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प्रश्न 1 - क्या आप सहमत हैं कि मानव प्रकृति मूल रूप से आक्रामक है? नकारात्मक और सकारात्मक शांति से आप क्या समझते हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
परिचय
मानव प्रकृति को समझने के लिए तीन प्रमुख दृष्टिकोण दिए हैं:
1. मानव स्वभाव मूलतः शांत होता है
इस मत के अनुसार, इंसान का असली स्वभाव शांत, दयालु और सहयोगी होता है। उसमें करुणा, प्रेम और सहानुभूति जैसी भावनाएँ जन्म से ही मौजूद होती हैं। कई धार्मिक परंपराएँ मानती हैं कि इंसान ईश्वर की एक विशेष रचना है, जो अच्छा और नैतिक जीवन जीने की क्षमता रखता है। वह खुद अपने भविष्य को गढ़ता है और लगातार सुधार की ओर बढ़ता है। इसलिए, माना जाता है कि मानव स्वभाव मूलतः शांतिपूर्ण होता है।
2. मानव स्वभाव मूलतः आक्रामक होता है
इस मत के अनुसार, इंसान के भीतर स्वाभाविक रूप से क्रोध, लालच और हिंसा की प्रवृत्ति होती है। कई धर्म मानते हैं कि इंसान में अच्छाई और बुराई दोनों होती हैं और उनके बीच संघर्ष चलता रहता है। ईसाई धर्म में 'मूल पाप' और बौद्ध धर्म में इच्छाओं को संघर्ष का कारण बताया गया है। मनोवैज्ञानिक भी मानते हैं कि कठिन परिस्थितियों में इंसान आक्रामक बन सकता है। इसलिए यह मत कहता है कि मानव स्वभाव मूल रूप से हिंसक और स्वार्थी होता है।
3. मानव स्वभाव सामाजिक संबंधों से रूपांतरित होता है
इस मत के अनुसार, इंसान न तो पूरी तरह शांत होता है और न ही आक्रामक। उसका स्वभाव समाज, रिश्तों और माहौल से बनता है। जब लोग आपस में जुड़ते हैं, संवाद करते हैं और साथ काम करते हैं, तब उनका व्यवहार आकार लेता है। यह दृष्टिकोण मानता है कि मानव स्वभाव कोई स्थायी चीज नहीं है, बल्कि शिक्षा, संस्कृति और अनुभवों से लगातार बदलता रहता है।
नकारात्मक और सकारात्मक शांति :
शांति
शांति की नकारात्मक और सकारात्मक अवधारणा
निष्कर्ष
अंततः, यह कहना अधिक उचित होगा कि मानव स्वभाव मूलतः न तो पूरी तरह आक्रामक है और न ही शांतिपूर्ण, बल्कि वह सामाजिक परिस्थितियों से ढलता है। इसी तरह, शांति केवल संघर्ष की अनुपस्थिति नहीं, बल्कि न्याय, समानता और सहयोग की उपस्थिति से बनती है। इसलिए सकारात्मक शांति की स्थापना ही एक स्थायी, मानवीय और संतुलित समाज की नींव रख सकती है।
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