IGNOU MPSE - 002 लैटिन अमेरिका में राज्य एवं समाज Best Notes In Hindi Medium

Aug 31, 2025
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IGNOU MPSE - 002 लैटिन अमेरिका में राज्य एवं समाज Best Notes In Hindi Medium

प्रश्न 1 - 19वीं शताब्दी में चिली के आर्थिक और सामाजिक विकास में खनिजों के महत्व का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

परिचय

19वीं शताब्दी चिली के इतिहास में एक निर्णायक दौर था। 1818 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद, चिली ने एक नए राष्ट्र के रूप में राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास की और कदम बढ़ाया। इस समय तांबा, चांदी और नाइट्रेट जैसे खनिजों की खोज और दोहन से देश की अर्थव्यवस्था को अत्यधिक बल मिला। इन प्राकृतिक संसाधनों के कारण चिली को विदेशी निवेश, तकनीकी ज्ञान और अंतरराष्ट्रीय व्यापार का लाभ प्राप्त हुआ। इससे देश में बुनियादी ढांचे जैसे सड़कों, रेलवे, बंदरगाहों और उद्योगों का तीव्र विकास हुआ। अतः 19वीं शताब्दी का यह काल चिली के आर्थिक विकास की नींव रखने वाला युग बना।

चिली : पर्वतों और समुद्र के बीच बसा

एक अनोखा देश चिली दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी किनारे पर स्थित एक लंबा और पतला देश है। यह देश प्रशांत महासागर और एंडीज पर्वतों के बीच फैला हुआ है। चिली की समुद्री सीमा बहुत लंबी है - लगभग 4,000 मील, लेकिन इसकी चौड़ाई केवल 61 मील है। यह अर्जेंटीना, पेरू और बोलीविया से घिरा हुआ है। यह दक्षिण अमेरिका के उन दो देशों में से एक है, जिनकी ब्राज़ील से कोई सीमा नहीं लगती।

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आर्थिक विकास में खनिजों का महत्व / प्रभाव -

1. नाइट्रेट निर्यात और आर्थिक समृ‌द्धि : 19वीं शताब्दी के मध्य में अटाकामा रेगिस्तान में नाइट्रेट के विशाल भंडारों की खोज ने चिली की अर्थव्यवस्था को बदल दिया। नाइट्रेट, जिसका उपयोग उर्वरकों और बारूद के लिए होता था, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में अत्यधिक मांग में था। 1880 के दशक तक, नाइट्रेट निर्यात चिली के कुल निर्यात का लगभग 50% हिस्सा बन गया।

2. प्रशांत युद्ध और क्षेत्रीय विस्तार: नाइट्रेट और तांबा भंडारों पर नियंत्रण के लिए चिली ने 1879-1883 के बीच पेरू और बोलीविया के खिलाफ प्रशांत युद्ध लड़ा। इस युद्ध में जीत ने चिली को अटाकामा के समृद्ध खनन क्षेत्रों का नियंत्रण दिलाया, जिससे देश की आर्थिक शक्ति में वृद्धि हुई। इस क्षेत्रीय विस्तार ने चिली को नाइट्रेट और तांबे के वैश्विक आपूर्तिकर्ता (supplier) के रूप में स्थापित किया, जिसने अर्थव्यवस्था को और मजबूत किया।

3. रेलवे और परिवहन बुनियादी ढांचे का विकास : नाइट्रेट और तांबा खनन ने परिवहन व्यवस्था को क्रांतिकारी बनाया। नाइट्रेट कंपनियों और स्वतंत्र निवेशकों ने रेलवे नेटवर्क का निर्माण किया, जो खनन केंद्रों से बंदरगाहों तक कम लागत और कम दूरी के मार्ग प्रदान करता था। यह रेलवे नेटवर्क मरुस्थलीय क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि केंद्रीय घाटी और दक्षिणी चिली तक विस्तारित हुआ। इसके अतिरिक्त, वालपाराइसो और इक्विक जैसे बंदरगाहों के विकास ने निर्यात को सुगम बनाया।

4. विदेशी निवेश और तकनीकी प्रगति नावेट और तांबा खनन ने ब्रिटिश और अमेरिकी निवेशकों को आकर्षित किया, जिन्होंने पूंजी और आधुनिक खनन तकनीकों में योगदान दिया। इस विदेशी पूंजी ने खनन प्रक्रियाओं को और कुशल बनाया, जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई। हालांकि, इससे चिली की अर्थव्यवस्था में विदेशी निर्भरता भी बढ़ी, जो दीर्घकाल में एक चुनौती बनी।

