NIOS Class 12th Home Science (321) Chapter 17th Important Topics

Jul 29, 2025
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NIOS Class 12th Important Topics

Module 3:- संसाधन प्रबंधन

HOME SCIENCE (321)

पाठ - 17 उपभोक्ता शिक्षा

उपभोक्ता शिक्षा

उपभोक्ता शिक्षा का अर्थ है उपभोक्ताओं को इसकी शिक्षा देना कि क्या, कहाँ,कब, कैसे और कितना खरीदना है और जो भी खरीदा गया है उसका उपयो किस प्रकार करना है।

उपभोक्ता शिक्षा के लाभ :

  • वस्तुओं के विवेकपूर्ण चुनाव की योग्यता विकसित करने में मदद मिलती है।
  • हम सुरक्षित, विश्वसनीय और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए सही मूल्य मांगना सीखते हैं।
  • हम बाजार में मौजूद भ्रष्ट तरीकों से सचेत और सावधान रहते हैं।
  • जब भी कोई समस्या आती है, तो हम उसका सही समाधान खोजने में सक्षम होते हैं।

उपभोक्ता की समस्याएं

  1. अनुपलब्धी-जमाखोरी व कालाबाजारी : कभी-कभी बाजार में कुछ खास उत्पाद नहीं मिल पाते, और इसके कुछ कारण होते हैं :
  • वास्तविक कारण : जैसे मौसम की अनियमितता, कम उत्पादन, या ट्रांसपोर्ट की हड़ताल, जिससे आपूर्ति कम हो जाती है। प्राकृतिक आपदाएं, जैसे सूखा या बाढ़, भी इस समस्या का कारण बन सकती हैं।
  • बनावटी कारण: कुछ व्यापारी जानबूझकर उत्पादों की कमी दिखाते हैं ताकि वे उपभोक्ताओं से अधिक पैसे वसूल सकें। इसे कालाबाजारी कहा जाता है, जिसका मतलब है कि जरूरी सामान को जरूरतमंद लोगों को ज्यादा कीमत पर बेचना। कभी-कभी उत्पादक जानबूझकर अपने सामान की आपूर्ति को कम कर देते हैं ताकि वे कीमतें बढ़ा सकें।

उदाहरण के लिए, आप पेट्रोल, मक्खन, और तेल की कीमतों में वृद्धि जनवरी और फरवरी में देख सकते हैं, जब सरकार बजट में नई नीतियां घोषित करती है।

  1. दोषपूर्ण बाट और नाप : विक्रेता वस्तुओं को तौलते या नापते समय कई प्रकार के दोषपूर्ण तरीके अपनाते हैं। इनमें से कुछ निम्न प्रकार हो सकते हैं-
  • नियत वजन से कम वजन का प्रयोग करके, जैसे ईंट, पत्थर या खोखले तले वाले बाट आदि अनियमित वजनों का प्रयोग करके।
  • तराजू के पलड़ों के नीचे चुम्बक या गत्ते का टुकड़ा लगाकर, इसके अलावा पैट्रोल पम्प, टैक्सी और ऑटोरिक्शा के मीटर की सुई शून्य पर न रहना आदि।
  1. दोषपूर्ण व्यापार पद्धत्तियाँ
  • छोटी वस्तुओं को बड़े पैकेटों में पैक करना या खराब गुणवत्ता वाली वस्तुओं की आकर्षक पैकिंग करना जिन्हें अंदर के उत्पाद को देखने के लिये खोला नहीं जा सकता।
  • निम्नस्तरीय वस्तुओं के साथ आकर्षक उपहार, छूट, या अव्यावहारिक मूल्य कटौती देना।
  • नकली उत्पादों को असली ब्रांड नाम और लेबल के साथ, अच्छी पैकिंग में बेचना।

