NIOS Class 12th Home Science (321) Chapter 24th Important Topics

Jul 29, 2025
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Module 5:- वस्त्र एवं परिधान

HOME SCIENCE (321)

पाठ - 24 वस्त्र निर्माण

बुनाई की प्रक्रिया

  • बुनाई की प्रक्रिया करघे या लूम द्वारा होती है, परंतु आजकल बुनाई प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए पावर लूम का प्रयोग किया जा रहा है।
  • बुनाई की प्रक्रिया में ताने को एक दूसरे के पास समानान्तर बिछा दिया जाता है। फिर हाथ से या किसी अन्य उपकरण कुछ तानों को उठाकर अन्य को अपनी पूर्व स्थिति में रहने दिया जाता है।
  • इस दो भागों में विभाजित ताने के बीच से शटल द्वारा बाना निकाला जाता है और गूंथने का एक चरण पूर्ण हो जाता है।
  • एक ताना छोड़कर एक को उठाकर बुनाई करने से साधारण बुनाई वाला वस्त्र प्राप्त होता है।
  • बुनाई को दृढ़ व सघन (घना) करने के लिए बाने को एक कंघी जैसे उपकरण से पीटा जाता है जिसे रीड कहा जाता है।

उदहारण के लिए, बुनाई की प्रक्रिया की तुलना चटाई बनाने की प्रक्रिया से की जा सकती है। चटाई बनाते वक्त एक ढांचे पर कुछ रस्सियों को एक दूसरे के समानान्तर रखा जाता है। चटाई बनाने वाला अपनी अगुंलियों से कुछ रस्सियों को उठाकर उसके नीचे से लम्बाई में दूसरी रस्सी निकालता है। फिर उसे एक मोंथरे चाकू से धक्का देकर कस देता है। इस प्रकार एक दृढ़ चटाई बनती है।

हथकरघे में ये सब प्रक्रियाएं हाथ द्वारा की जाती हैं। आजकल यंत्रचलित करघों का प्रयोग तेजी से बुनाई करने के लिए किया जाने लगा है।

आधारभूत बुनाइयाँ

(1) साधारण बुनाई :

यह बुनाई का सबसे साधारण नमूना है और बनाने में भी सबसे कम खर्चीला है। आमतौर पर पहने जाने वाले कई वस्त्र, जैसे मलमल के दुपट्टे, ऑरगेन्डी और शिफॉन की साड़ियां इत्यादि में सादी बुनाई का प्रयोग किया जाता है। इसमें कपड़े की चौड़ाई में प्रत्येक बाना सूत प्रत्येक ताना सूत के ऊपर और नीचे बारी-बारी जाता है। यदि सूत काफी नजदीक होते हैं तब सादी बुनाई की सूत गणना अधिक होती है और इससे बनने वाला वस्त्र भी मजबूत व टिकाऊ होता है।

सादी बुनाई दो प्रकार की होती है :

(i) रिब बुनाई - किसी भी एक दिशा में पतले सूत को मोटे सूत के साथ या इकहरे सूत के साथ प्रयोग करके वस्त्रों में रिब या लाइन का प्रभाव उत्पन्न किया जाता है।

(ii) बास्केट बुनाई - इस बुनाई में दो या अधिक बाना सूत उतने ही ताना सूत के साथ एक इकाई की भाँति अंतर्गचित किए जाते हैं ताकि बास्केट बुनाई वाला प्रभाव उत्पन्न हो। मैटी वस्त्र जो क्रॉस स्टिच कढ़ाई के लिए उपयोग किया जाता है इसका एक उदाहरण है।

(2) टि्विल बुनाई :

इस बुनाई में वस्त्र पर एक तिरछी रेखा बनती है। यह बहुत मजबूत व टिकाऊ बुनाई होती है। अतः यह आमतौर पर पुरूषों के सूट व कोट के कपड़े व जींस के कपड़े में भी प्रयोग की जाती है। साधारण बुनाई की अपेक्षा टिविल बुनाई के कपड़ों पर धूल कम दिखाई पड़ती है।

(3) साटिन बुनाई :

साटिन बुनाई में कपड़े की सतह पर चमकीली और सुन्दर दिखावट बनती है। यह ताना सूत के लंबे फंदों के कारण होता है। इस बुनाई में ताना सूत कई बाना सूतों के ऊपर से गुजरने के बाद एक बाना सूत के नीचे जाता है, या फिर बाना सूत कई ताना सूतों के ऊपर से होते हुए अगले बाना सूत के नीचे जाता है। चूंकि ये लंबे फंदे आसानी से उलझ सकते हैं, इसलिए साटिन बुनाई सादी और टि्विल बुनाई की तुलना में उतनी मजबूत नहीं होती।

वीविंग तथा नीटिंग के बीच में अंतर:-

गुण

वीविंग

नीटिंग

उदाहरण

सूत

  • समकोण पर दो सूत गुंथे होते हैं।
  • एक ही सूत से फंदे बनाए जाते हैं।

उपकरण

  • हथकरघा या स्वचालित लूम
  • सलाइयों या मशीन द्वारा बुनाई की जाती है।

वस्त्र

  • दृढ़, चिकने, स्थाई और अपनी आकृति बनाए रखते हैं।
  • सलवट प्रतिरोधक, खिंचावदार, लचीले व शरीर पर फिट होते हैं।

देखभाल व रख-रखाव

  • पुनः प्रयोग से पहले भली-भाँति धुलाई व इस्त्री की आवश्यकता होती है।
  • इस्त्री की आवश्यकता नहीं होती पर धुलाई के बाद समतल जमीन पर सुखाना चाहिये।

डिज़ाइन

  • विभिन्न प्रकार के सूत एवं रंग तथा बुनाई से बनाए जाते हैं।
  • विभिन्न प्रकार की ऊन, फंदों व रंगों के माध्यम से बनाए जाते हैं।

उपयोग

  • परिधान, पर्दे, चद्दर, टेबल लिनन व अन्य कपड़ों के लिए।
  • अधोवस्त्र, हौजरी, स्वेटर, टी-शर्ट, मोजों के लिए।

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