IGNOU MPS-004 Comparative Politics: Issues and Trends Notes In Hindi Medium

Aug 31, 2025
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IGNOU MPS-004 Comparative Politics: Issues and Trends Notes In Hindi Medium

प्रश्न 1: नागरिक समाज क्या है? राज्य के साथ इसके संबंध पर चर्चा करें और अलग-अलग नजरियों से नागरिक समाज के बारे में बताएं। ( जून 2010 प्रश्न 2, जून 2011 प्रश्न 3, जून 2012 प्रश्न 3, दिसंबर 2012 प्रश्न 5(a), जून 2013 प्रश्न 3, जून 2014 प्रश्न 5, जून 2015 प्रश्न 4, दिसंबर 2015 प्रश्न 5(a), जून 2016 प्रश्न 4(a), दिसंबर 2016 प्रश्न 2, दिसंबर 2017 प्रश्न 3, जून 2018 प्रश्न 5, दिसंबर 2018 प्रश्न 5, जून 2019 प्रश्न 3, प्रश्न 5(d), जून 2020 प्रश्न 4, दिसंबर 2020 प्रश्न 4, जून 2021 प्रश्न 5(b), प्रश्न (10b), दिसंबर 2021 प्रश्न 5,  दिसंबर 2022 प्रश्न 5(c), दिसंबर 2023 प्रश्न 3,  जून 2024 प्रश्न 3 )

उत्तर:

नागरिक समाज (Civil society)
नागरिक समाज, नागरिकों के संगठित, अपनी मर्जी से बनाए गए, और सार्वजनिक रूप से काम करने वाले समूहों का जीवन है। ये समूह राज्य (सरकार) और बाज़ार से अलग काम करते हैं, लेकिन उनके साथ बातचीत भी करते हैं। नागरिक समाज को सामाजिक जीवन का एक ऐसा क्षेत्र माना जाता है जो राज्य, अर्थव्यवस्था और निजी पारिवारिक दायरे से अलग है, फिर भी इन सबके साथ जुड़ा हुआ है। समय के साथ इसके रूप बदलने के कारण इसे ठीक-ठीक परिभाषित करना मुश्किल है।

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स्वरूप (Nature):

बातचीत का क्षेत्र (Sphere of Interaction): यह अर्थव्यवस्था और राज्य के बीच मौजूद है।

बनावट (Composition): इसमें अपनी मर्जी से बने संगठन, सामाजिक आंदोलन, सार्वजनिक संवाद के तरीके, और निजी दायरे (जैसे परिवार, हालांकि इसे कभी-कभी अलग माना जाता है) शामिल हैं। इसमें चर्च, मोहल्ला समूह, दान संस्थाएं, क्लब, स्वतंत्र मीडिया, विश्वविद्यालय, थिंक टैंक (विचार समूह) आदि जैसे संगठन आते हैं।

अपनी मर्जी से बना और खुद से विकसित (Voluntary & Self-Generated): इसमें भागीदारी आमतौर पर अपनी मर्जी से होती है, और ये संगठन अक्सर समाज की ज़रूरतों और हितों से अपने आप बनते हैं, और ज़्यादातर अपना खर्च खुद उठाते हैं।

स्वतंत्रता और कानूनी सीमाएँ (Autonomy & Legal Boundaries): यह सीधे सरकारी नियंत्रण से आज़ाद है, लेकिन कानूनों के दायरे या आपसी सहमति वाले मूल्यों के तहत काम करता है।

सार्वजनिक सरोकार (Public Orientation): इसमें लोग सार्वजनिक क्षेत्र में मिलकर अपनी रुचि ज़ाहिर करते हैं, सामूहिक लक्ष्य पाने की कोशिश करते हैं, और सरकार से मांग करते हैं, न कि सिर्फ अपने निजी हितों पर ध्यान देते हैं।

अनेकता और विविधता (Pluralism & Diversity): एक स्वस्थ नागरिक समाज की पहचान यह है कि उसमें कई तरह के संगठन होते हैं, जिनके हित अलग-अलग होते हैं और कभी-कभी एक-दूसरे से मिलते भी हैं। इसमें किसी एक का दबदबा नहीं होता।

दूसरे क्षेत्रों से अंतर (Distinction from Other Spheres):

  • यह पूरे समाज से अलग है (जिसमें निजी जीवन भी शामिल है)।
  • यह आर्थिक समाज से अलग (मुनाफे के लिए काम करने वाले व्यवसाय) है।
  • यह राजनीतिक समाज से अलग (सत्ता पाने की कोशिश करने वाले राजनीतिक दल) है।

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नागरिक समाज का राज्य (सरकार) से संबंध (Civil Society's Relationship with the State)

एक-दूसरे पर निर्भरता (Interdependence): यह एक आपसी रिश्ते पर जोर देता है: "नागरिक समाज के सिद्धांत के बिना राज्य का कोई सिद्धांत नहीं हो सकता, और इसी तरह, राज्य के सिद्धांत के बिना नागरिक समाज का कोई सिद्धांत नहीं हो सकता।" राज्य (सरकार) कैसा है (लोकतांत्रिक, तानाशाही) यह उसके नागरिक समाज को देखकर समझा जाता है।

