NIOS Class 10th Home Science (216) Chapter 5th Important Topics

Jul 26, 2025
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पाठ - 5 खाद्य संरक्षण

खाद्य पदार्थों का खराब होना व उनका भंडारण

खाद्य पदार्थों का खराब होना

खाद्य पदार्थों के खराब होने का तात्पर्य है कि भोजन अब खाने के लिए उपयुक्त नहीं है। जब आप ब्रैड को कुछ दिनों के लिए फ्रिज से बाहर रखते हैं तो उसके ऊपर फफूंद जैसा तत्व विकसित हो जाता है जो रंग में सफेद, हरा या काला होता है। इस विकसित पदार्थ को मोल्ड कहते हैं।

  • जिस ब्रैड में मोल्ड विकसित हो जाता है वह खाने योग्य नहीं रहती है।
  • फलों और सब्जियों में यदि नर्म दाग या नर्म भूरे दाग विकसित होने लगते हैं तो भी वह भोजन के खराब होने का संकेत है।

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खाद्य पदार्थों के खराब होने के कारण

1. सूक्ष्म जिवाणुओं की उपस्थिति : सूक्ष्म-जीवाणु बहुत छोटे जीवाणु होते हैं जिन्हें आसानी से देखा नहीं जा सकता है। सूक्ष्म जीवाणु भोजन को उस समय खराब करते हैं जब उनके विकास के लिए अनुकूल स्थिति उत्पन्न होती है।

सूक्ष्म-जीवाणुओं के विकास की उपयुक्त परिस्थितियाँ हैं :

  • भोजन में नमी की अधिक मात्रा होना।
  • भोजन के आसपास की वायु।
  • भोजन को लंबे समय तक कमरे के तापमान पर रखना।
  • जब फलों और सब्जियों के छिलकों को नुकसान पहुँचता है तो वे सूक्ष्म जीवाणुओं के संपर्क में आ जाते हैं जैसे केला आदि।

2. एंजाइमों की उपस्थिति : एंजाइम रासायनिक तत्व हैं जो पौधों तथा पशुओं में पाए जाते हैं। एंजाइम फलों और सब्जियों के पकने की प्रक्रिया में सहायक होते हैं। उदाहरण के लिए, कच्चा हरा आम कुछ ही दिनों में पककर मीठा और पीला हो जाता है, जो एंजाइम की प्रतिक्रिया के कारण होता है।

यदि पके हुए आम को कुछ और दिनों के लिए रखा जाए, तो वह अधिक पककर सड़ने लगता है। जब फलों के छिलके को निकाला या काटा नहीं भी जाता है फिर भी वह खराब हो जाता है। यह एंजाइम की प्रतिक्रिया के कारण होता है।

3. कीट, कृमि तथा चूहे : चावल या दाल में छोटे भूरे कीट और सफेद कृमि भोजन के दानों को खाते हैं। ये अनाज में छोटे- छोटे छेद कर देते हैं और कई बार उसे सफेद पाउडर में बदल देते हैं। इस प्रकार यह भोजन मानव उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं रह जाता है।

उपभोज्य जीवन के आधार पर भोजन का वर्गीकरण

उपभोज्य जीवन (shelf life) : उपभोज्य जीवन वह समय है, जिसमें भोजन ताजा रहता है। इसे भोजन की भंडारण के दौरान स्थिरता भी कहा जाता है।

खाद्य पदार्थों के भंडारण के आधार पर उनका वर्गीकरण :

  1. गैर-नाशवान : गैर-नाशवान खाद्य पदार्थ वे हैं जिन्हें खराब होने में लंबा समय लगता है। उदाहरण- साबुत अनाज, दालें, सूखे फल, तेलीय बीज, चीनी तथा गुड़।
  2. अर्ध-नाशवान : अर्ध-नाशवान खाद्य पदार्थ वे होते हैं जिन्हें खराब होने में समय लगता है। उदाहरण- अनाज तथा दालों के उत्पाद (जैसे मैदा, सूजी), अंडे, आलू, प्याज, बिस्कुट तथा केक।
  3. नाशवान : नाशवान खाद्य पदार्थ वे हैं जिनकी शेल्फ लाइफ सीमित होती है और अगर ठीक से संग्रहित न किया जाए तो वे जल्दी खराब हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मटर, फलियाँ, टमाटर, सेब, केला, ब्रैड, मक्खन तथा क्रीम।

