NIOS Class 12th Home Science (321) Chapter 13th Important Topics

Jul 28, 2025
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NIOS Class 12th Important Topics

Module 3:- संसाधन प्रबंधन

HOME SCIENCE (321)

पाठ - 13 आय प्रबंधन

पारिवारिक आय

आय किसी भी परिवार की आवश्यकताओं और इच्छाओं की पूर्ति के लिए इस्तेमाल की हुई सेवाएँ, वस्तुएँ और पैसा है।

पैसा : पैसा हाथ में आई नकद रकम है। इसे साधारण तथा नकद आय कहा जाता है। इसके कई स्रोत हैं-

  • कार्यस्थल से, उदाहरण के लिए- नौकरी और व्यवसाय।
  • किराये से यदि आपने पूरा या आंशिक मकान किराये पर उठाया हो।
  • ब्याज से, अपना पैसे को बैंक में जमा करके ब्याज प्राप्त कर सकते हैं।
  • घरेलू उत्पादन से, उदाहरण, अचार बना कर, खिलौने और वस्त्र बना कर उन्हें बेचने से।

आय प्रबंधन

आय को परिवार के लिए नियोजित व नियंत्रित ढंग से उपभोग करना ही आय प्रबंधन है।

आय प्रबंधन के तरीके :

पारिवारिक आय के उपयोग पर नियंत्रण - प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यय पर नियंत्रण और लगाम दो तरह से रख सकते है-

  • पैसा बर्बाद न करें। केवल वही सामान खरीदें जो परिवार के लिए आवश्यक हो। थोक विक्रेताओं से सस्ते दाम पर सामान खरीदकर पैसे बचाएं।
  • समय, ऊर्जा, ज्ञान व कौशल का उपयोग खरीदारी में करना चाहिए। अगर आपकी आय का सुनियोजित व सुनियंत्रित उपयोग होता है तो आपकी आवश्यकताओं के साथ-साथ इच्छाओं की भी पूर्ति हो जाएगी।

अतिरिक्त आय के तरीके

पारिवारिक आय को किसी तरह बढ़ाना ही अतिरिक्त पारिवारिक आय होता है।

  • अंशकालिक कार्य : ऐसे काम जो सीमित समय में किए जाते हैं और जिनमें अपेक्षाकृत कम पैसा मिलता है, अंशकालिक कार्य कहलाते हैं। ऐसे कार्य खाली समय में किए जा सकते हैं और ये परिवार के अतिरिक्त आय के अच्छे साधन हैं।
  • महिलाएं अचार और मुरब्बा बनाकर बेच सकती हैं, सिलाई, कढ़ाई, बुनाई के साथ साथ ट्यूशन देकर आय बढ़ा सकती हैं।
  • बचत का निवेश करके ब्याज कमाया जा सकता है व उपलब्ध संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करके भी आय में वृद्धि की जा सकती है।
  • पारिवारिक आय को बढ़ाने का अर्थ केवल पैसा कमाना ही नहीं है बल्कि खर्चों में कुछ कटौती करके भी आय में वृद्धि की जा सकती है। जैसे छुट्टी पर ना जाना, अपने घर की सफाई स्वयं करना, कपड़े स्वयं धोना व प्रेस करना।

बचत

वर्तमान आय में से जो धन आपात स्थिति या भविष्य की आवश्यकता के लिए अलग से रख दिया जाता है, वह 'बचत' कहलाता है।

बचत की आवश्यकता के कुछ कारण :

  • सुरक्षित भविष्य के लिए
  • आपात स्थिति का सामना करने के लिए
  • पारिवारिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए
  • स्व-रोज़गार के लिए

निवेश

बचत का ऐसा उपयोग, जिससे बचत में वृद्धि हो 'निवेश' कहलाता हैं।

 

1. भविष्य निधि (Provident fund) :

नियमित वेतनभोगी सरकारी कर्मचारियों की वृद्धावस्था को सुरक्षा देने के लिए सरकार ने सेवानिवृत्ति लाभकारी योजना बनाई है जिसे भविष्य निधि के नाम से जाना जाता है। इस योजना का मुख्य उददेश्य है अनिवार्य रूप से बचत होना।

भविष्यनिधि योजना दो प्रकार की होती हैं :

(i) सामान्य भविष्य निधि (GPF) :

  • यह योजना सभी वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए है।
  • इस योजना के तहत सेवानिवृत्ति पर ब्याज सहित पूरी राशि मिलती है। साथ ही, बेटी की शादी या गृह निर्माण के लिए ऋण लिया जा सकता है।

(ii) लोक भविष्य निधि (PPF) : इसमें कोई भी स्व-रोजगार में लगा व्यक्ति स्टेट बैंक ऑफ इंडिया या डाक घर में खाता खोल सकता है। इसमें पैसा एक साथ या किश्तों में जमा किया जा सकता है। पांच वर्ष की अवधि के पश्चात् निवेशक अपनी जमा राशि का कुछ प्रतिशत वापस ले सकते हैं।