जुड़ाव का स्थान (Site of Interaction): नागरिक समाज वह जगह है जहाँ समाज राज्य (सरकार) के साथ संबंध बनाता है।" यहीं पर सरकार के बाहर संगठित नागरिक सरकार से जुड़ते हैं।

प्रभाव डालना, नियंत्रण नहीं (Influence, Not Control): नागरिक समाज संगठन आमतौर पर सरकारी सत्ता हासिल करने की कोशिश नहीं करते, बल्कि सरकार को प्रभावित करने, उसमें सुधार लाने या उसे जवाबदेह बनाने का लक्ष्य रखते हैं।

अलग-अलग नजरिये (Different Perspectives)

हेगेल (Hegel) ग्राम्शी (Gramsci) मार्क्स (Marx)





हेगेल (Hegel):

इन्होंने एक गहरा विश्लेषण किया जिसमें नागरिक समाज को परिवार (प्राकृतिक एकता/प्रेम का क्षेत्र) और राज्य (सार्वभौमिक नैतिकता का क्षेत्र) दोनों से अलग बताया।

  • नागरिक समाज "ज़रूरतों की व्यवस्था" है, यह आज के समय में पैदा हुए निजी हितों, स्वार्थ और बाज़ार के रिश्तों का क्षेत्र है।
  • लेकिन, यहीं पर निगमों (corporations) और न्याय व्यवस्था के जरिए सार्वभौमिकता (universality) की शुरुआत भी होती है।
  • हेगेल को डर था कि बिना रोक-टोक स्वार्थ लोगों में अलगाव पैदा करेगा। उन्होंने माना कि नागरिक समाज को व्यवस्थित करने और उसमें तालमेल बिठाने की ज़रूरत है, जो अंततः तर्कसंगत राज्य के भीतर अपनी नैतिक पूर्णता कोर निजी सार्वभौमिक का मेल ढूंढेगा।

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मार्क्स (Marx):

मार्क्स इस बात पर हेगेल से सहमत थे कि नागरिक समाज स्वार्थ का क्षेत्र है जो आधुनिक (पूंजीपति) हालात से पैदा हुआ है।

  • उन्होंने हेगेल द्वारा राज्य को बहुत ऊँचा दर्जा देने की आलोचना की। मार्क्स के लिए नागरिक समाज, जो पूंजीवादी उत्पादन संबंधों से बना है. वर्ग संघर्ष, शोषण और अलगाव का मैदान है।
  • राज्य नागरिक समाज से ऊपर कोई निष्पक्ष पंच नहीं है, बल्कि उसी की उपज है, जो ताकतवर (पूंजीपति) वर्ग के हितों को दिखाता है। यह नागरिक
  • समाज के विरोधाभासों को हल करने के बजाय सिर्फ कुछ समय के लिए टालता है।
    बदलाव राज्य के ज़रिए नहीं, बल्कि आर्थिक बुनियाद में क्रांतिकारी बदलाव के ज़रिए नागरिक समाज के भीतर से ही आना चाहिए।

ग्राम्शी (Gramsci):

इन्होंने एक बारीक तरीके से मार्क्सवादी नज़रिया पेश किया जिसमें फर्क बताया:

  • राजनीतिक समाज (Political Society): सीधे दबदबे और ज़ोर-ज़बरदस्ती का क्षेत्र (सरकारी तंत्र जैसे पुलिस, सेना)।
  • नागरिक समाज (Civil Society): वर्चस्व (hegemony) का क्षेत्र, जहाँ सांस्कृतिक, शैक्षिक और धार्मिक संस्थाओं और समूहों के जरिए सहमति बनाई और कायम रखी जाती है।
  • संपूर्ण राज्य (Integral State) में दोनों शामिल हैं। नागरिक समाज वह जगह है जहाँ शासक वर्ग अपना नैतिक और बौद्धिक नेतृत्व स्थापित करता है।
  • अहम बात यह है कि यह संघर्ष का मैदान भी है जहाँ दबे हुए वर्ग शासक वर्ग के वर्चस्व को चुनौती दे सकते हैं और अपने संगठनों और संस्कृति के ज़रिए एक विरोधी-वर्चस्व (counter-hegemony) बना सकते हैं, जो संभवतः बदलाव ला सकता है।

निष्कर्ष (In conclusion): नागरिक समाज की अवधारणा व्यक्ति/परिवार और राज्य तथा अर्थव्यवस्था की औपचारिक व्यवस्थाओं के बीच की जगह को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण नज़रिया देती है। इससे संगठनों के बनने, सार्वजनिक कार्रवाई, लोकतंत्र, शक्ति और सामाजिक बदलाव की प्रक्रियाएं सामने आती हैं।

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