IGNOU MED - 002 सतत विकास : मुद्दे और चुनौतियाँ Notes In Hindi Medium

Aug 31, 2025
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IGNOU MED - 002 सतत विकास : मुद्दे और चुनौतियाँ Notes In Hindi Medium

प्रश्न 1 - सतत विकास की परिभाषा लिखिए। सततशीलता से क्या तात्पर्य है? सततशीलता बनाए रखने के लिए हर्मन डेली द्वारा दिए गए तीन विशेष नियमों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर -

परिचय

आज के समय में विकास की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए जा रहे हैं, लेकिन यह विचार करना आवश्यक है कि यह विकास पर्यावरण, प्राकृतिक संसाधनों और भविष्य की पीढ़ियों के हितों को ध्यान में रखते हुए हो। इसी सन्दर्भ में "सतत विकास" और "सततशीलता" की अवधारणाएं सामने आई हैं, जो वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए संतुलित और समग्र विकास की मांग करती हैं।

सतत विकास (Sustainable Development) की परिभाषा: सतत विकास वह प्रक्रिया है जो पर्यावरण की रक्षा करते हुए वर्तमान पीढ़ी की समाजिक, आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करती है। इसका लक्ष्य है कि आने वाली पीढ़ियों को भी जीवन के सभी संसाधन मिल सकें।

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सतत विकास के प्रमुख लक्ष्य

  • परिस्थितिकी तंत्र की रक्षा: मिट्टी, जल, वन और जैव-विविधता को बचाना।
  • सामाजिक न्यायः विकास के लाभ सभी तक पहुँचे, केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों तक नहीं।
  • दीर्घकालिक आर्थिक उन्नतिः ऐसी तरक्की जो सीमित संसाधनों का ज़्यादा उपयोग किए बिना टिके।

सततशीलता (Sustainability) का अर्थ सततशीलता का मतलब है प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण को इस तरह बनाए रखना कि उनका इस्तेमाल लंबे समय तक किया जा सके, बिना उन्हें नष्ट किए। यह तीन मुख्य पहलुओं पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक संतुलन को बनाए रखने पर बल देती है।

हर्मन डैली का योगदान :

हैर्मन डेली (Herman Daly) एक प्रसिद्ध अमेरिकी पर्यावरण-अर्थशास्त्री थे जिन्होंने "स्थायी विकास" (Sustainable Development) की अवधारणा को स्पष्ट रूप दिया। वे "सततशीलता" (Sustainability) के समर्थक थे और मानते थे कि अर्थव्यवस्था को प्रकृति की सीमाओं के अनुरूप संचालित होना चाहिए। उन्होंने पर्यावरणीय संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए तीन प्रमुख नियम दिए, जो आज वैश्विक नीति-निर्माण और पर्यावरणीय नियोजन का आधार बन चुके हैं।

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हर्मन डैली द्वारा दिए गए सततशीलता के तीन नियम :

1. नवीकरणीय संसाधनों का प्रयोग उनकी पुनःपूर्ति की दर से अधिक न हो - नवीकरणीय संसाधन जैसे: जल, जंगल, मछली आदि- सीमित मात्रा में और समय के साथ पुनः उत्पन्न होते हैं। डैली का कहना है कि इनका उपयोग उनकी पुनर्जनन दर से अधिक नहीं होना चाहिए। जिससे वे स्वाभाविक रूप से पुनर्जीवित हो सकें।

उदाहरणः यदि एक जंगल हर वर्ष 5% बढ़ता है, तो उससे अधिक लकड़ी नहीं काटनी चाहिए।

2. अ-नवीकरणीय संसाधनों का प्रयोग वैकल्पिक संसाधनों के विकास के साथ किया जाए- मेर नवीकरणीय संसाधन (जैसे कोयला, पेट्रोलियम, खनिज) सीमित हैं। डैली के अनुसार, इनका उपयोग इस दर से होना चाहिए कि जब तक वे समाप्त हों, तब तक उनके नवीकरणीय विकल्प (जैसे सौर ऊर्जा, बायोफ्यूल) तैयार हो जाएँ।

उदाहरण: तेल की जगह धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक वाहनों और सौर ऊर्जा की ओर बढ़ना।

3. प्रदूषण की सीमा पर्यावरण की आत्मशुद्धिकरण क्षमता से अधिक न हो- प्रदूषण और अपशिष्ट का उत्सर्जन इतना ही होना चाहिए जितना पर्यावरण उसे बिना हानि के समाहित कर सके। यदि प्रदूषण अधिक हो गया, तो पारिस्थितिकी तंत्र पर गंभीर संकट आ सकता है।

उदाहरण: कार्बन डाइऑक्साइड इतनी ही होनी चाहिए, जितनी जंगल और समुद्र आसानी से सोख सकें।

निष्कर्ष

हर्मन डेली के ये तीन नियम केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा नहीं दिखाते, बल्कि सतत विकास और सततशीलता के मूल सिद्धांतों को भी स्पष्ट करते हैं। ये नियम एक न्यायपूर्ण, दीर्घकालिक और संतुलित विकास के मॉडल की ओर इशारा करते हैं। आज के समय में जब संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है, डेली की सततशीलता संबंधी सोच और भी अधिक प्रासंगिक हो गई है।

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