NIOS Class-10th Chapter wise Important Topics
गृह विज्ञान (216) | हिंदी में
Ch- 4. भोजन पकाने की विधियॉं
प्रश्न 9. भोजन पकाने की विधियों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर - भोजन पकाने के लिए चार विधियों का उपयोग किया जाता है जो कि इस प्रकार हैं-
(A) नम ताप विधि द्वारा पकाना
इस विधि में भोजन को उबलते हुए पानी में डाला जाता है या उबलते हुए पानी से निकलने वाली भाप में पकाया जाता है।
1. उबालना : उबालना वह विधि है जिसमें भोजन को पर्याप्त पानी में पकाया जाता है। उदाहरण के लिए उबले हुए आलू, अंडे, चावल तथा सब्जियाँ। सामान्यतः हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पत्तागोभी, मेथी तथा पालक को अतिरिक्त पानी मिलाए बिना ही पकाया जाता है।
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2. धीमी आँच पर पकाना या रिझाना : इस विधि में भोजन को पानी की कम मात्रा में उसके क्वथनांक (boiling point) से नीचे लंबे समय तक उबाला जाता है। जैसे ही उबाल आना आरम्भ होता है आँच को धीमा करके भोजन को धीर-धीरे पकने दिया जाता है। जब शुष्क तथा कठोर भोज्य पदार्थों को तथा सब्जियों को पकाते हैं तो इस विधि का प्रयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, दाल, मांस तथा सब्जियां।
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- भाप द्वारा पकाना : जब भोजन को गर्म पानी की भाप से पकाया जाता है तो उसे भाप द्वारा पकाना (steaming) कहते हैं।
इसमें निचले पात्र में पानी भरा जाता है तथा ऊपर वाले पात्र में छेद होते हैं जिसमें पकाने के लिए भोजन रखा जाता है। एक कसकर बंद होने वाले ढक्कन से इस पात्र को बंद कर दिया जाता है। जब निचले पात्र में पानी उबलता है तो ऊपर वाले पात्र में बने छेदों से भाप निकलती है और इस भाप से भोजन पकता है। उदाहरण के लिए, इडली, मोमोस तथा नूडल्स आदि।
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- प्रेशर कुकर में पकाना : प्रेशर कुकिंग भोजन पकाने की एक प्रक्रिया है जिसमें भोजन को भाप के अत्यधिक दबाव की सहायता से एक विशेष बर्तन में पकाया जाता है। इस विशेष बर्तन को प्रेशर कुकर कहते हैं। प्रेशर कुकर स्टील या एल्युमीनियम व अन्य धातुओं के मिश्रण से बना होता है और यह अत्यधिक दबाव को सहन कर सकता है। प्रेशर कुकर में भोजन न्यूनतम संभव समय के भीतर अच्छी तरह से पकाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, चावल, पुलाव, मांस, आलू, फलियाँ, मटर आदि।
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(B) शुष्क ताप विधि द्वारा भोजन पकाना
इस विधि में 220-300 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान का प्रयोग किया जाता है। शुष्क ताप विधि से पकाए गए भोज्य पदार्थ स्वाद में करारे, रंग में ब्राउन तथा मोहक खुशबू वाले होते हैं।
1. बेक करना : इस विधि में भोजन को एक गर्म बंद बक्से के भीतर रख कर पकाया जाता है और इस बक्से को ओवन कहते हैं। ओवन के भीतर की हवा उसके नीचे लगी आग या बिजली से उत्पन्न ताप से गर्म होती है और जिसमें भोजन पकता है। उदाहरण के लिए, तंदूरी रोटी, नान, पाव, बन, बिस्कुट, तथा पेस्ट्री।
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2. भूनना : शुष्क ताप द्वारा भोजन पकाने की एक अन्य विधि है भूनना। भोजन को भूनते समय उसे सीधे गर्म तवे या ग्रिडल या रेत या आग पर रखा जाता है और पकाया जाता है। उदाहरण के लिए, सब्जियों जैसे बैंगन, आलू तथा शकरकंदी, मक्का, मूंगफली, काजू, पापड़।