खाद्य संरक्षण

"खाद्य संरक्षण वह प्रक्रिया जिसके द्वारा भोजन को छोटी या लंबी समयावधि के लिए खराब होने से सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसके द्वारा भोजन के रंग, स्वाद तथा पोषक तत्वों को भी संरक्षित रखा जाता है"।

खाद्य संरक्षण का महत्व

  • संरक्षण अतिरिक्त उत्पादन की व्यवस्था करता है।
  • संरक्षण से हमारे भोजन में विविधता आती है।
  • संरक्षित भोजन को उन स्थानों पर भेजना जहाँ इन्हें उगाया नहीं जाता है।
  • खाद्य पदार्थों के संरक्षण से उनका परिवहन तथा भंडारण भी सुगमता से हो जाता है।

 

खाद्य संरक्षण के सिद्धांत

1. सूक्ष्म-जीवाणुओं को नष्ट करना

  • दूध को उबाल कर उसके सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट किया जाता है। कई बार केवल अल्प अवधि के लिए ताप देकर उन सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट किया जाता है जो उस खाद्य पदार्थ को खराब कर सकते हैं। यह दूध के पास्चरीकरण के दौरान किया जाता है।
  • डिब्बा बंद करने की प्रक्रिया में डिब्बे के अंदर डाले जाने वाले भोज्य पदार्थ को उच्च तापमान गर्म किया जाता है ताकि उसमें सूक्ष्मजीवाणु विकसित न हों।

2. सूक्ष्म-जीवाणुओं की अभिक्रिया को रोकना या उसमें विलम्ब उत्पन्न करना

  • सुरक्षा आवरण उपलब्ध कराना : छिला हुआ सेब छिलका युक्त सेब की तुलना में जल्दी खराब होता है। क्योंकि सेब का छिलका उसका सुरक्षा आवरण है जो सूक्ष्मजीवाणुओं को सेब के भीतर प्रवेश करने से बचाता है। इसी प्रकार, अखरोट तथा अंडों के छिलके, फलों और सब्जियों के छिलके सुरक्षा आवरण का काम करते हैं और ये सूक्ष्मजीवाणुओं की अभिक्रिया में विलंब उत्पन्न करते हैं।
  • तापमान में वृद्धि करना : पॉलिथिन बैगों तथा एल्युमीनियम के फॉयलों में पैक किया गया भोजन भी सूक्ष्म जीवाणुओं से संरक्षण प्रदान करते हैं। सूक्ष्म जीवाणुओं को विकसित होने के लिए वायु तथा जल की आवश्यकता होती है। किन्तु, यदि इन्हें हटा दिया जाता है तो सूक्ष्मजीवाणुओं की अभिक्रिया को रोका जा सकता है और भोजन खराब नहीं होता है।
  • तापमान को कम करना : तापमान को कम करने या भोजन को जमाने (freezing) के द्वारा भी सूक्ष्मजीवाणुओं की अभिक्रिया को लंबित किया जा सकता है और इससे भोजन का संरक्षण संभव हो पाता है। जमा हुआ भोजन ताजे भोजन की तुलना में अधिक समय तक खाने योग्य रह सकता है। यह इसलिए क्योंकि सूक्ष्मजीवाणु कम तापमान पर अभिक्रिया नहीं कर पाते हैं। इस प्रकार, जब भोजन को रेफ्रिजरेटर या फ्रिजर में रखा जाता हैं तो सूक्ष्मजीवाणु विकसित नहीं हो पाते।
  • रसायनों का प्रयोग करना : कुछ रसायन जैसे सोडियम बेंजोइट तथा पोटाशियम मेटाबाइसल्फर भी सूक्ष्मजीवाणुओं के विकास को रोकने में सहायक होते हैं। इन रसायनों को ‘परिरक्षक’ कहते हैं।