5. आर्थिक अस्थिरता और नाइट्रेट उद्योग का पतन नाइट्रेट उद्योग की समृद्धि के बावजूद, इसकी अत्यधिक निर्भरता ने चिली की अर्थव्यवस्था को जोखिम में डाला। 1913-1919 के दौरान, प्रथम विश्व युद्ध और जर्मनी में सिंथेटिक नाइट्रेट के विकास ने चिली के नाइट्रेट निर्यात को 90% से घटाकर 24% तक ला दिया। 1929-33 की वैश्विक मंदीने भी नाइट्रेट उद्योग को प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप खदानें बंद हुई, श्रमिक बेरोजगार हुए, और सरकारी राजस्व में कमी आई। यह आर्थिक अस्थिरता चिली के लिए एक सबक थी कि एकल संसाधन पर निर्भरता जोखिम भरी ही होती है।

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सामाजिक विकास में खनिजों का महत्व / प्रभाव -

1. जनसंख्या वृद्धि और आप्रवासन: नाइट्रेट उद्योग के बढ़ने से चिली के अन्य हिस्सों से लोग उत्तर की ओर, खासकर टरपाका क्षेत्र में काम की तलाश में आने लगे। 1885 से 1895 के बीच यहाँ की जनसंख्या लगभग दो गुनी हो गई। इससे नए शहर बसने लगे, जहाँ मजदूर, व्यापारी और तकनीकी लोग रहने लगे। बंदरगाहों के पास बसे इन शहरों में समाज ज्यादा सक्रिय और गतिशील हो गया।

2. शहरीकरण और सांस्कृतिक विकास: खनन से हुई कमाई का असर शहरों पर दिखा। सैटियागो, इक्विक और वालपाराइसो जैसे शहरों में नये मकान, सड़कें, स्कूल और अस्पताल बने। थिएटर, साहित्यिक कार्यक्रम जैसे सांस्कृतिक आयोजन भी बढ़े। इससे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ और एक नया मध्यम वर्ग पैदा हुआ।

3. मजदूर वर्ग का बनना और असंतोष खनन में काम करने के लिए बड़ी संख्या में मजदूर काम पर लगे। लेकिन काम की स्थिति बहुत कठिन थी जैसे ज़्यादा घंटे, कम तनख्वाह और असुरक्षित माहौल। इससे मजदूरों में नाराज़गी बढ़ी। 19वीं सदी के अंत में मजदूरों ने हड़तालें कीं और यूनियनें बनाई, जो आगे चलकर बड़े सामाजिक आंदोलनों का हिस्सा बनीं।

4. सामाजिक असमानता में वृद्धि: खनिज संपत्ति से जो पैसा आया, उसका फायदा मुख्य रूप से अमीर वर्ग और विदेशी कंपनियों को हुआ। गाँवों और आदिवासी समुदायों, जैसे मापुचे लोगों को इससे कोई लाभ नहीं मिला। मापुचे समुदाय का विरोध 1880 के दशक में दबा दिया गया, जिससे समाज में और भी भेदभाव और तनाव बढ़ा।

5. राष्ट्रीय पहचान और क्षेत्रीय एकता: खनिजों की कमाई से चिली को एक मज़बूत देश के रूप में पहचान मिली। इससे उत्तरी इलाकों को देश की मुख्य अर्थव्यवस्था से जोड़ा गया और एकता बढ़ी। इससे देश की पहचान तो मजबूत हुई, लेकिन विदेशी निवेश पर निर्भरता होने से आत्मनिर्भरता और संप्रभुता पर सवाल भी उठे।

निष्कर्ष
अंततः 19वीं शताब्दी में चिली के आर्थिक और सामाजिक विकास में नाइट्रेट और तांबे की निर्णायक भूमिका रही। नाइट्रेट निर्यात ने वैश्विक व्यापार में चिली की स्थिति मजबूत की, राजस्व बढ़ाया और रेलवे बंदरगाहों का विकास किया। सामाजिक रूप से, शहरीकरण और सांस्कृतिक उत्थान को बढ़ावा मिला, पर मजदूरों की खराब स्थिति और असमानता ने चुनौतियां खड़ी कीं, जो चिली के लिए दीर्घकालिक स्थिरता का सबक बनीं।

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