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3. आँच पर सेंकना : इस विधि में भोजन को चमकदार आग में तथा अधिक प्रत्यक्ष ताप पर पकाया जाता है तथा यह भूनने की विधि से धीमी विधि है। इसमें भोज्य पदार्थ को लोहे की सलाख या ग्रिड पर लगाकर आग के ऊपर, या बिजली से चलने वाले ग्रिल बार के ऊपर सेंका जाता है। इसमें लोहे की सलाख पर तेल लगाया जाता है। ताकि भोजन उस पर चिपके नहीं। उदाहरण के लिए, आलू, शकरकंदी, बैंगन, मुर्गी, चिकन और कबाब। |
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(C) तलना
तलने की प्रक्रिया में भोजन को गर्म घी या तेल में पकाया जाता है। इस विधि में भोजन को कम तेल में तथा अत्यधिक तेल में पकाया जा सकता है। कम तेल वाली प्रक्रिया में तेल का प्रयोग बहुत कम किया जाता है जबकि अत्यधिक तेल वाली प्रक्रिया में भोज्य पदार्थ को पूरी तरह से गर्म घी या तेल में डुबाया जाता है।
1. अत्यधिक तेल में तलना : अनेक भारतीय व्यंजनों को तल कर पकाया जाता है। अत्यधिक तेल की विधि में कड़ाही में अधिक मात्रा में तेल को गर्म किया जाता है और भोज्य पदार्थ को उस तेल में डुबाया जाता है। वह पदार्थ पूरी तरह से घी या तेल में डूबना चाहिए। तलते समय घी या तेल को अत्यधिक गर्म नहीं करना चाहिए। उदाहरण के लिए, भजिया, पकोड़े, समोसे, बड़े तथा कचोंड़ियाँ।
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- कम तेल में तलना : इस विधि में कम तेल का प्रयोग किया जाता है और ताप को नियंत्रित रखा जाता है। भोज्य पदार्थ को पलटें और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त तेल का प्रयोग करते है। कम तेल में तलने के लिए नॉन स्टिक पैन ठीक होते हैं। इनमें तलते समय काफी कम तेल से ही काम चल जाता है।
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(D) भोजन पकाने की अन्य विधियाँ
- माइक्रोवेव द्वारा पकाना : यह भोजन पकाने की एक नवीन पद्धति है और यह धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है। इस विधि में माइक्रोवेव किरणों के माध्यम से भोजन को पकाया जाता है। इन माईक्रोवेव किरणों के कारण भोजन में उपस्थित पानी के कणों में तीव्रता के साथ कंपन होता है। इस प्रक्रिया से उत्पन्न ताप से भोजन पकता है। माइक्रोवेव का प्रयोग खाना गर्म करने में भी किया जाता है। उदाहरण के लिए, पिज़्ज़ा, बर्गर, ढोकला आदि।
- सौर कुकर में पकाना : सौर ऊर्जा पृथ्वी पर उपलब्ध अधिकतर ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत है। भोजन पकाने के लिए इसका उपयोग एक वैकल्पिक ईंधन स्रोत के रूप में किया जाता है। इसमें भोजन पकाना विज्ञान के इस सिद्धान्त पर आधारित है कि काली सतह और काली पृष्ठ भूमि सौर किरणों को अवशोषित कर गर्म हो जाती हैं जिसके कारण काले डिब्बों में रखा भोजन पक जाता है।
प्रश्न 10. पोषक तत्वों का संरक्षण किसे कहते है ? पोषक तत्वों के संरक्षण के तरीके सुझाइए ।
उत्तर - पोषक तत्वों का संरक्षण : भोजन तैयार करने व पकाने की प्रक्रिया के दौरान पोषक तत्वों को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया को पोषक तत्वों का संरक्षण कहते हैं।
पोषक तत्वों के संरक्षण के तरीके निम्नलिखित है :
- सब्जियों को काटने से पहले धोना चाहिए ताकि उनके खनिज तथा विटामिन नष्ट न हों। भोज्य पदार्थों को आवश्यकता से अधिक नहीं धोना चाहिए।
- सब्जियों के छिलके निकालते समय ध्यान रखें कि छिलकों को जितना हो सके पतला छीलें क्योंकि इनके नीचे ही विटामिन और खनिज होते हैं।
- सब्जियों को भोजन पकाने से ठीक पहले बड़े-बड़े टुकड़ों में काटा जाना चाहिए क्योंकि छोटे टुकड़ों में काटने से पोषक तत्वों की हानि होती है।
- यदि सब्जियों को पानी में पकाना है तो इन्हें उबलते हुए पानी में डालना चाहिए।
