NIOS Class 10th Home Science (216) Chapter 11th Important Topics

Jul 26, 2025
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पाठ - 11 वस्त्र परिसज्जा

वस्त्र परिसज्जा

परिसज्जा : परिसज्जा कपड़े को दिया जाने वाला वह उपचार है जो उसके रूप, व्यवस्था/स्पर्श या उसके निष्पादन में परिवर्तन करता है। इसका उद्देश्य कपड़े को अपने प्रयोग के लिए अधिक उपयोगी बनाना है।

"परिसज्जित" तथा "अपरिसज्जित" कपड़ों में अंतर

परिसज्जित अपरिसज्जित
  • जब एक कपड़े को परिसज्जा प्रदान की जाती है तो उसे एक परिसज्जित कपड़ा कहा जाता  हैं।
  • जब कपड़ों को कोई परिसज्जा प्रदान नहीं की जाती है तो उन्हें ग्रे कपड़े या अपरिसज्जित कपड़ा कहा जाता है।
  • यह चमकदार, आकर्षक, विभिन्न प्रकार के रंगों, प्रिंटों आदि में उपलब्ध होतें है।
  • यह दिखने में फीके, केवल प्राकृतिक रंगों में ही उपलब्ध होतें है।

जैसे हल्का सफेद, ब्राउन, काला आदि।

  • परिसज्जित कपड़े चिकने तथा सिलवट से मुक्त होते है। यह समान चौड़ाई और दागों से मुक्त है।
  • अपरिसज्जित कपड़े सिलवट भरे, धब्बों से भरे, टूटे हुए धागे व असमान चौड़ाई वाले होते हैं।
  • कपड़े की कीमत कपड़े के प्रकार, उसमें प्रयोग की गई परिसज्जाओं की संख्या तथा किस्म पर निर्भर करती है।
  • यह परिसज्जित कपड़ो से सस्ते होते हैं।
  • ग्राहक इन्हें देख कर आकर्षित होते हैं और इन्हें खरीद लेते हैं।
  • ये कपड़े ग्राहकों को आकर्षित नहीं कर पाते हैं। इनको केवल सामान्य प्रयोजन जैसे बेकिंग, पैकेजिंग आदि के लिए खरीदा जाता है।

 

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कपड़ों की परिसज्जाओं का महत्व

  1. कपड़े के रूप में सुधार करती है और वह दिखने में सुंदर लगता है।
  2. रंगाई तथा प्रिंटिंग के माध्यम से कपड़ों में विविधता उत्पन्न करती है।
  3. कपड़े के स्पर्श या अहसास में सुधार करती है व कपड़ों को अधिक उपयोगी बनाती है।
  4. हल्के भार वाले कपड़ों को पहनने की कुशलता को बढ़ाती है।
  5. कपड़े को वास्तविक (विशिष्ट) प्रयोग के उपयुक्त बनाती है।

परिसज्जा का वर्गीकरण

 

 

 

 

आधारभूत परिसज्जा और उसके प्रकार

1. मंजाई / सफाई

मंजाई गुनगुने पानी तथा साबुन के मिश्रण की सहायता से कपड़ों को साफ करने की औद्योगिक प्रक्रिया है।

मंजाई प्रक्रिया : करघे से सीधे आने वाला कपड़ा दिखने में आभाहीन (फीका) होता है। कपड़ा बनाने की प्रक्रिया के दौरान बुनाई को आसान बनाने के लिए सूत में तेल, मांड, मोम आदि का प्रयोग किया जाता है जिसके दाग कपड़े में लग जाते हैं। एक बार कपड़ा तैयार हो जाने के पश्चात ये चिपके हुए पदार्थ विरंजन, रंगाई, छपाई आदि जैसी प्रक्रियाओं में अवरोध उत्पन्न करते हैं। इसलिए कपड़े को आगे किसी प्रक्रिया के लिए भेजे जाने से पूर्व इन दागों को हटाने की आवश्यकता होती है। मंजाई/धुलाई के पश्चात कपड़ा चिकना, साफ तथा अवशोषक हो जाता है।

कपड़े को धोने की पद्धति का निर्धारण कपड़े की प्रकृति के आधार पर किया जाता है। जैसे-

  • सूती कपड़ों को साफ करने के लिए उन्हें साबुन के घोल में उबाला जाता है।
  • रेशम की गोंद निकालने के लिए उसे उबाला जाता है।
  • ऊनी कपड़ों से चिकनाई या तेल को निकालने के लिए उन्हें साबुन के घोल में उबाला जाता है।
  • मानव निर्मित कपड़ों की सामान्य धुलाई की जाती है।

 

2. विरंजन (Bleaching)

 विरंजन तन्तु, सूत या कपड़े को दिया जाने वाला एक रासायनिक उपचार है जो कपड़े के पीलेपन या उसके रंग को निकाल कर उसे सफेद बना देता है।

  • प्रोटीनयुक्त तन्तुओं के लिए हाईड्रोजन पैरोक्साईड एक उपयुक्त विरंजक तत्व है तथा ऊनी कपड़ों के लिए सोडियम हाइपोक्लोराईड का प्रयोग किया जाता है।
  • मानव निर्मित कपड़ों के लिए विरंजन की आवश्यकता नहीं होती है। कपड़ों का विरंजन सावधानीपूर्वक किया जाता है क्योंकि अधिक मात्रा में विरंजन कपड़ों को हानि पहुँचा सकता है।

