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NIOS Class 10th Chapter 20th Important Topics
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पाठ - 20 किशोरावस्था : रोमांच व चुनौतियाँ
किशोरावस्था
किशोरावस्था बाल्यावस्था और वयस्कता के संक्रमण काल है, जो 10 से 19 साल की उम्र के बीच होता है। हर व्यक्ति में बदलाव का समय और गति भिन्न होती है, लेकिन इस समय शारीरिक भावनात्मक, सामाजिक और ज्ञानात्मक बदलाव होते हैं।
किशोरावस्था की विशेषताएं
1. शारीरिक परिवर्तन
किशोरावस्था में शारीरिक परिवर्तन यौवनारंभ से शुरू होता है जिसका अर्थ है यौन परिपक्कता का आरंभ।
किशोरावस्था के दौरान शारीरिक परिवर्तन
लड़कों व लड़कियों में समान रूप से होने वाले शारीरिक परिवर्तन |
लड़कों में होने वाले विशिष्ट परिवर्तन |
लड़कियों में होने वाले विशिष्ट परिवर्तन |
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2. भावनात्मक परिवर्तन
भावनात्मक विकास से तात्पर्य अपने भावों के प्रबंधन तथा उन्हें सकारात्मक एवं उत्तरदायी रूप में अभिव्यक्त करने की क्षमता विकसित करना है।
3. सामाजिक परिवर्तन
सामाजिक विकास से तात्पर्य किशोरों का अपने परिवार, समवर्ती समूह तथा अन्यों के साथ आपसी संवाद से है। बच्चा किशोर में परिवर्तित होता है और बाद में वयस्कता प्राप्त करता है, इसके साथ ही साथ उसके सामाजिक संबंधों में भी अनेक परिवर्तन होते हैं।
(i) परिवार के साथ संबंध
(ii) समवर्ती समूह के साथ संबंध
समवर्ती समूह को समान आयु, क्षमता, योग्यता, पृष्ठभूमि या सामाजिक स्थिति के व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। किशोर अपने समवर्ती वर्ग को अत्यधिक महत्व प्रदान करता है। उनके मित्रों के विचार उसके लिए किसी और के विचारों से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। समवर्ती वर्ग का दबाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकता है।
4. ज्ञानात्मक परिवर्तन
ज्ञानात्मक विकास से तात्पर्य मस्तिष्क के विकास से है, जो किशोरों को अधिक कठिन मानसिक काम करने में सक्षम बनाता है।
(i) व्यक्तिगत आख्यान : इस स्तर पर किशोरों को लगता है कि वे विशिष्ट हैं और उनके साथ कुछ भी बुरा नहीं हो सकता है। किशोर ऊर्जापूर्ण तथा प्रकृति में सहज होते हैं और बिना भय के नए कार्यों को करने का प्रयास करते हैं। वे दोस्तों और परिवार की मदद करने या देश की सेवा जैसे कामों में शामिल हो सकते हैं, जिससे उनमें सकारात्मक स्व:अवलोकन का सृजन होता है। लेकिन कुछ जोखिम भरे काम, जैसे नशीली दवाओं का सेवन, यौन संबंध, तेज़ गाड़ी चलाना या बिना हेलमेट के बाइक पर बैठना, गंभीर नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।
(ii) सुव्यवस्थित विचारधारा : किशोर इस स्तर पर सोच-समझकर फैसले ले सकते हैं। जब उनसे कोई फैसला लेने को कहा जाता है, तो वे पहले कई विकल्पों की सूची बनाते हैं और हर विकल्प के परिणामों पर विचार करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर परिवार के साथ घूमने जाना हो, तो वे अलग-अलग जगहों की सूची बना सकते हैं और मौसम, हालात, यात्रा का समय और वहां पहुंचने के तरीके पर विचार करके सबसे अच्छा फैसला ले सकते हैं।
(iii) आदर्शवादिता : किशोरावस्था की एक मुख्य विशेषता आदर्शवादिता है। उनमें सही और गलत के प्रति सुदृढ भावना होती है। गर्व के अहसास के साथ वे स्वयं तथा अपने आस-पास के बारे में जागरूकता विकसित करते हैं। प्रायः आदर्शवादिता के कारण सकारात्मक सोच तथा क्रियाशीलता का विकास होता है। उदाहरण के लिए अनेक नवयुवक आपदा, विवाद जैसी कठिन परिस्थितियों में सहायता करते हैं।
किशोरों पर मीडिया का प्रभाव :
सकारात्मक प्रभाव
नकारात्मक प्रभाव
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