उपभोक्ताओं के अधिकार

  1. सुरक्षा का अधिकार : इस अधिकार के तहत उपभोक्ताओं को ऐसे उत्पादों और सेवाओं से सुरक्षा मिलती है जो स्वास्थ्य और संपत्ति के लिए हानिकारक हो सकते हैं, जैसे मिलावटी खाद्य पदार्थ और असुरक्षित इलेक्ट्रिकल उपकरण।
  2. सूचना का अधिकार : यह अधिकार उपभोक्ताओं को वस्तुओं व सेवाओं की गुणवत्ता, परिमाण और मूल्यों के विषय में सूचना का अधिकार देती है। सलिए, सभी उत्पादों पर लेबल होना चाहिए, जिसमें यह जानकारी लिखी हो।
  3. चयन का अधिकार : इस अधिकार से हमें विभिन्न प्रकार की उचित गुणवत्ता व मूल्य की वस्तुओं और सेवाओं के चयन करने का अधिकार प्राप्त होता है।
  4. सुनवाई का अधिकार : इस अधिकार के तहत हमें व्यापारियों द्वारा किसी भी तरह की धोखाधड़ी और सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ अपनी बात रखने और उस पर सुनवाई का अधिकार है।
  5. क्षतिपूर्ति का अधिकार : इस अधिकार का अर्थ है कि हमें दोषपूर्ण वस्तुओं और सेवाओं के लिए उचित शिकायतों पर मुआवजा और समाधान पाने का अधिकार है।
  6. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार : इस अधिकार से हम विवेकपूर्ण चयन करने की योग्यता प्राप्त करते हैं।

 

उपभोक्ता संरक्षण के लिए कानून

उपभोक्ता संरक्षण कानूनों के अंतर्गत कोई भी उपभोक्ता किसी भी व्यपारी के खिलाफ अपनी औपचारिक शिकायत दर्ज करके न्यायालय में मुकदमा कर सकता है।

1. फल उत्पाद क्रम (FPO) :- इस अधिनियम के अनुसार सभी फल व सब्जी उत्पादकों को उत्पादन, भडारण व विक्रय के दौरान विशिष्ट गुणवत्ता, पैकिंग, लेबलिंग और स्वच्छता के मापदंड बनाये रखना अत्यावश्यक है। यह सुनिश्चित करता है कि डिब्बा बंद प्रसंस्करित व सुरक्षित उत्पाद जैसे अचार, मुरब्बे, फलों का रस, स्क्वैश, फ्रोजन सब्जियां और फल ही बाजार में बेचे जायें। सभी उत्पाद जिनको FPO चिह्न की आवश्यकता है उन्हें यह चिह्न दिया जाता है।

2. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (CPA/COPRA) : यह अधिनियम उपभोक्ताओं के अधिकार व उत्तरदायित्वों को परिभाषित करता है। यह उपभोक्ताओं को उनकी शिकायतों की शीघ्र और सरल क्षतिपूर्ति उपलब्ध कराने की मांग करता है। उपभोक्ता निजी और सरकारी कंपनियों के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं, और जिला, राज्य, और राष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ता क्षतिपूर्ति फोरम में निपटारा होता है।

3. भारतीय मानक व्यूरो अधिनियम (BIS) : इस अधिनियम के तहत, भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा मानकों के अनुसार उत्पादों को गुणवत्ता चिह्न दिया जाता है। यह उत्पादों के सामग्री, उत्पादन विधि, लेबल, और पैकिंग के लिए प्रमाणपत्र प्रदान करता है और ISI चिह्न के गलत उपयोग पर रोक लगाता है। उदाहरण में घी, डिटर्जेंट, और प्रेशर कुकर शामिल हैं।

मानक चिह्न

मानक चिह्न किसी भी उत्पाद को दिया गया वह चिह्न है, जो गुणवत्ता के कुछ विशिष्ट मापदंडो की सामग्री, उत्पाद की विधि, लेबल, पैकिंग, बिक्री और कार्यशैली के रूप में पूर्ति करता है।

1. एगमार्क (AGMARK) : अब तक कृषि, बागवानी, वन और पशुपालन संबधी उत्पाद जैसे शुद्ध घी, शहद और मसाले आदि 142 उत्पादों को एगमार्क चिह्न दिया गया है।

2. आई.एस.आई (ISI) चिह्न : यह चिह्न भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा उत्पादों की विशेषताओं और परीक्षण विधियों के आधार पर दिया जाता है। 15,000 मानक उत्पादों, जैसे विभिन्न सब्जियां, फल, मांस, खाद्य पदार्थ, वनस्पति, साबुन, रंग, नॉनस्टिक बर्तन, स्टोव, एल.पी. जी. सिलेंडर और सीमेंट आदि को आई.एस.आई. चिह्न दिया जाता है।

3. वूलमार्क : सन् 1949 में अंतर्राष्ट्रीय ऊन सचिवालय के मानक चिह्न की स्थापना की गयी थी। यह शुद्ध ऊनी उत्पादों को बढ़ावा देती है। इसके द्वारा यह अनिवार्य कर दिया जाता है कि ऊन और ऊनी वस्त्रों के लेवल पर यह स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए कि उसमें ऊन के अतिरिक्त अन्य सूत का कितना प्रतिशत प्रयोग किया गया है।

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