NIOS Class 10th Home Science (216) Chapter 9th Important Topics

Jul 26, 2025
1 Min Read
NIOS Class 10th Home Science (216) Chapter 9th Important Topics

NIOS Class-10th Chapter wise Important Topics

HOME SCIENCE(216)

पाठ - 9 वस्त्र की देखरेख तथा अनुरक्षण

धुलाई व ड्राई-क्लीनिंग में अंतर

धुलाई

ड्राई- क्लिीनिंग

1. कपड़े से धूल आदि को हटाने के लिए साबुन/डिटर्जेंट तथा पानी का प्रयोग किया जाता है।

1. कपड़े से धूल आदि को हटाने के लिए ग्रीस अवशोषक तथा विलायक का प्रयोग किया जाता है।

2. पक्के रंग वाले कपड़ों को आसानी से धोया जा सकता है।

2. चमड़े तथा फर वाले कपड़े, चुनिंदा रेशम तथा ऊनी कपड़े, जरी वाले तथा महंगे कपड़ों को ड्राईक्लीन किया जाता है।

 

सभी महत्वपूर्ण और सटीक टॉपिक्स तक पहुँचने के लिए यहाँ क्लिक करें!

Click Here: गृह विज्ञान (216) | हिंदी में

धब्बों की पहचान के आधार

(क) रंग : हर धब्बे का एक विशेष रंग होता है। उदाहरण के लिए, सब्जी या अचार के दाग पीले होते हैं जबकि कॉफी और चाय के दाग भूरे व घास के धब्बे हरे होते हैं।

(ख) गंध : कुछ धब्बों की विशेष गंध होती है। उदाहरण के लिए, अण्डे और पेंट के धब्बे। इन धब्बों को इनकी गंध से पहचाना जा सकता है।

(ग) स्पर्श : कुछ धब्बे कपड़ों का स्पर्श परिवर्तित कर देते हैं और इसी आधार पर उन्हें पहचाना जा सकता है। उदाहरण के लिए, पेन्ट और चाशनी के दाग कपड़े को स्पर्श करने में कड़े लगते हैं। जबकि लिपस्टिक व जूते की पॉलिश के दाग कपड़े को चिकना स्पर्श देते हैं।

धब्बे छुड़ाने की विधियाँ

हिना (मेहंदी) का दाग छुड़ाना :

  • ताजा धब्बा आधे घंटे के लिए गुनगुने दूध में डुबाकर रखें।
  • पुराना धब्बा ऊपर लिखित प्रक्रिया को दो से तीन बार दोहराएँ।

स्याही का दाग छुड़ाना :

  • ताजा धब्बा साबुन व ठंडे पानी से साफ करें।
  • पुराना धब्बा

(i) इसे खट्टी छाछ में आधे घंटे के लिए डुबा कर रखें।

(ii) नींबू का रस व नमक लगाकर इसे धूप में रख दें।

(iii) दाग को विरंजित (ब्लीच) करें।

दागों को साफ़ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • जहाँ तक संभव हो दागों को उसी समय साफ कर लेना चाहिए जब वे ताजा हों।
  • नाजुक तथा रंगीन कपड़ों के मामले में, पहले कपड़े के अंदरूनी हिस्से के एक छोटे हिस्से पर या कपड़े के उस हिस्से पर रसायन लगाने का प्रयास करें जो दिखाई नहीं देता है। यदि ऐसा करने पर उस कपड़े या उसके रंग को कोई हानि होती है तो दाग निकालने के लिए उस रसायन का प्रयोग न करें।
  • हल्के व मृदु अनुकर्मकों का प्रयोग करें क्योंकि ये कम हानिकारक होते हैं, चाहे फिर दाग निकलने में कुछ अधिक समय लगे।
  • दाग निकालने के बाद कपड़े को कई बार पानी से साफ करें क्योंकि अभिकर्मक सूखने के पश्चात कपड़े को हानि पहुंचा सकता है।

धुलाई

कपड़ों की लांडरी/धुलाई के चरण

 

 

 

