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NIOS Class-10th Chapter wise Important Topics
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पाठ - 5 खाद्य संरक्षण
खाद्य पदार्थों का खराब होना व उनका भंडारण
खाद्य पदार्थों का खराब होना
खाद्य पदार्थों के खराब होने का तात्पर्य है कि भोजन अब खाने के लिए उपयुक्त नहीं है। जब आप ब्रैड को कुछ दिनों के लिए फ्रिज से बाहर रखते हैं तो उसके ऊपर फफूंद जैसा तत्व विकसित हो जाता है जो रंग में सफेद, हरा या काला होता है। इस विकसित पदार्थ को मोल्ड कहते हैं।
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खाद्य पदार्थों के खराब होने के कारण
1. सूक्ष्म जिवाणुओं की उपस्थिति : सूक्ष्म-जीवाणु बहुत छोटे जीवाणु होते हैं जिन्हें आसानी से देखा नहीं जा सकता है। सूक्ष्म जीवाणु भोजन को उस समय खराब करते हैं जब उनके विकास के लिए अनुकूल स्थिति उत्पन्न होती है।
सूक्ष्म-जीवाणुओं के विकास की उपयुक्त परिस्थितियाँ हैं :
2. एंजाइमों की उपस्थिति : एंजाइम रासायनिक तत्व हैं जो पौधों तथा पशुओं में पाए जाते हैं। एंजाइम फलों और सब्जियों के पकने की प्रक्रिया में सहायक होते हैं। उदाहरण के लिए, कच्चा हरा आम कुछ ही दिनों में पककर मीठा और पीला हो जाता है, जो एंजाइम की प्रतिक्रिया के कारण होता है।
यदि पके हुए आम को कुछ और दिनों के लिए रखा जाए, तो वह अधिक पककर सड़ने लगता है। जब फलों के छिलके को निकाला या काटा नहीं भी जाता है फिर भी वह खराब हो जाता है। यह एंजाइम की प्रतिक्रिया के कारण होता है।
3. कीट, कृमि तथा चूहे : चावल या दाल में छोटे भूरे कीट और सफेद कृमि भोजन के दानों को खाते हैं। ये अनाज में छोटे- छोटे छेद कर देते हैं और कई बार उसे सफेद पाउडर में बदल देते हैं। इस प्रकार यह भोजन मानव उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं रह जाता है।
उपभोज्य जीवन के आधार पर भोजन का वर्गीकरण
उपभोज्य जीवन (shelf life) : उपभोज्य जीवन वह समय है, जिसमें भोजन ताजा रहता है। इसे भोजन की भंडारण के दौरान स्थिरता भी कहा जाता है।
खाद्य पदार्थों के भंडारण के आधार पर उनका वर्गीकरण :
खाद्य संरक्षण
"खाद्य संरक्षण वह प्रक्रिया जिसके द्वारा भोजन को छोटी या लंबी समयावधि के लिए खराब होने से सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसके द्वारा भोजन के रंग, स्वाद तथा पोषक तत्वों को भी संरक्षित रखा जाता है"।
खाद्य संरक्षण का महत्व
खाद्य संरक्षण के सिद्धांत
1. सूक्ष्म-जीवाणुओं को नष्ट करना
2. सूक्ष्म-जीवाणुओं की अभिक्रिया को रोकना या उसमें विलम्ब उत्पन्न करना
3. एंजाइमों की अभिक्रिया को रोकना
एंजाइमों के कारण भी भोजन खराब होता है। ये भोजन में प्राकृतिक रूप से विद्यमान होते हैं। एंजाइम की अभिक्रिया को हलके ताप उपचार से भी रोका जा सकता है। सब्जियों को डिब्बाबंद करने या जमाने से पूर्व इन्हें गर्म पानी में डाला जाता है या उन्हें कुछ समय के लिए भाप के संपर्क में लाया जाता है। इसे विवरण करना (blanching) कहते हैं।
उदाहरण के लिए, जब दूध को गर्म करते हैं तो न केवल उसमें उपस्थित सूक्ष्मजीवाणुओं को नष्ट करते हैं बल्कि एंजाइमों की अभिक्रिया को भी रोकते हैं। यह खाद्य पदार्थ की उपभोज्य आयु को बढ़ा देता है।
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खाद्य पदार्थों के संरक्षण की घरेलू विधियाँ
1. निम्न तापमान
मटर का हिमीकरण (जमाना) : ताजी व मुलायम मटर चुनें व छील लें। पर्याप्त पानी लें जिसमें मटर पूरी तरह डूब जाए। प्रति एक लीटर पानी पर लगभग 10 ग्रा. नमक मिला लें और उबालें। उबलते पानी में मटर डालें और 2 मिनट तक रखें। छान लें और तुरंत ठंडा कर लें। छोटे पॉलीथीन बैग में पैक करें। बैग को दबाकर हवा निकाल लें और मोम से सील कर लें। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि पैकेट में हवा के साथ कोई सूक्ष्म जीवाणु न रह जाए। पैकेट को फ्रीजर में रखें।
