए कहा था कि यह लिखित न होने के बावजूद अपने लचीलेपन, स्थिरता और प्रभावशीलता के लिए अनोखा है। उन्होंने इसे परंपराओं और व्यवहारिकता के मिश्रण का एक शानदार उदाहरण माना।"

ब्रिटेन का राजनीतिक और संवैधानिक विकास 

ब्रिटेन की राजनीतिक परंपराएँ और उसका संवैधानिक विकास दुनिया की सबसे पुरानी और असरदार व्यवस्थाओं में से एक है। यह व्यवस्था लोकतांत्रिक विचारों, ऐतिहासिक घटनाओं और परंपराओं का ऐसा मेल है, जिसने ब्रिटेन की एक मजबूत और आधुनिक संवैधानिक राजतंत्र तथा संसदीय लोकतंत्र में बदल दिया। जिससे यह प्रणाली आज भी स्थिर, मजबूत और दुनिया के लिए प्रेरणादायक बनी हुई है।

1. मैग्ना कार्टा (1215)


मैग्ना कार्टा वह ऐतिहासिक दस्तावेज था जिसने पहली बार यह स्थापित किया कि राजा भी कानून के अधीन है। इसे 1215 में किंग जॉनने जारी किया, जिससे उसने वादा किया कि वह मनमाने कर नहीं लगाएगा और न्यायपूर्ण शासन करेगा। यह दस्तावेज विधिक प्रक्रिया, स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों की नींव बना। इससे यह स्पष्ट हुआ कि राजा की सत्ता पर भी सीमाएँ होनी चाहिए, जो ब्रिटेन के संवैधानिक विकास की पहली कड़ी है।

2. गौरवमय क्रांति (1688) और बिल ऑफ राइट्स

1688 की गौरवमय क्रांति ब्रिटिश संवैधानिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। इस क्रांति में जेम्स द्वितीय को सत्ता से हटाकर विलियम तृतीय और मेरी द्वितीय को राजसिंहासन पर बिठाया गया। यह क्रांति रक्तहीन थी, इसलिए इसे "गौरवमय" कहा गया। इसने संसद की सर्वोच्चता को स्थापित किया और संवैधानिक राजतंत्र की नींव रखी। 1689 में पारित बिल ऑफ राइट्स ने राजा के दैवी अधिकारों को खारिज करते हुए यह सुनिश्चित किया कि राजा संसद के अधीन रहेगा। इसने नागरिकों के अधिकारों, जैसे स्वतंत्र भाषण और निष्पक्ष सुनवाई, की रक्षा को मजबूत किया। इस प्रकार, गौरवमय क्रांति ने ब्रिटेन में लोकतांत्रिक शासन की दिशा में एक मजबूत कदम उठाया।

3. सुधार अधिनियम (Reform Acts)

19वीं सदी के ब्रिटेन में पारित सुधार अधिनियमों ने लोकतंत्र को और अधिक समावेशी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पहला सुधार अधिनियम, जिसे 1832 का "ग्रेट रिफॉर्म एक्ट" कहा जाता है, ने संसद में प्रतिनिधित्व को सुधारा। बाद में, 1867 और 1884 के सुधार अधिनियमों ने मजदूर वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को मताधिकार प्रदान किया, जिससे लोकतंत्र का दायरा और व्यापक हुआ। 1918 में "Representation of the People Act" ने प्रथम विश्व युद्ध के बाद सीमित रूप में महिलाओं और श्रमिक वर्ग को मतदान का अधिकार दिया, और 1928 तक इसे सभी वयस्कों (adults) तक विस्तारित कर दिया गया। जिसने "सार्वभौमिक मताधिकार" की नींव रखी।