परिसज्जा एजेंट : परिसज्जा एजेंट का प्रयोग कपड़े में अधिक चमक लाने तथा उसे कड़क बनाने और उसे चमकदार व नया रूप प्रदान करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, नील, मांड और स्टार्च।

  • सूती कपड़ों की परिसज्जा के लिए मांड या नील का प्रयोग किया जाता है।
  • रेशमी कपड़ों के लिए भिन्न प्रकार के स्टार्च का प्रयोग किया जाता है, जिसे "गम अरेबिक" कहते हैं।
  • इसी प्रकार सफेद वस्त्रों में चमक लाने के लिए नील तथा चमकदार एजेंट का प्रयोग किया जाता है।

सभी महत्वपूर्ण और सटीक टॉपिक्स तक पहुँचने के लिए यहाँ क्लिक करें!

Click Here: गृह विज्ञान (216) | हिंदी में

सूती कपड़ों की धुलाई

मांड लगाना

सफेद कपड़ों पर माँड लगाना एक अन्य प्रक्रिया है जिसे कपड़ों को सुखाने के लिए डालने से पूर्व किया जाता है। इसका प्रयोग सूती कपड़े को चिकना तथा चमकदार कर नया रूप प्रदान करने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त माँड लगे कपड़े जल्दी गंदे नहीं होते हैं।

अरारोट का प्रयोग करके स्वयं का माँड तैयार करना

  • गाढ़ा लेप तैयार करने के लिए अरारोट को थोड़े से ठंडे पानी में मिलाएँ। इस लेप में उबलता हुआ पानी मिलाएँ और साथ ही साथ इसे तब तक मिलाते रहें जबतक इसका रंग बदल कर पारदर्शी न हो जाए। आपका माँड तैयार है।
  • इस माँड लेप में पानी मिला कर इसे अच्छी तरह से मिश्रित करें। माँड का गाढ़ापन कपड़े की मोटाई तथा अपेक्षित कड़कपन पर निर्भर करता है। कपड़े को अत्यधिक कड़ा बनाने के लिए पूर्ण क्षमता वाले माँड में 2-3 गुना पानी मिलाएँ। किन्तु ठीक-ठीक कड़कपन प्राप्त करने के लिए 4-6 गुना पानी मिलाएँ।
  • यदि आप एक वस्त्र को माँड लगा रहे हैं तो उसे उल्टा करें, हाथों में पकड़ कर खोल लें और पानी में डबो लें ताकि उसमें माँड समान रूप से लग जाए। अतिरिक्त पानी को निचोड़ लें और इसे माँड के घोल में डुबोएँ।
  • कपड़े को अच्छी तरह से निचोड़ लें और सूखने के लिए धूप में टाँग दें।

नोट :

  1. i) कपड़े की कड़कपन की मात्रा व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करती है। सामान्यतः हम टेबल के कपड़ों जैसे मेजपोश, ट्रे के कपड़े, नैपकीन को भारी माँड लगाते हैं जबकि भीतर पहने जाने वाले कपड़ों पर हल्की माँड लगाते हैं।
  2. ii) अधोवस्त्र तथा चुस्त फिटिंग वाले वस्त्रों जैसे ब्लाउज आदि में माँड नहीं लगानी चाहिए क्योंकि माँड त्वचा को काट सकता है और पहनने में भी आरामदायक नहीं होते हैं।

iii) यदि कुछ कपड़ों में माँड तथा नील दोनों लगानी हो तो दोनों को एक ही घोल में एकसाथ प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए पानी में पतले मांड के साथ नील को एकसाथ मिला लें।

याद रखें : यदि वस्त्र अधिक नीला हो गया हो तो साफ पानी में सफेद सिरके या नींबू का रस मिलाकर उस वस्त्र को उसमें डुबोएँ। अतिरिक्त नीला रंग निकल जाएगा।

