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पाठ - 11 वस्त्र परिसज्जा
वस्त्र परिसज्जा
परिसज्जा : परिसज्जा कपड़े को दिया जाने वाला वह उपचार है जो उसके रूप, व्यवस्था/स्पर्श या उसके निष्पादन में परिवर्तन करता है। इसका उद्देश्य कपड़े को अपने प्रयोग के लिए अधिक उपयोगी बनाना है।
"परिसज्जित" तथा "अपरिसज्जित" कपड़ों में अंतर
परिसज्जित | अपरिसज्जित |
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जैसे हल्का सफेद, ब्राउन, काला आदि। |
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कपड़ों की परिसज्जाओं का महत्व
परिसज्जा का वर्गीकरण
आधारभूत परिसज्जा और उसके प्रकार
1. मंजाई / सफाई
मंजाई गुनगुने पानी तथा साबुन के मिश्रण की सहायता से कपड़ों को साफ करने की औद्योगिक प्रक्रिया है।
मंजाई प्रक्रिया : करघे से सीधे आने वाला कपड़ा दिखने में आभाहीन (फीका) होता है। कपड़ा बनाने की प्रक्रिया के दौरान बुनाई को आसान बनाने के लिए सूत में तेल, मांड, मोम आदि का प्रयोग किया जाता है जिसके दाग कपड़े में लग जाते हैं। एक बार कपड़ा तैयार हो जाने के पश्चात ये चिपके हुए पदार्थ विरंजन, रंगाई, छपाई आदि जैसी प्रक्रियाओं में अवरोध उत्पन्न करते हैं। इसलिए कपड़े को आगे किसी प्रक्रिया के लिए भेजे जाने से पूर्व इन दागों को हटाने की आवश्यकता होती है। मंजाई/धुलाई के पश्चात कपड़ा चिकना, साफ तथा अवशोषक हो जाता है।
कपड़े को धोने की पद्धति का निर्धारण कपड़े की प्रकृति के आधार पर किया जाता है। जैसे-
2. विरंजन (Bleaching)
विरंजन तन्तु, सूत या कपड़े को दिया जाने वाला एक रासायनिक उपचार है जो कपड़े के पीलेपन या उसके रंग को निकाल कर उसे सफेद बना देता है।
3. औद्योगिक इस्त्री (Calendering)
यह किसी ग्रे या परिसज्जित वस्त्र के स्वरूप को बेहतर बनाने के लिए प्रयोग की जाने वाली सबसे आसान तथा सामान्य परिसज्जा है। कैलेंडरण या औद्योगिक इस्त्री की प्रक्रिया के माध्यम से कपड़ा गर्म रोलरों की अनेक शृंखलाओं से गुजरता है ताकि कपड़े को सिलवट-मुक्त व चिकना बनाया जा सके। यह प्रक्रिया कपड़े को चिकना और चमकदार बनाती है और इससे कपड़े के रूप में निखार आता है।
विशेष परिसज्जा
1. सिकुड़न-पूर्व परिसज्जा (Pre-shrinkin)
2. मर्सरीकरण (Mercerization)
कपास मूल रूप से एक चमक रहित तन्तु है। कपास से बने कपड़ों में सिलवटें आसानी से पड़ जाती हैं और इन्हें रंगना कठिन होता है। इसलिए इसे मजबूत, चमकदार तथा अवशोषक बनाने के लिए सोडियम हाईड्रोक्साईड से उपचारित किया जाता है। इस प्रक्रिया को मर्सरीकरण कहते हैं।
3. पार्चमेंटीकरण (Parchmentization)
पार्चमेंटीकरण में सूती कपड़े का उपचार हल्के अम्ल से किया जाता है, जिससे कपड़ा आंशिक रूप से कमजोर हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, कपड़ा पारदर्शी और कड़क हो जाता है, जिसे ऑरगंडी कहा जाता है। ऑरगंडी कपड़े पर मांड लगाने की आवश्यकता नहीं होती है।
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सजावटी रंगाई
बंधेज या टाई एंड डाई कपड़े
गुजरात में पटोला तथा राजस्थान में बाँधनी भारत में प्रयोग होने वाली बंधेज की दो लोकप्रिय परम्परागत रंगाई तकनीके हैं। सामान्यतः दोनों में ही प्रतिरोध रंगाई तकनीकों द्वारा दो या अधिक रंजकों से रंगाई की जाती है।
बाटिक
बाटिक प्रतिरोध रंगाई की एक तकनीक है। इसमें कपड़े के कुछ हिस्सों को रंगाई से बचाने के लिए प्रतिरोध पदार्थ के रूप में मोम (wax) का प्रयोग किया जाता है। कपड़े के कुछ हिस्सों पर डिज़ाइन के आधार पर मधुमोम और पैराफ़िन मोम को ब्रश या ब्लॉक से भरा जाता है। रंगाई के समय इन हिस्सों पर रंग नहीं लगता, जिससे यह एक डिजाईन का प्रभाव उत्पन्न करता है। बाद में मोम को निकाल दिया जाता है।
ब्लॉक प्रिंटिंग
जिस प्रकार, प्रत्येक पत्र में स्याही पैड पर स्टैम्प को दबाकर मुहर लगा दी जाती है। उसी प्रकार, एक लकड़ी के ठप्पे पर नमूना खोद कर अंकित किया जाता है। इस ठप्पे को गाढ़े रंग के घोल में डुबोकर वस्त्र पर लगाकर डिज़ाइन छापा जाता है। इसे “ब्लाक प्रिंटिंग” अथवा ठप्पे की छपाई भी कहा जाता है।
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