NIOS Class 10th Home Science (216) Chapter 22th Important Topics

Jul 28, 2025
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NIOS Class 10th Chapter 22th Important Topics

HOME SCIENCE (216)

पाठ - 22 जागो, ग्राहक जागो

उपभोक्ता : उपभोक्ता वह व्यक्ति है जो अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वस्तुओं या सेवाओं को खरीदता या प्रयोग करता है।

उपभोक्ता की समस्याएं

  1. मूल्य भिन्नता : कभी-कभी दुकानदार वस्तु पर मुद्रित मूल्य से अधिक वसूलते हैं। यह मुद्रित मूल्य अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) है और इसका अर्थ है कि दुकानदार उपभोक्ता से इस राशि से अधिक मूल्य नहीं वसूल सकता। एमआरपी से अधिक कीमत वसूलने के संबंध में पूछे जाने पर दुकानदार अक्सर बहाने बनाने लगते हैं।
  2. नकल : कई वस्तुओं की पैकेजिंग प्रसिद्ध ब्रांडों की पैकेजिंग की नकल होती है। प्रायः ब्रांड के नाम से मिलते-जुलते नामों का प्रयोग किया जाता है ताकि उपभोक्ता को बेवकूफ बनाया जा सके। वे प्रायः प्रसिद्ध ब्रांडो की नक़ल करके अपने ब्रांडो को भी प्रसिद्ध कर देते है क्योंकि ज्यादातर उपभोक्ता सामान खरीदते समय उसकी पैकेजिंग को बस एक नजर देखते हैं और उस पर लिखी जानकारी पढ़ने की जरूरत नहीं समझते।

उदाहरण के लिए, टूथपेस्ट के एक प्रसिद्ध ब्रांड "कोलगेट" की नकल करके "कॉलेज" टूथपेस्ट बाजार में लाना जिसमें उसके बाहर के कवर के रंग तथा डिजाइन हूबहू होते हैं।

  1. मिलावट : मिलावट का अर्थ है कि एक वस्तु में जान-बूझकर या अनजाने में निकृष्ट तत्वों को शामिल करना या उसके महत्वपूर्ण तत्वों को निकाल लेना ताकि उसकी मात्रा को बढ़ाया जा सके। ऐसा लाभ में वृद्धि के लिए किया जाता है।

उदाहरण के लिए, जो दूध सप्लाई किया जाता है उसमें अधिक क्रीम नहीं निकलती। यहाँ तक कि चावल तथा दालों में भी कंकड़ होते हैं। दालों को कृत्रिम रंगों से पॉलिश किया जाता है ताकि वे सुंदर और ताजा नजर आए।

  1. भ्रामक जानकारी या जानकारी का अभाव : अधिकतर वस्तुओं के विज्ञापन भ्रामक तथा अतियोक्तिपूर्ण (बढ़ा-चढ़ा कर बताना) होते हैं। वस्तुएँ उतनी प्रभावपूर्ण नहीं होती हैं जितना कि विज्ञापनों में दावा किया जाता है। उपभोक्ताओं को उन वस्तुओं के बारे में विस्तृत सूचना प्राप्त करने में भी समस्या होती है जिसे वे खरीदना चाहते हैं। प्रायः लेबल पर मुद्रित सूचना बहुत छोटी या अस्पष्ट होती है या स्थानीय भाषा में होती है जिसे अधिकतर लोग समझ नहीं पाते हैं।

 

  1. दोषपूर्ण वजन और तोल : कम नाप-तोल की समस्या सबसे व्यापक समस्या है।
  • दुकानदार पदार्थों को तोलने के लिए मानक बाटों (weights) के स्थान पर ईंट-पत्थर आदि का प्रयोग करते हैं।
  • बाटों में कई बार खाली जगह होती है या वे मुड़े हुए होते हैं। उनका वजन लिखे हुए वजन से कम होता है। दुकानदार द्वारा खाद्य पदार्थों विशेषकर मिठाइयों को डिब्बे सहित तोलना।
  • दुकानदार तराजू का प्रयोग करते समय डंडी मारते हैं, जेसे कि- तराजू के नीचे चुम्बक लगा देना।
  • दोषपूर्ण मीटर छड़ से उपभोक्ता को कम लम्बाई का कपड़ा बेचते हैं।

उपभोक्ता सहायक

उपभोक्ता सहायक लिखित या वर्णित कोई भी चीज हो सकती है जो उपभोक्ताओं को उस वस्तु के चयन के संबंध में सहायता व मार्गदर्शन उपलब्ध कराती है जिसे वह खरीदना चाहता है। उपभोक्ताओं को उपलब्ध सामान्य उपभोक्ता सहायक हैं लेबल, लीफलेट, पैकेज, विज्ञापन, मानकीकृत चिह्न, लेजिस्लेशन, उपभोक्ता संघ तथा सहकारिताएँ।

  1. मानकीकृत चिह्न : मानकीकृत चिह्न उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करते हैं और दर्शाते हैं कि इन उत्पादों का उत्पादन मानकीकरण एजेंसियों द्वारा निर्धारित मापदंडों के आधार पर किया गया है। ये विनिर्माताओं को बाजार में बेहतर प्रतिस्पर्धा उपलब्ध कराते हैं और उन्हें अपने उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं।

