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प्रश्न 1 - क्या आप मानते हैं कि राजनीति की समझ के लिए शक्ति का अध्ययन केन्द्रीय विषय है? कारण बताइए।
अथवा
राजनीति क्या है? इसकी प्रमुख प्रकृतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
परिचय
राजनीति की समझ के लिए शक्ति का अध्ययन केन्द्रीय विषय है। इस विचार के प्रमुख समर्थक कैटलिन और लासवेल हैं जिन्होंने राज्य विज्ञान को 'शक्ति का विज्ञान' कहा है। राजनीति का मूल उद्देश्य शक्ति के वितरण, उपयोग, और निमंत्रण से जुड़ा होता है। शक्ति का अध्ययन हमें समाज के संचालन के साथ-साथ यह भी बताता है कि, निर्णय कैसे लिए जाते है और संसाधनों का न्यायसंगत वितरण कैसे सुनिश्चित किया जाता है।
राजनीति और शक्ति से तात्पर्य
राजनीति का अर्थ:
राजनीति को अंग्रेजी में (Politics) कहते हैं, 'पॉलिटिक्स" शब्द ग्रीक भाषा के "पोलिस शब्द से बना है, जिसका अर्थ नगर-राज्य है। प्राचीन यूनानी लेखक अरस्तू ने अपने महान ग्रंथ "पालिटिक्स का आरंभ इस वाक्य से किया था कि 'मनुष्य स्वभाव से एक राजनीतिक प्राणी है।" ("man is by nature a political animal")
शक्ति का अर्थ :
शक्ति, एक व्यापक और बहुआयामी अवधारणा है जो किसी व्यक्ति, समूह, या संस्था द्वारा दूसरों पर प्रभाव डालने या उनका नियंत्रण करने की क्षमता को दर्शाती है। यह समाज में संसाधनों के वितरण, नीतियों के निर्माण, और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं का प्रमुख आधार है। मॉरगेन्थाऊ और कैटलिनने शक्ति को 'नियन्त्रण' के अर्थ में प्रयुक्त किया है।
राजनीति की समझ के लिए शक्ति का अध्ययन केन्द्रीय विषय है: स्पष्टीकरण
प्राचीन काल के राज-दार्शनिकों और चिंतकों ने शक्ति की धारणा को महत्व दिया था। हालांकि उनका दृष्टिकोण परंपरागत था, और वे अधिकतर राज्य की उत्पत्ति और संस्थागत पहलुओं के अध्ययन पर केंद्रित थे लेकिन उन्होंने शक्ति के महत्व को अनदेखा नहीं किया। मैकाइवर, कौटिल्य, और मोर्गेधाऊ जैसे प्रमुख विचारकों ने शक्ति और उससे जुड़े पहलुओं का गहराई से अध्ययन किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि शक्ति का विषय उनके विचारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
राजनीति में शक्ति के महत्व को बताते हुए विभिन्न विचारकों के विचार:-
कौटिल्प के अनुसार 'कौटिल्य ने तो यह स्पष्ट लिखा है कि 'शक्ति ही सम्पूर्ण सांसारिक जीवन का आधार है।"
1. मेकाइवर के अनुसारः मेकाइवर का मानना है कि शक्ति हर गतिविधि, हर संबंध, और हर प्रक्रिया का आधार है। राजनीति में शक्ति की भूमिका वहीं है जो बाजार अर्थव्यवस्था (मार्केट इकोनॉमी) में धन की होती है।
2. मोर्गेधाऊ के अनुसारः प्रो. हंस जे. मोर्गेधाऊ के अनुसार राजनीति का हर रूप, चाहे वह घरेलू हो या अंतर्राष्ट्रीय, शक्ति संघर्ष की प्रक्रिया पर आधारित होता है।
जार्ज कैटलिन और राजनीति विज्ञान में शक्ति का सिद्धांत :-
राजनीतिशास्ल में जार्ज कैटलिन पहले व्यक्ति थे जिन्होंने एक व्यवस्थित सिद्धांत या संकल्पनात्मक संरचना का विकास किया, जिसमें शक्ति को केन्द्रीय स्थान पर रखा गया था। उन्होंने मैक्स वेबर की उस परिभाषा को स्वीकार किया, जिसमें राजनीति क शक्ति के लिए सं या "शक्ति में रहने वालों को प्रभावित करने की प्रक्रिया बताया गया है।
मैक्स वेबर की अवधारणा "माक्ति के लिए संघर्ष के अनुसार, समाज में विभिन्न समूह और व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए शक्ति प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। यह संघर्ष सत्ता, संसाधनों और निर्णयों पर नियंत्रण पाने के लिए होता है, जो सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करता है।
शक्ति की संकल्पना :-
लासवेल और कैटलिन की रचनाओं में शक्ति की संकल्पना का गहरा विश्लेषण मिलता है। वे लिखते है. "शक्ति की संकल्पना सम्भवतः समस्त राजनीति की मूल संकल्पना है। राजनीतिक प्रक्रिया का अर्थ है -
1. शक्ति को आकार देना
2. शक्ति का वितरण
3. चक्ति का उपयोग करना