 

 3. एंजाइमों की अभिक्रिया को रोकना

एंजाइमों के कारण भी भोजन खराब होता है। ये भोजन में प्राकृतिक रूप से विद्यमान होते हैं। एंजाइम की अभिक्रिया को हलके ताप उपचार से भी रोका जा सकता है। सब्जियों को डिब्बाबंद करने या जमाने से पूर्व इन्हें गर्म पानी में डाला जाता है या उन्हें कुछ समय के लिए भाप के संपर्क में लाया जाता है। इसे विवरण करना (blanching) कहते हैं।

उदाहरण के लिए, जब दूध को गर्म करते हैं तो न केवल उसमें उपस्थित सूक्ष्मजीवाणुओं को नष्ट करते हैं बल्कि एंजाइमों की अभिक्रिया को भी रोकते हैं। यह खाद्य पदार्थ की उपभोज्य आयु को बढ़ा देता है।

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खाद्य पदार्थों के संरक्षण की घरेलू विधियाँ

1. निम्न तापमान

मटर का हिमीकरण (जमाना) : ताजी व मुलायम मटर चुनें व छील लें। पर्याप्त पानी लें जिसमें मटर पूरी तरह डूब जाए। प्रति एक लीटर पानी पर लगभग 10 ग्रा. नमक मिला लें और उबालें। उबलते पानी में मटर डालें और 2 मिनट तक रखें। छान लें और तुरंत ठंडा कर लें। छोटे पॉलीथीन बैग में पैक करें। बैग को दबाकर हवा निकाल लें और मोम से सील कर लें। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि पैकेट में हवा के साथ कोई सूक्ष्म जीवाणु न रह जाए। पैकेट को फ्रीजर में रखें।

इसी तरह दूसरी सब्जियाँ जैसे पत्ता गोभी, फलियाँ, गाजर आदि भी संरक्षित की जा सकती है।

जमी हुई सब्जियों का उपयोग : फ्रीजर से जमी हुई थैली निकालें और उपयोग करने से डेढ़ या दो घंटे पहले उसे कमरे के तापमान पर आने दें। इन्हें एक जाली पर रख कर कुछ समय के लिए बहते हुए पानी के नीचे रखने के बाद इनका उपयोग करें। जमी हुई सब्जियाँ 6 महीने तक फ्रीजर में रखी जा सकती हैं।

फलों व सब्जियों के हिमीकरण (freezing) के दौरान रखी जाने वाली सावधानियाँ हैं :

  • पैकिंग का सामान जैसे कि पॉलीथिन बैग, काफी मजबूत होना चाहिए जो कि भोज्य पदार्थ के फैलने का दबाव सहन कर सके।
  • भोज्य पदार्थ को एक बार फ्रीजर से निकाल कर कमरे के तापमान पर लाने के बाद दुबारा नहीं जमाया जाना चाहिए।
  • छोटे पैकेट बनाने चाहिए ताकि निकाला हुआ भोजन पूरा उपयोग में लाया जा सके और उपयोग में न आने वाले भोजन खराब होने से बच सकें।
  • पैकेट को सील करने से पहले हवा को सावधानीपूर्वक पूरी तरह से निकाल देना चाहिए।
  • फ्रीजर को बार-बार नहीं खोलना चाहिए।

 

 

 जमे हुए भोजन से बर्फ को निकालने की प्रक्रिया को द्रवणन (Thawing) कहते हैं।

2. उच्च तापमान

उच्च तापमान पर सूक्ष्म जीवाणु तथा एंजाइम नष्ट हो जाते हैं और इस प्रकार भोजन सुरक्षित रहता है व खराब नहीं होता।

उच्च तापमान का प्रयोग करके खाद्य पदार्थों के संरक्षण की दो पद्धतियाँ हैं :