4. संसदीय लोकतंत्र का सशक्तिकरण

सुधार अधिनियमों के प्रभाव से हाउस ऑफ कॉमन्स की शक्ति में निरंतर वृद्धि हुई, जबकि हाउस ऑफ लॉर्ड्स की भूमिका सीमित होती गई। इससे ब्रिटेन में एक सशक्त और प्रतिनिधि लोकतंत्र का उदय हुआ, जहाँ नीति निर्माण में जनता के चुने हुए प्रतिनिधि निर्णायक भूमिका निभाने लगे। यह परिवर्तन संवैधानिक विकास का ऐसा चरण था जिसने लोकतंत्र को व्यवहारिक और उत्तरदायी बनाया।

Click Here For Full Notes

ब्रिटेन के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ :

1. अलिखित लेकिन व्यवस्थित संविधान- ब्रिटेन का संविधान किसी एक किताब या दस्तावेज़ में नहीं लिखा गया है। यह संसद के बनाए कानूनों, कोर्ट के फैसलों, पुरानी परंपराओं और ऐतिहासिक दस्तावेजों (जैसे मैग्ना कार्टा) से मिलकर बना है। इस वजह से यह समय के अनुसार बदल सकता है और नई परिस्थितियों के साथ खुद को ढाल सकता है। इसी कारण यह दुनिया का सबसे पुराना और सफल अलिखित संविधान माना जाता है।


2. संसद की सर्वोच्चता- ब्रिटेन में संसद को सबसे बड़ी संस्था माना गया है। इसका मतलब है कि संसद जो भी कानून बनाती है, वह आखिरी होता है और उसे कोई अदालत भी रद्द नहीं कर सकती। संसद को पुराने कानूनों को बदलने या खत्म करने की पूरी आज़ादी होती है। यही कारण है कि ब्रिटेन में संसद को सबसे ताकतवर विधायी संस्था माना जाता है।


3. लचीला संविधान- ब्रिटेन का संविधान बहुत लचीला है, क्योंकि इसे बदलने के लिए किसी कठिन प्रक्रिया की ज़रूरत नहीं होती। संसद अगर चाहे तो सामान्य कानून की तरह संविधान में बदलाव कर सकती है। इस लचीलेपन की वजह से संविधान समय के साथ बदलती ज़रूरतों को आसानी से अपनाता है और प्रशासन को स्थिर बनाता है।


4. संवैधानिक राजतंत्र- ब्रिटेन में राजा या रानी केवल औपचारिक राष्ट्रप्रमुख होते हैं। असली सत्ता चुनी हुई सरकार के पास होती है, जो जनता और संसद के प्रति ज़िम्मेदार होती है। सम्राट सभी काम सरकार की सलाह से करते हैं। इस व्यवस्था में राजतंत्र और लोकतंत्र के बीच संतुलन बना रहता है और शासन जनता के नियंत्रण में रहता है।


5. कॉमन लॉ और परंपराओं पर आधारित शासन- ब्रिटेन के संविधान में कई नियम कानूनों की जगह परंपराओं और अदालतों के पुराने फैसलों पर आधारित होते हैं। इन नियमों को 'संवैधानिक सम्मेलन' कहा जाता है। ये भले ही लिखित न हों, लेकिन सरकार इन्हें मानती है और इन्हें तोड़ा नहीं जाता। इससे संविधान को स्थिरता और निरंतरता मिलती है।


निष्कर्ष :

ब्रिटेन की राजनीतिक परंपराएँ और संवैधानिक विकास विश्व की सबसे स्थिर, प्राचीन और व्यावहारिक व्यवस्थाओं में से एक हैं। इसकी अलिखित लेकिन व्यवस्थित संवैधानिक प्रणाली, संसद की सर्वोच्चता, लचीलापन, संवैधानिक राजतंत्र और परंपराओं पर आधारित शासन इसे अद्वितीय बनाते हैं। इसी कारण ब्रिटेन की शासन प्रणाली आज भी सफल और दुनिया के लिए मिसाल है।

Click Here For Full Notes

What do you think?

0 Response