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B.A PROG. (NOTES)
Political Science: Perspectives on Public Administration
6TH SEMESTER
प्रश्न 1 – कौटिल्य के अर्थशास्त्र को प्रशासनिक प्रणाली और राजनीतिक रणनीतियों का पथप्रदर्शक ग्रंथ माना जाता है। उनके विचार लोक प्रशासन में किस प्रकार योगदान देते हैं? चर्चा कीजिए।
अथवा
लोक प्रशासन के विकास में कौटिल्य के योगदान का संक्षेप में परीक्षण कीजिए।
उत्तर – .
परिचय:
लोक प्रशासन का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसकी शुरुआत यूनान, मिस्र और रोम जैसी सभ्यताओं से हुई, जहाँ लोगों के लिए कानून, व्यवस्था और न्याय बनाए रखने के लिए प्रशासन की योजनाएँ बनाईं गई। बाद में, इस प्रणाली को रोमन कैथोलिक चर्च और बीजान्टिन साम्राज्य ने अपनाया तथा यूरोप के शाही परिवारों ने आधुनिक प्रशासनिक संस्थाओं की नींव रखी, जिससे आज के लोक प्रशासन की संरचना विकसित हुई। अत: यह विषय आज भी शासन व्यवस्था की रीढ़ माना जाता है।
लोक प्रशासन का जनक “वुडरो विल्सन” को माना जाता है। वुडरो विल्सन ने 1887 में "द स्टडी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन" नामक एक लेख में पहली बार लोक प्रशासन को एक स्वतंत्र और वैज्ञानिक अध्ययन विषय के रूप में प्रस्तुत किया।
लोक प्रशासन का अर्थ :
लोक प्रशासन का अंग्रेजी अनुवाद "Public Administration" होता है, जो दो लैटिन शब्दों के संयोजन से बना है। पहला शब्द 'Public' (लैटिन: publicus) है, जिसका अर्थ होता है 'लोग' या 'जनता'। दूसरा शब्द 'Administration' (लैटिन: ad+ministrare) है, जिसका अर्थ है 'प्रबंध' या 'सेवा' करना।
इस प्रकार, लोक प्रशासन का अर्थ होता है - जनता की सेवा करना, उनके कल्याण के लिए कार्य करना, और प्रशासन को जनता के हित में संचालित करना। यह प्रशासन जनता के लिए और जनता द्वारा किया जाता है। सरल शब्दों में, “लोक प्रशासन सरकार या प्रशासन का वह रूप है जो समाज के लोगों की जरूरतों और हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य करता है।“
विभिन्न विचारकों द्वारा लोक प्रशासन की परिभाषाएं :
वुडरो विल्सन के अनुसार, "कानून को विस्तृत एवं क्रमबद्ध रूप से क्रियान्वित करने का नाम ही लोक प्रशासन है। कानून को क्रियान्वित करने की प्रत्येक क्रिया एक प्रशासकीय क्रिया है।"
एल. डी. व्हाइट के शब्दों में, "लोक प्रशासन में वे सभी कार्य आ जाते हैं जिनका उद्देश्य सार्वजनिक नीतियों को पूरा करना या लागू करना होता है।"
हर्बर्ट साइमन के अनुसार, "सामान्य प्रयोग में लोक प्रशासन का अर्थ केंद्रीय, प्रांतीय तथा स्थानीय सरकार की कार्यपालिका शाखाओं की गतिविधियों का अध्ययन है।"
भारत में प्राचीन प्रशासनिक परंपराओं की आधारशिला रखने वाले महान राजनीतिज्ञ, अर्थशास्त्री और दार्शनिक कौटिल्य (चाणक्य) का लोक प्रशासन के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने न केवल प्रशासनिक ढांचे की कल्पना की, बल्कि उसे व्यावहारिक रूप भी प्रदान किया। उनके ग्रंथ ‘अर्थशास्त्र’ को प्रशासनिक प्रणाली और राजनीतिक रणनीतियों का पथप्रदर्शक ग्रंथ माना जाता है।
“कौटिल्य का अर्थशास्त्र”
लोक प्रशासन के विकास में कौटिल्य के विचारों का योगदान :
निष्कर्ष:
कौटिल्य के विचार आधुनिक प्रशासनिक सिद्धांतों का पूर्वानुमान हैं। उनकी सोच केवल वेलफेयर स्टेट, पारदर्शिता और जवाबदेही से नहीं बल्कि, व्यावसायिक प्रशासन के विचारों से मेल खाती है। उन्होंने प्रशासन को केवल सत्ता का साधन नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम माना। अर्थशास्त्र की शिक्षाएँ आज के लोक प्रशासन, नीति निर्धारण और सुशासन के लिए एक दिशा-निर्देश के रूप में कार्य करती हैं।
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