3. औद्योगिक इस्त्री (Calendering)

यह किसी ग्रे या परिसज्जित वस्त्र के स्वरूप को बेहतर बनाने के लिए प्रयोग की जाने वाली सबसे आसान तथा सामान्य परिसज्जा है। कैलेंडरण या औद्योगिक इस्त्री की प्रक्रिया के माध्यम से कपड़ा गर्म रोलरों की अनेक शृंखलाओं से गुजरता है ताकि कपड़े को सिलवट-मुक्त व चिकना बनाया जा सके। यह प्रक्रिया कपड़े को चिकना और चमकदार बनाती है और इससे कपड़े के रूप में निखार आता है।

विशेष परिसज्जा

1. सिकुड़न-पूर्व परिसज्जा (Pre-shrinkin)

  • कुछ सूती, लिनेन तथा ऊनी कपड़ों को धोने के बाद उनके आकार (लंबाई और चौड़ाई) में कमी आने लगती है, जिसे सिकुड़ना कहते है। अच्छी किस्म के सूती, लिनेन तथा ऊनी कपड़ों को बाजार में लाने से पूर्व ही सिकुड़न प्रक्रिया से निकाला जाता है। इस पूर्व-सिकुड़न को “सेनफ्रोनाईजेशन” कहते हैं।
  • पूर्व-सिकुड़न से उपचारित कपड़ों में "सेनफ्रोनाईस्ड" या "सिकुड़न-रोधी" या "सिकुड़न-नियंत्रण" का लेबल लगा होता है। इन लेबलों का मतलब है कि यह कपड़ा सिकुड़ने से बचाने के लिए तैयार किया गया है और धोने के बाद नहीं सिकुड़ेगा।

2. मर्सरीकरण (Mercerization)

कपास मूल रूप से एक चमक रहित तन्तु है। कपास से बने कपड़ों में सिलवटें आसानी से पड़ जाती हैं और इन्हें रंगना कठिन होता है। इसलिए इसे मजबूत, चमकदार तथा अवशोषक बनाने के लिए सोडियम हाईड्रोक्साईड से उपचारित किया जाता है। इस प्रक्रिया को मर्सरीकरण कहते हैं।

  • मर्सरीकरण के बाद कपड़ों में सिलवटें कम पड़ती हैं और उन्हें रंगना भी आसान हो जाता है। आजकल सभी सूती कपड़ों और सिलाई के धागों में मर्सरीकरण किया जाता है, जिससे यह "मर्सरीकृत" के लेबल के साथ बेचे जाते हैं।

3. पार्चमेंटीकरण (Parchmentization)

पार्चमेंटीकरण में सूती कपड़े का उपचार हल्के अम्ल से किया जाता है, जिससे कपड़ा आंशिक रूप से कमजोर हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, कपड़ा पारदर्शी और कड़क हो जाता है, जिसे ऑरगंडी कहा जाता है। ऑरगंडी कपड़े पर मांड लगाने की आवश्यकता नहीं होती है।

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सजावटी रंगाई

बंधेज या टाई एंड डाई कपड़े

गुजरात में पटोला तथा राजस्थान में बाँधनी भारत में प्रयोग होने वाली बंधेज की दो लोकप्रिय परम्परागत रंगाई तकनीके हैं। सामान्यतः दोनों में ही प्रतिरोध रंगाई तकनीकों द्वारा दो या अधिक रंजकों से रंगाई की जाती है।

  1. पटोला : पटोला में बुनाई से पूर्व ही सूत को बाँधा और तत्पश्चात रंगा जाता है और उसके बाद सुंदर बहुरंगीय डिजाईनों का निर्माण करने के लिए उन्हें बुना जाता है।
  2. बाँधनी : दूसरी ओर बाँधनी में असंख्य बिंदु तथा रेखाएँ बनाने (लहरिया पैटर्न) के लिए बुने हुए कपड़े पर टाई और डाई तकनीक का प्रयोग किया जाता है।

बाटिक

बाटिक प्रतिरोध रंगाई की एक तकनीक है। इसमें कपड़े के कुछ हिस्सों को रंगाई से बचाने के लिए प्रतिरोध पदार्थ के रूप में मोम (wax) का प्रयोग किया जाता है। कपड़े के कुछ हिस्सों पर डिज़ाइन के आधार पर मधुमोम और पैराफ़िन मोम को ब्रश या ब्लॉक से भरा जाता है। रंगाई के समय इन हिस्सों पर रंग नहीं लगता, जिससे यह एक डिजाईन का प्रभाव उत्पन्न करता है। बाद में मोम को निकाल दिया जाता है।

 

 

ब्लॉक प्रिंटिंग

जिस प्रकार, प्रत्येक पत्र में स्याही पैड पर स्टैम्प को दबाकर मुहर लगा दी जाती है। उसी प्रकार, एक लकड़ी के ठप्पे पर नमूना खोद कर अंकित किया जाता है। इस ठप्पे को गाढ़े रंग के घोल में डुबोकर वस्त्र पर लगाकर डिज़ाइन छापा जाता है। इसे “ब्लाक प्रिंटिंग” अथवा ठप्पे की छपाई भी कहा जाता है।

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