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उत्तर - परिचय
कार्यालयी हिंदी का अभिप्राय उस हिंदी से है जिसका प्रयोग सरकारी कार्यालयों के दैनिक कार्यों में होता है। दूसरे शब्दों में वह हिंदी जिसका प्रयोग वाणिज्यिक, पत्राचार, प्रशासन, व्यापार, चिकित्सा, योग, संगीत, विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों में होता है उसे “कार्यालयी या “कामकाजी हिंदी” कहते हैं।
"कार्यालयी हिंदी" शब्द का अर्थ होता है "ऑफिसियल हिंदी" या "दफ्तरी हिंदी"। यह एक ऐसी भाषा है जो ऑफिस, सरकारी संस्थान, विभाग, और कंपनियों में काम करने के लिए उपयुक्त होती है। यह वह भाषा है जो आपको व्यवसायिक पत्रों, सरकारी नोटिस, अधिसूचनाएं, और अन्य सामग्री से अवगत कराती है, जो एक ऑफिसियल या दफ्तरी माहौल में प्रयोग की जाती है।
कार्यालयी हिंदी का निम्नलिखित उदाहरण:
भारतीय संविधान' में राजभाषा संबंधी प्रावधान:
भारत की आजादी के बाद भारत के स्वाभिमान और उसकी गरिमा के पक्ष में 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को 'राजभाषा' के रूप में स्वीकार किया गया। कार्यालयी हिंदी सरकारी कार्यालयों और उससे सम्बद्ध प्रतिष्ठानों में प्रयोग में ली जाने वाली हिंदी से है जिसे भारतीय संविधान में 'राजभाषा' के रूप में जाना जाता है। राज-काज की भाषा होने के कारण ही इसे राजभाषा शब्द से भी संबोधित किया जाता है।
डॉ. उषा तिवारी के अनुसार- “सरकारी कामकाज में प्रयुक्त होने वाली भाषा को प्रशासनिक हिंदी या कार्यालयीन हिंदी कहा जाता है, हिंदी का वह स्वरूप जिसमें प्रशासन के काम में आने वाले शब्द, वाक्य अधिक प्रयोग में आते हों।”
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343(1) के अनुसार हिंदी हमारे देश की राजभाषा है। इस अनुच्छेद में यह व्यवस्था है कि संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।
14 सितम्बर, 1949 को भारतीय संविधान में अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा सम्बन्धी प्रावधानों का उल्लेख किया गया है। इन अनुच्छेदों को चार अध्यायों में विभाजित किया गया। उन सांवैधानिक प्रावधानों को यहाँ दिया जा रहा है-
अनुच्छेद 343 - संघ की राजभाषा
इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी, संसद उक्त पन्द्रह वर्ष की अवधि के पश्चात् विधि द्वारा, अंग्रेज़ी भाषा का या अंकों के देवनागरी रूप का ऐसे प्रयोजनों के लिए प्रयोग संबंधित कर सकेगी जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट किए जाये।
निष्कर्ष
भारतीय संविधान केंद्र सरकार के लिए हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देता है, लेकिन अंग्रेजी और अन्य भाषाओं के उपयोग की अनुमति देकर देश की भाषाई विविधता का भी सम्मान करता है। प्रावधानों का उद्देश्य हिंदी को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय भाषाओं को संरक्षित करने, पूरे देश में प्रभावी शासन और समावेशिता सुनिश्चित करने के बीच संतुलन बनाना है।
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