 

 

मानकीकृत चिह्न

उत्पादों की गुणवत्ता

  • ISI मार्क
  • इलैक्ट्रिकल सामान, रसायन, खिलौने, प्रेशर कुकर, बिस्किट, कॉफी आदि।
  • FPO

  • संरक्षित खाद्य पदार्थ जैसे डिब्बाबंद फल तथा सब्जियाँ, जूस, जैम, सॉस, अचार आदि।
  • एगमार्क
  • कृषि तथा पशु संबंधी उत्पाद जैसे मसाले, दालें, आटा, अनाज, अंडे, तेल, मक्खन आदि।
  • वुलमार्क
  • ऊन तथा ऊनी कपड़े।
  • इकोमार्क
  • पुनर्निर्माण योग्य, बायोडिग्रेडेबल तथा पर्यावरण सहिष्णु उत्पाद जैसे परिरक्षक, डिटरजेंट, प्लास्टिक, पेंट आदि।

 

  1. कानून : उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिए सरकार द्वारा अनेक कानून बनाए गए हैं। उदाहरण के लिए,

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 (सीपीए), जिसे अब उपभोक्ता संरक्षक संशोधन अधिनियम, 2002 कहा जाता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत सभी वस्तुएँ और सेवाएँ शामिल हैं। जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता अदालतों की स्थापना की गई है। उपभोक्ता मामूली शुल्क का भुगतान करके उत्पाद के मूल्य के संबंध में इन अदालतों में शिकायत कर सकते हैं।

  1. उपभोक्ता संगठन : उपभोक्ता संगठन, उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और उनके अधिकारों के लिए लड़ने के लिए बनाए जाते हैं उपभोक्ता संगठन कई रूपों में हमारी सहायता करते हैं अर्थात् :
  • जानकारी उपलब्ध कराना।
  • उपभोक्ताओं के कल्याण के लिए कार्य करना।
  • उपभोक्ता संबंधी नीतियों के निर्धारण के लिए सरकार का मार्गदर्शन करना।
  • विभिन्न विषयों पर उपभोक्ताओं को शिक्षा प्रदान करना।
  • उपभोक्ता-विरोधी गतिविधियों के विरुद्ध प्रदर्शन करना।

उपभोक्ता के अधिकार

1. सुरक्षा का अधिकार : एक उपभोक्ता को सुरक्षित सामान की माँग करने तथा सभी हानिकारक उत्पादों जैसे मिलावटी खाद्य पदार्थ या असुरक्षित इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों से सुरक्षित रहने का अधिकार है। सरकार उपभोक्ता सुरक्षा के अधिकार की रक्षा करती है। यह सुनिश्चित करके कि निर्माता असुरक्षित, गलत या खराब गुणवत्ता वाले सामान की बिक्री न करें।

उदाहरण के लिए, यदि आपके अवन में बिजली का झटका लगता है या आपका कुकर फट जाता है तो सुरक्षा के अधिकार के अंतर्गत आप विनिर्माता के विरुद्ध शिकायत दायर कर सकते हैं।

2. चयन का अधिकार : एक उपभोक्ता को अच्छी गुणवत्ता वाले विभिन्न उत्पादों में से एक उत्पाद के चयन का अधिकार है। उदाहरण के लिए एक दुकानदार केवल एक ही ब्रांड का टूथपेस्ट नहीं बेच सकता है। आप एक उत्पाद के विभिन्न विकल्पों की मांग कर सकते हैं।

सरकार उपभोक्ता को चयन के अधिकार की रक्षा करती है- उत्पादों के संबंध में सामुदायिक तथा उपभोक्ता शिक्षा के लिए प्रक्रिया स्थापित करके।

3. सूचित किए जाने का अधिकार : एक उपभोक्ता को किसी वस्तु की गुणवत्ता, शुद्धता, कार्यक्षमता, आधार तत्वों और मूल्य जैसी जानकारी पाने का अधिकार है। अगर दुकानदार उत्पाद खरीदने से पहले उसकी बुकलेट देने से मना करता है, तो आप उसके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं।

सरकार आपके सूचना के अधिकार की रक्षा करती है-

  • टॉक्सिक उत्पादों के विज्ञापनों के साथ चेतावनी जारी करके।
  • भ्रामक पैकेजिंग को प्रतिबंधित करके।

4. सुने जाने का अधिकार : यदि उपभोक्ता के साथ धोखा हुआ है तो उसे अदालत में अपनी शिकायत को अभिव्यक्त करने का अधिकार है।

5. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार : उपभोक्ता को समाज में उपभोक्ताओं की कमजोरियों के प्रति जागरूकता हेतु शिक्षा का अधिकार है। इसका तात्पर्य है कि उपभोक्ता विवेकपूर्ण तथा बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय के लिए आवश्यक ज्ञान तथा क्षमताएँ ग्रहण करनी चाहिए।

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