2. बीमा पॉलिसी :

बीमा पॉलिसी के माध्यम से प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों से हुई हानि के लिए सुरक्षा मिलती है। जब कोई आदमी बीमा पॉलिसी लेता है तो उसे बीमा कम्पनी के साथ एक समझौता करना पड़ता है। समझौते के अनुसार बीमा करवाने वाले व्यक्ति को प्रति माह एक निश्चित रकम का भुगतान करना पड़ता है जिसे 'प्रीमियम' कहा जाता है। इसके बदले में बीमा कम्पनी बीमा करवाने वाले के नुकसान की पूरी कीमत अदा करती है।

बीमा के प्रकार :

(i) सामान्य बीमा :

इस प्रकार का बीमा चोरी, आग, बाढ़, सूखा आदि के नुकसान का पूरा हर्जाना देता है। इसमें ज्यादातर एक वर्ष का ठेका होता है। इसमें बीमित व्यक्ति निश्चित अवधि के अन्तराल पर प्रीमियम देता रहता है। यह एक सरल और अनिवार्य रूप से बचत करने का तरीका है जो किसी भी हानि या दुर्घटना की संभावना के प्रति सुरक्षा प्रदान करती है।

(ii) जीवन बीमा :

जीवन बीमा एक समझौता है, जिसमें व्यक्ति को निश्चित समय तक प्रीमियम देना होता है। पॉलिसी की राशि और अवधि के आधार पर प्रीमियम तय होता है। समय समाप्त होने पर जमा राशि ब्याज सहित लौटाई जाती है। यदि बीमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाए, तो पॉलिसी की राशि नामित लाभभोगी को दी जाती है।

वित्तीय संस्थाओं की सुविधाएं

बचत के अतिरिक्त, वित्तीय संस्थाएं हमें निम्न सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं :

  1. क्रेडिट कार्ड : बैंक अपने उपभोक्ताओं को क्रेडिट कार्ड की सुविधा देते हैं। बैंक द्वारा अधिकृत विक्रताओं से उत्पाद एवं सेवाएं खरीदने के लिए इस कार्ड का प्रयोग किया जा सकता है। इस कार्ड को 'प्लास्टिक मनी' भी कहा जाता है क्योंकि यह प्लास्टिक का बना होता है।
  2. डेबिट कार्ड : डेबिट कार्ड क्रेडिट कार्ड की तरह होता है, लेकिन इसमें कुछ अंतर हैं:
    • यह कार्ड आपके बैंक खाते से जुड़ा होता है।
    • जब आप इस कार्ड से भुगतान करते हैं, तो पैसा सीधे आपके बैंक खाते से कटता है।
    • इस प्रकार, आप अपना ही पैसा खर्च करते हैं, न कि बैंक से उधार।
  1. ए.टी.एम कार्ड : हम अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड से किसी भी ए.टी.एम. से पैसे निकाल सकते हैं। ए.टी.एम. विभिन्न स्थानों पर होते हैं, जैसे बैंक के बाहर, बाजार, कॉलोनी, स्टेशन और बस अड्डे पर, जिससे आपको 24 घंटे पैसा उपलब्ध होता हैं, चाहे बैंक खुला हो या नहीं।
  2. ऋण : वित्तीय संस्थाएं विभिन्न कार्यों के लिए ऋण देती हैं, जैसे व्यक्तिगत खर्च, शिक्षा, घर, कार और सामान खरीदने के लिए, भवन के रखरखाव और व्यवसाय के लिए। ऋण पर ब्याज की दर ऋण के उद्देश्य, राशि, भुगतान अवधि और वित्तीय संस्था के प्रकार पर निर्भर करती है। ऋण का भुगतान मासिक किश्तों में किया जा सकता है। ऋण लेने के लिए व्यक्ति को गारंटी या संपत्ति बैंक को सुरक्षा के रूप में देनी होती है।
  3. ई बैंकिंग: ई-बैंकिंग या इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग का अर्थ है बैंकिंग सेवाओं को इंटरनेट के माध्यम से प्रदान करना। इसके द्वारा ग्राहक अपने बैंक खाते से संबंधित विभिन्न कार्य ऑनलाइन कर सकते हैं, जैसे कि पैसे का लेन-देन, बिल भुगतान, खाते का बैलेंस चेक करना, फंड ट्रांसफर करना और नई सेवाओं के लिए आवेदन करना।

 

ई-बैंकिंग के लाभ :

  • अपने बैंक के खाते में शेष राशि का पता लगाना, चेक बुक/ड्राफ्ट के लिए आवेदन करना, क्रेडिट कार्ड का भुगतान करना।
  • वस्तुएं या सेवाएं खरीदना।
  • रेल या हवाई यात्रा के लिए टिकट खरीदना।
  • अपने टेलीफोन, बिजली, पानी के बिल का भुगतान करना।

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