(i) पास्तुरीकरण (Pasteurization)

(ii) विसंक्रमण : विसंक्रमण का अर्थ है जीवित जीवाणुओं से मुक्त होना। इस प्रक्रिया में खाद्य पदार्थों को उच्च तापमान तथा कुछ मामलों में दबाव में बहुत अधिक समय तक रखा जाता है, जिससे भोजन में मौजूद सूक्ष्म जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। उदाहरण के लिए जब खाद्य पदार्थों को पकाने के लिए प्रेशर कुकर का प्रयोग किया जाता है तो खाद्य पदार्थ अधिक समय तक खराब नहीं होते हैं क्योंकि अधिकांश सूक्ष्म जीवाणु इससे नष्ट हो जाते हैं।

3. प्रतिरक्षकों को प्रयोग

वे रसायन जो खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, उन्हें प्रतिरक्षक (preservatives) कहा जाता है।

प्राकृतिक प्रतिरक्षक

(i) नमक : नमक एक प्रतिरक्षक के रूप में कार्य करता है। भोजन में नमक की मात्रा बढ़ने से उसकी संरचना में बदलाव आ जाता है। इस कारण सूक्ष्म जीवाणु जीवित नहीं रह पाते हैं। नमक एंजाइम की गतिविधियों को भी कम कर देता है, इससे वह भोजन को नष्ट होने से बचाता है।

(ii) चीनी : अचार, चटनी, जैम, जैली मुरब्बा, स्क्वैश आदि में चीनी का प्रयोग केवल स्वाद के लिए नहीं बल्कि इन्हें संरक्षित रखने के लिए किया जाता है। इन खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए इनमें चीनी का अनुपात सही होना आवश्यक है। चीनी खाद्य पदार्थ में मौजूद जल में घुल जाती है, जिसके कारण खाद्य पदार्थ में पानी कम हो जाती है और सूक्ष्म जीवाणु विकसित नहीं हो पाते हैं।

(iii) अम्ल : नींबू का रस, सिरका, सिट्रिक एसिड आदि का का प्रयोग प्रतिरक्षक के रूप में किया जाता है। सिरके का प्रयोग प्याज, टमाटर कैचअप को संरक्षित रखने के लिए तथा नींबू के रस का प्रयोग अचारों में और सिट्रिक एसिड का प्रयोग स्क्वैश को संरक्षित रखने के लिए किया जाता है। ये अम्ल खाद्य पदार्थों की अम्लता बढ़ाते हैं, जिससे सूक्ष्म जीवाणुओं की गतिविधि कम होती है और वह विकसित नहीं हो पाते है।

(iv) तेल तथा मसाले : प्रत्येक खाद्य पदार्थ में कुछ मात्रा में पानी उपस्थित होता है, जो कि सूक्ष्म जीवाणुओं को पनपने में मदद करता है। जब मसाले मिलाए जाते है तो ये उस खाद्य पदार्थ से पानी सोख लेते हैं जिससे सूक्ष्मजीवाणु पनप नहीं पाते है। अचार आमतौर पर तेल की एक परत से ढ़के होते हैं। क्योंकि तेल की यह परत उस खाद्य पदार्थ को हवा के सम्पर्क में आने से रोकती है जिससे सूक्ष्म जीवाणुओं का प्रवेश नहीं होता।

नोट : स्क्वैश बनाने में (KMS) पोटैशियम मेटा बाईसल्फाइट परिरक्षक का प्रयोग किया जाता है।

4. निर्जलीकरण (सुखाना)

निर्जलीकरण का अर्थ है खाद्य पदार्थों से पानी या नमी दूर करना। यह एक पुरानी विधि है जिसका उपयोग खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, आलू के चिप्स, पापड़, केले के चिप्स, बड़ियाँ आदि  निर्जलीकरण का उदाहरण हैं। खाद्य पदार्थों को सुखाने के लिए सबसे अच्छा मौसम तब होता है जब वायु में नमी कम हो और धूप तेज हो।

 

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