Western Political Philosophy-I in Hindi DU SOL B.A Program Semester 4th/5th

Aug 22, 2025
1 Min Read

प्रश्न 1 राजनीतिक दर्शन का अध्ययन क्यों और कैसे करना चाहिए? स्किनर के ऐतिहासिक विसंगतियों के विचार का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

परिचय

राजनीतिक दर्शन दर्शनशास्त्र की एक शाखा है। राजनीतिक दर्शन यह निर्धारित करना चाहता है कि एक आदर्श सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था का स्वरूप कैसा होना चाहिए, इसका मुख्य उद्देश्य यह समझना है कि सरकार क्या है, इसका गठन किस प्रकार होना चाहिए, एक अच्छा समाज कैसे बनाया जा सकता है, और इसके लिए कौन से सिद्धांत, मूल्य, और नीतियाँ महत्वपूर्ण हैं। इसके विषयों में राजनीति, न्याय, स्वतंत्रता, संपत्ति, कानून और अधिकार शामिल हैं।

Click Here For Full Notes

राजनीतिक दर्शन का अध्ययन क्यों करना चाहिए :

राजनीतिक दर्शन केवल बौद्धिक बहस नहीं है, यह व्यक्ति के सामाजिक जीवन और राजनीतिक जीवन की महत्वपूर्ण गतिविधियों से जुड़ा है, इसलिए इसका अध्ययन महत्वपूर्ण हो जाता है। यह हमें सोचने का नया नजरिया भी देता है कि समाज कैसा होना चाहिए, नागरिकों के अधिकार और कर्तव्यों का स्वरूप क्या होना चाहिए आदि। जॉन रॉल्स ने राजनीतिक दर्शन की निम्नलिखित भूमिकाओं पर चर्चा की है -

1. व्यावहारिक भूमिका : जब कोई राजनीतिक संघर्ष या विवाद होता है, तो राजनीतिक दर्शन हमें उस विवाद को समझने और सुलझाने के लिए एक सामान्य आधार खोजने में मदद करता है। इससे विवाद पर ध्यान केंद्रित कर हम बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं।
2. अभिविन्यास (दिशा): राजनीतिक दर्शन हमें समाज और राजनीतिक संस्थाओं के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करता है। यह हमें खुद को एक नागरिक और समाज के भागीदार के रूप में देखने और समझने में मदद करता है।
3. सामंजस्य : समाज की विभिन्न संस्थाओं और उनके इतिहास को समझकर, हम उनकी मौजूदा स्थिति और उनमें दिखाई देने वाली विसंगतियों के साथ तालमेल बिठा सकते हैं। इससे हम समाज के विभिन्न पहलुओं को बेहतर ढंग से स्वीकार कर पाते हैं।
4. व्यावहारिक संभावनाओं की जाँच : राजनीतिक दर्शन हमें एक ऐसा भविष्य सोचने में मदद करता है जो हमारे आदर्शों के अनुरूप हो, लेकिन यथार्थवादी भी हो। ये हमें यह भी समझने में मदद करता है कि समाज में कौन से बदलाव संभव हैं और कौन से नहीं।

Click Here For Full Notes


राजनीतिक दर्शन का अध्ययन कैसे करना चाहिए :

1. समय और ऐतिहासिक संदर्भ को समझें: राजनीतिक विचारकों के विचारों को समझने के लिए उस समय की सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक स्थितियों का ज्ञान होना आवश्यक है। हर विचारक के विचार उसके समय की समस्याओं और आवश्यकताओं से प्रभावित होते हैं। इसलिए, विचारों को सही ढंग से समझने के लिए हमें उस युग के संदर्भ में सोचना चाहिए।
उदाहरण के लिए, थॉमस हॉब्स ने अपने समय में चल रहे अंग्रेजी गृहयुद्ध (Civil War) से प्रभावित होकर समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए "सामाजिक अनुबंध" (Social Contract) का सिद्धांत प्रस्तुत किया।

2. आधुनिक दृष्टिकोण से तुलना करें: पुराने राजनीतिक विचारों और सिद्धांतों को समझते समय, उन्हें आज के समय के संदर्भ में देखना महत्वपूर्ण है। इतिहास में दिए गए कई विचार उस समय के विशेष हालात और चुनौतियों के समाधान के लिए बनाए गए थे, लेकिन उनमें से कई विचार आज भी प्रासंगिक हैं।
उदाहरण के लिए, मार्क्स का पूंजीवाद पर आलोचना का सिद्धांत उनके समय में श्रमिकों के शोषण को उजागर करने के लिए था। आज भी यह सिद्धांत उन स्थितियों को समझने में मदद करता है जहाँ श्रमिकों के अधिकारों का हनन होता है।

Click Here For Full Notes

स्किनर के 'ऐतिहासिक विसंगतियों के विचार :