रंगीन कपड़ों की धुलाई

  • यदि किसी सूती कपड़े का रंग निकलता हो तो उसे भिगो कर न रखें।
  • उन्हें धोने के लिए हल्के या न्यूट्रल साबुन का प्रयोग करें।
  • इनको धोने के लिए मसलने व निचोड़ने की पद्धति का प्रयोग करें।
  • कपड़े को अच्छी तरह से निचोड़ें तथा अंतिम बारी में कपड़े को उल्टा करके उस पर माँड लगाएँ।
  • इसे छाया में सुखाएँ।
  • जब कपड़े में कुछ नमी रह जाए तभी इसे इस्त्री करें।
  • इस्त्री करने के पश्चात जब वे पूरी तरह से सूख जाएँ तभी उन्हें संभाल कर रखें।

कृत्रिम कपड़ों की धुलाई

नाइलॉन, पॉलिएस्टर तथा एक्रेलिक कृत्रिम कपड़े हैं। इसलिए कृत्रिम कपड़ों की धुलाई कुछ भिन्न प्रकार से की जाती है।

  • इनके लिए गुनगुने या ठंडे पानी का प्रयोग करें। गर्म पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे कपड़े में बहुत बुरी तरह से सिलवटें पड़ जाती हैं।
  • इनकी धुलाई के समय कोई अच्छा साबुन प्रयोग करें और हल्के हाथों से दबाव डालें व रगड़ें।
  • साबुन को पूरी तरह से निकालने के लिए ठंडे पानी में अच्छी तरह से घोलें।
  • सिलवटों से बचने के लिए इन्हें कसकर न निचोड़ें।
  • इन्हें मुख्य रूप से हैंगर में ही सुखाएँ। इससे कपड़ों के मूल आकार को बनाए रखने में मदद मिलती है।
  • सूखने के पश्चात यदि आवश्यकता हो तो कपड़ों पर कम गर्म इस्त्री की जा सकती है।
  • पूरी तरह सूखने के पश्चात इन्हें संभाल कर रख लें।

ऊनी कपड़ों की धुलाई

ऊनी कपड़े घर में प्रयोग होने वाले किसी भी अन्य कपड़े से अधिक नाजुक होते हैं। ऊनी कपड़ों की सतह पर रेशे होते हैं और इनकी सही ढंग से देखरेख न की जाए तो इनमें रूएँ निकल आते हैं। इसलिए ऊनी कपड़ों की धुलाई के समय विशेष सावधानी रखनी चाहिए।

बुनाई वाले ऊनी कपड़े गीले होने के पश्चात अपना आकार खो देते हैं, अतः इनके आकार को पुनः प्राप्त करने के लिए इन्हें सपाट सतह पर सुखाया जाता है।

ऊनी कपड़ों की धुलाई के लिए चरण :

  • वॉशिंग मशीन कपड़ों को ट्विस्ट करके धोती है जिससे ऊनी कपड़े डैमेज हो सकते हैं या उनका साइज चेंज हो सकता है। इसलिए ऊनी कपड़ों को खासकर स्वेटर्स को हाथ से या बहुत ही सॉफ्ट मुलायम ब्रश से ही साथ साफ करें।
  • इन्हें अच्छी तरह से खंगाल लें।
  • ऊनी कपड़ों को कभी भी गर्म पानी में ना धोएं। इससे उनके रोएं निकल सकते हैं। हमेशा ठंडे पानी का ही प्रयोग करें। अगर बहुत ही जरुरी है तो पानी को हल्का-सा गुनगुना कर सकते हैं।
  • यदि आवश्यकता हो तो इस पर स्टीम प्रैस करनी चाहिए।
  • अगर ऊनी कपड़ों में दाग लग जाए तो एक टिश्यू पेपर लें। उसमें हल्का- सा साबुन लगाकर हल्के हाथों से पोंछ लीजिए। दाग हट जाएंगे। केवल दाग को हटाने के लिए कपड़े को पूरा धोना जरूरी नहीं है।
  • कपडें पूरी तरह से सूखने के पश्चात इन्हें एक शुष्क स्थान पर हैंगर में या सपाट सतह पर कपूर की गोलियों या ओडोनिल की गोलियों के साथ संभाल कर रखा जाना चाहिए।

सभी महत्वपूर्ण और सटीक टॉपिक्स तक पहुँचने के लिए यहाँ क्लिक करें!

Click Here: गृह विज्ञान (216) | हिंदी में

What do you think?

0 Response