- भोजन पकाते समय खाने वाले सोडे का प्रयोग न करें।
- भोजन पकाते समय इमली या नींबू के रस के प्रयोग से विटामिनों के संरक्षण में सहायता मिलती है।
- चावल पकाते समय उतने ही पानी का प्रयोग करें जो पकाने की प्रक्रिया के दौरान अवशोषित हो जाए।
- ऐसे बर्तन में भोजन पकाएँ जिसका ढक्कन अच्छी तरह से बंद होता हो। जब आप बिना ढक्कन के भोजन पकाते हैं तो इसके अधिकतर पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
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प्रश्न 11. भोजन में पौष्टिक तत्वों के संवर्धन की विधियों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर - भोजन में पौष्टिक तत्वों का संवर्धन निम्नलिखित पद्धतियों द्वारा किया जाता हैं:
- संयोजन
कोई एक भोजन हमें सभी पोषक तत्व उपलब्ध नहीं कराता है। इसलिए हम विविध प्रकार का भोजन खाते हैं। सभी पौष्टिक तत्वों का सेवन करने का सबसे आसान तरीका यह है कि विभिन्न भोजन समूहों से भोज्य पदार्थों के संयोजन (मिश्रण) को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।
उदाहरण के लिए, जब हम चावल और दाल को मिलाते हैं तो इसमें प्रोटीनों की गुणवत्ता उतनी ही अच्छी हो जाती है जितनी कि दूध में होती है। इसी प्रकार सब्जियों जैसे पालक, मेथी तथा गाजर में विटामिन और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। इन्हें जब आहार में शामिल किया जाता है तो भोजन के पौष्टिक तत्वों में व्यापक संवर्धन होता है।
लाभ: भोजन की लागत में वृद्धि किए बिना एक ही खाद्य समूह या विभिन्न खाद्य समूहों से दो खाद्य पदार्थों को मिलाकर आहार की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। यह एक सामान्य तकनीक है जिसका प्रयोग प्रत्येक परिवार में आसानी से किया जा सकता है।
- किण्वन ( खमीर उठाना )
किण्वन वह प्रक्रिया है, जिसमें भोज्य पदार्थ में उपस्थित या दही आदि के रूप में शामिल किए गए सूक्ष्म जीवाणु भोजन में पहले से विद्यमान पोषक तत्वों को साधारण व बेहतर रूप में परिवर्तित कर देते हैं। इस प्रक्रिया में कुछ नए पोषक तत्व जैसे विटामिन सी तथा विटामिन बी कॉम्पलैक्स का भी निर्माण होता है।
उदहारण के लिए, दही, ब्रेड, खमन, ढोकला तथा इडली किण्वित भोजन के उदाहरण हैं।
लाभ:
- किण्वन भोजन की सुपाच्यता में सुधार करता है। सूक्ष्म जीवाणु जो किण्वन की प्रक्रिया को जन्म देते हैं वे भोजन के प्रोटीन तथा कार्बोहाईड्रेट को छोटे भागों में खंडित कर देते हैं जिसके कारण भोजन को पचाना आसान हो जाता है।
- किण्वित भोजन स्पांजी और नर्म होता है जिसके कारण वह भोजन बच्चों तथा बुजुर्गों के लिए उपयोगी हो जाता है।
- अंकुरण
साबुत मूँग या चने के दाने लीजिए और उन्हें थोड़े से पानी में पूरी रात भिगो दीजिए। अगले दिन उनका आकार बदल जाएगा और वे छूने में नरम हो जाएँगे। उन दोनों को मलमल के कपड़े में बाँध कर 12 या 14 घंटे के लिए छोड़ देते हैं तो उनमें छोटे-छोटे अंकुर निकल रहे हैं। यह प्रक्रिया “अंकुरण” कहलाती है।
प्रत्येक अनाज या दाल को अंकुरित करने में प्रयुक्त होने वाले समय व पानी की मात्रा भिन्न-भिन्न है। सामान्य भगोने में 8 से 16 घंटे और अंकुरण में 12 से 24 घंटे का समय लगता है। जिस कपड़े में भीगी हुई दाल बाँधी जाती है, उसे पूरे समय नम रखा जाना चाहिए।
लाभ:
- यह भोजन की सुपाच्यता को बढ़ाता है क्योंकि कुछ कार्बोहाईड्रेट और प्रोटीन छोटे छोटे टुकड़ों में विखंडित हो जाते हैं और भोजन को सुपाच्य बना देते हैं।
- भोजन की लागत को बढ़ाए बिना उसके पोषक तत्वों में वृद्धि करता है। आपने यह पहले ही सीख लिया है कि ऐसा किस प्रकार किया जाता है।
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