स्किनर के अनुसार राजनीतिक दर्शन का अध्ययन करने का सही तरीका यह है कि किसी भी विचार को एक निश्चित दिशा में ही नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने से हमें उस विचार और इसके उद्देश्य को समझने में कठिनाई होती है और यह ऐतिहासिक रूप से निष्पक्ष अध्ययन नहीं होता। स्किनर हमें विद्वान की कई प्रवृत्तियों के खिलाफ चेतावनी देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन विचारकों के विचारों के विवरण सामने आते हैं जिन्हें स्किनर "ऐतिहासिक विसंगति" कहते हैं।

1. सिद्धात के मिथक का पहला रूप (First Form of Mythology of Doctrine)

  • सिद्धांत के मिथक का पहला रूप यह है कि जब हम किसी प्राचीन विचारक की जीवनी लिखते हैं, तो हम उन्हें अक्सर ऐसे विचारों का जनक मान लेते हैं जो आज हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसे स्वतंत्रता या लोकतंत्र। हम यह मान लेते हैं कि ये विचार हमेशा से मौजूद थे और सही समय पर पूरी तरह से उभरने का इंतजार कर रहे थे।
  • इससे ऐसा प्रतीत होता है कि पुराने विचारक हमारे आधुनिक समाज के लिए उपयुक्त मूल्य पहले से ही समझते थे। विद्वानों का अध्ययन इसी आधार पर किया जाता है कि उनके सिद्धांत हमारे आज के मूल्यों से कितने मेल खाते हैं, बजाय इसके कि हम उनके विचारों को उनके समय के संदर्भ में समझें।

2. सिद्धांत के मिथक का दूसरा रूप (The Second Form Of Mythology Of Doctrine)

  • यह पहले रूप का विपरीत है। सिद्धांत के मिथक का दूसरा रूप यह है कि हम किसी प्राचीन विचारक की आलोचना इसलिए करते हैं क्योंकि वे किसी विचार को उसके शिखर तक नहीं ले जा सके।
  • उदाहरण के लिए, कुछ लोग लॉक की आलोचना करते हैं कि उन्होंने सार्वभौमिक मताधिकार पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाया। इस तरह, विचारकों को उनके अधूरे प्रयासों के लिए आलोचना मिलती है।

Click Here For Full Notes

3. सुसंगति का मिथक (Mythology of Coherence)

  • सुसंगति का मिथक यह मानता है कि प्रसिद्ध शास्त्रीय विचारकों का दर्शन एक संगठित और बंद प्रणाली (Closed-Coherent System) है, जिसमें कोई असंगति (incoherence) नहीं होनी चाहिए।
  • अगर किसी पाठक को विचारों में असंगति दिखती है, तो पाठक का काम है की वह सभी रचनाओं को पढ़े और प्रमाण ढूंढे कि इन सुसंगतियों को कैसे हल किया जा सकता है।
  • स्किनर के अनुसार, यह खतरनाक हो सकता है, क्योंकि इससे पाठक खुद से सुसंगति खोजने की कोशिश करता है, जो शायद असल में वहाँ न हो। विचारकों के विचारों में बदलाव, अधूरे सिद्धांत या रुचि की कमी भी असंगति का कारण हो सकते हैं।

4. प्रोलेप्सिस का मिथक (Mythology of Prolepsis)

  • प्रोलेप्सिस का मिथक यह बताता है कि हम पुराने विचारों को अपने आधुनिक संदर्भ में देखना चाहते हैं और उन्हें हमारी वर्तमान समस्याओं के अनुसार प्रासंगिक मानते हैं। अगर हम पुरानी रचनाओं को आज के नजरिए से देखते हैं, तो उस समय के लेखक की असली सोच और मकसद को समझना मुश्किल हो जाता है।
  • उदाहरण के लिए, कार्ल पॉपर ने प्लेटो को स्वतंत्रता का विरोधी बताया, जबकि प्लेटो की सोच उस समय के हिसाब से अलग थी। इसी तरह, मैकियावेली को पहला "आधुनिक" राजनीतिक विचारक माना जाता है, लेकिन यह हमारे दृष्टिकोण पर आधारित है, उनकी असल मंशा पर नहीं। जब हम किसी विद्वान को दूसरे से प्रभावित मानते हैं, तो इसके लिए ठोस ऐतिहासिक प्रमाण की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष

स्किनर का मानना है कि इन 'ऐतिहासिक विसंगतियों से बचने के लिए हमें विचारकों को उनके समय, संदर्भ, और समस्याओं को समझते हुए ही देखना चाहिए, न कि हमारे आधुनिक मानकों से। हमें विचारकों के सिद्धांतों का अध्ययन ऐतिहासिक निष्पक्षता के साथ करना चाहिए, ताकि उनके मूल विचारों और योगदान का सही आकलन किया जा सके।

Click Here For Full Notes

What do you think?

0 Response