1. शक्ति का आकार देना (Shaping Power) शक्ति को आकार देने का अर्थ है, शक्ति के स्रोतों और संरचनाओं का निर्माण करना। इसका तात्पर्य है, कि राज्य या अन्य राजनीतिक संस्थाएं उन नियमों, संस्थाओं, और प्रक्रियाओं को स्थापित करती हैं जो समाज में शक्ति के वितरण और उपयोग को प्रभावित करती है। इसका एक उदाहरण संविधान का निर्माण है, जो राज्य के प्रशासनिक ढांचे की निर्धारित करता है, या चुनावी प्रणाली का विकास, जो व्यक्तियों या पार्टियों को सत्ता में आने की क्षमता प्रदान करता है।
2. शक्ति का वितरण (Distribution of Power): यह वितरण हमेशा समान नहीं होता, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति के आधार पर असमान होता है। उदाहरण के तौर पर, उच्च वर्ग या सम्पन्न व्यक्तियों के पास अधिक शक्ति होती है. जबकि गरीब या हाशिये पर रहने वाले वर्गों के पास कम शक्ति होती है। तासवेल और कैटलिन यह मानते हैं की यह असमानता राजनीतिक संघर्ष, असंतोष और सामाजिक गतिशीलता का कारण बन सकती है।
3. शक्ति का उपयोग (Use of Power) : माक्ति का उपयोग तब होता है जब किसी व्यक्ति, राजनीतिक तंत्र या संस्थान द्वारा अपनी शक्ति का सक्रिय रूप से प्रयोग किया जाता है। यह निर्णय लेने, नीतियाँ बनाने, और शासन के विभिन्न पहलुओं को लागू करने के रूप में होता है। उदाहरण के तौर पर, सरकार द्वारा कानून बनाना, बजट पारित करना, या किसी विरोध को दबाना। यह लोकतंत्र और राजनीतिक प्रणाली के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि सत्ता का प्रयोग व्यवस्था को बनाए रखने, विकास करने और समाज के हित में किया जाए।
अंतत: राजनीति को समझने के लिए मशक्ति का अध्ययन अनिवार्य है। शक्ति के निर्माण, वितरण और उपयोग से न केवल राजनीतिक प्रक्रियाओं को समझा जा सकता है, बल्कि यह भी देखा जा सकता है कि समाज में शक्ति कैसे स्थिरता और असंतोष दोनों को जन्म देती है। राजनीति का केंद्र हमेशा शक्ति और इसके प्रभाव के इर्द-गिर्द घूमता है।
राजनीति का अर्थ- राजनीति का निर्माण राजनीति से मिलकर हुआ है। इसमे राज का मतलब शासन को माना जाता है और नीति शब्द का प्रयोग योजना के लिए प्रयोग किया जाता है। अर्थात राज्य पर शासन करने के लिए ओर राज्य के लोगों के जीवन स्तर को अच्छा करने के लिए सही समय पर सही तरीके से योजना बनाकर शासन करने को ही राजनीति कहते है।
→ गार्नर के अनुसार राजनीति शास्त्र राज्य से आरम्भ होता है तथा राज्य पर समाप्त होता है।" गेटत्त के अनुसार 'राजनीति राज्य के अतीत, वर्तमान तथा भविष्य का अध्ययन है।"
→ डेविड ईस्टन 'राजनीति समाज के भीतर मूल्यवान चीज़ों के प्राधिकृत आवंटन की प्रक्रिया है।"
राजनीति की : प्रकृति
राजनीति- मानव समाज का अभिन्न भाग- द्राय सामाजिक प्राणी है, और राजनीति उसके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सामूहिक समस्याओं का समाधान और साझा भविष्य की योजना बनाने के लिए राजनीतिक प्रक्रियाओं का अभ्यास अनिवार्य है। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारियों और अधिकारों का प्रबंधन करने का माध्यम है।
राजनीतिः एक सामूहिक गतिविधि- राजनीति हमेशा सामूहिक भागीदारी पर आधारित होती है।
यह उन लोगों को शामिल करती है, जो किसी सामान्य उद्देश्य या साझा भविष्य को स्वीकार करते है। उदाहरण के लिए, राजनीति का अभ्यास तभी संभव है जब लोग आपस में सहयोग और संवाद के लिए तैयार हों।
संचारः राजनीति का केंद्रबिंदु- राजनीति वाद-विवाद, संवाद और तर्क-वितर्क के माध्यम से
समाधान खोजने पर केंद्रित होती है। समूह में लिए गए राजनीतिक निर्णय अक्सर सभी सदस्यों के लिए अनिवार्य हो जाते हैं, और इन्हें लागू करने के लिए आवश्यक होने पर बल का उपयोग भी किया जाता है।
निष्कर्ष
राजनीति में शक्ति केंद्रीय और अनिवार्य तत्व है, शक्ति केवल सैन्य या आर्थिक रूप में ही नहीं, बल्कि वैचारिक, संस्थागत और सांस्कृतिक रूपों में भी प्रकट होती है। इसका सही उपयोग सामाजिक संतुलन, न्याय और विकास सुनिश्चित करता है, जबकि इसका दुरुपयोग असमानता और संघर्ष की जन्म देता है।
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