इसी तरह दूसरी सब्जियाँ जैसे पत्ता गोभी, फलियाँ, गाजर आदि भी संरक्षित की जा सकती है।
जमी हुई सब्जियों का उपयोग : फ्रीजर से जमी हुई थैली निकालें और उपयोग करने से डेढ़ या दो घंटे पहले उसे कमरे के तापमान पर आने दें। इन्हें एक जाली पर रख कर कुछ समय के लिए बहते हुए पानी के नीचे रखने के बाद इनका उपयोग करें। जमी हुई सब्जियाँ 6 महीने तक फ्रीजर में रखी जा सकती हैं।
फलों व सब्जियों के हिमीकरण (freezing) के दौरान रखी जाने वाली सावधानियाँ हैं :
2. उच्च तापमान
उच्च तापमान पर सूक्ष्म जीवाणु तथा एंजाइम नष्ट हो जाते हैं और इस प्रकार भोजन सुरक्षित रहता है व खराब नहीं होता।
उच्च तापमान का प्रयोग करके खाद्य पदार्थों के संरक्षण की दो पद्धतियाँ हैं :
(i) पास्तुरीकरण (Pasteurization)
(ii) विसंक्रमण : विसंक्रमण का अर्थ है जीवित जीवाणुओं से मुक्त होना। इस प्रक्रिया में खाद्य पदार्थों को उच्च तापमान तथा कुछ मामलों में दबाव में बहुत अधिक समय तक रखा जाता है, जिससे भोजन में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। उदाहरण के लिए जब खाद्य पदार्थों को पकाने के लिए प्रेशर कुकर का प्रयोग किया जाता है तो खाद्य पदार्थ अधिक समय तक खराब नहीं होते हैं क्योंकि अधिकांश सूक्ष्म जीवाणु इससे नष्ट हो जाते हैं।
3. प्रतिरक्षकों को प्रयोग
वे रसायन जो खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, उन्हें प्रतिरक्षक (preservatives) कहा जाता है।
प्राकृतिक प्रतिरक्षक
(i) नमक : नमक एक प्रतिरक्षक के रूप में कार्य करता है। भोजन में नमक की मात्रा बढ़ने से उसकी संरचना में बदलाव आ जाता है। इस कारण सूक्ष्म जीवाणु जीवित नहीं रह पाते हैं। नमक एंजाइम की गतिविधियों को भी कम कर देता है, इससे वह भोजन को नष्ट होने से बचाता है।
(ii) चीनी : अचार, चटनी, जैम, जैली मुरब्बा, स्क्वैश आदि में चीनी का प्रयोग केवल स्वाद के लिए नहीं बल्कि इन्हें संरक्षित रखने के लिए किया जाता है। इन खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए इनमें चीनी का अनुपात सही होना आवश्यक है। चीनी खाद्य पदार्थ में मौजूद जल में घुल जाती है, जिसके कारण खाद्य पदार्थ में पानी कम हो जाती है और सूक्ष्म जीवाणु विकसित नहीं हो पाते हैं।
(iii) अम्ल : नींबू का रस, सिरका, सिट्रिक एसिड आदि का का प्रयोग प्रतिरक्षक के रूप में किया जाता है। सिरके का प्रयोग प्याज, टमाटर कैचअप को संरक्षित रखने के लिए तथा नींबू के रस का प्रयोग अचारों में और सिट्रिक एसिड का प्रयोग स्क्वैश को संरक्षित रखने के लिए किया जाता है। ये अम्ल खाद्य पदार्थों की अम्लता बढ़ाते हैं, जिससे सूक्ष्म जीवाणुओं की गतिविधि कम होती है और वह विकसित नहीं हो पाते है।
(iv) तेल तथा मसाले : प्रत्येक खाद्य पदार्थ में कुछ मात्रा में पानी उपस्थित होता है, जो कि सूक्ष्म जीवाणुओं को पनपने में मदद करता है। जब मसाले मिलाए जाते है तो ये उस खाद्य पदार्थ से पानी सोख लेते हैं जिससे सूक्ष्मजीवाणु पनप नहीं पाते है। अचार आमतौर पर तेल की एक परत से ढ़के होते हैं। क्योंकि तेल की यह परत उस खाद्य पदार्थ को हवा के सम्पर्क में आने से रोकती है जिससे सूक्ष्म जीवाणुओं का प्रवेश नहीं होता।
नोट : स्क्वैश बनाने में (KMS) पोटैशियम मेटा बाईसल्फाइट परिरक्षक का प्रयोग किया जाता है।
4. निर्जलीकरण (सुखाना)
निर्जलीकरण का अर्थ है खाद्य पदार्थों से पानी या नमी दूर करना। यह एक पुरानी विधि है जिसका उपयोग खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, आलू के चिप्स, पापड़, केले के चिप्स, बड़ियाँ आदि निर्जलीकरण का उदाहरण हैं। खाद्य पदार्थों को सुखाने के लिए सबसे अच्छा मौसम तब होता है जब वायु में नमी कम हो और धूप तेज हो।
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