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प्रश्न 1 - भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
अथवा
हमारे संविधान की मुख्य विशेषताएं क्या है? संक्षेप में उत्तर दें।
उत्तर -
परिचय
भारतीय संविधान एक लिखित और निर्मित संविधान है, जो राष्ट्र की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों से जुड़ा हुआ है। इसका प्रमुख उद्देश्य भारत की विविधताओं के अनुसार संकटकाल में सही ढंग से शासन को चलाने में सहयोग करना है। यह धर्मनिरपेक्षता, लोकतांत्रिक गणराज्य, और मौलिक अधिकारों की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। संविधान में न्यायपालिका की स्वतंत्रता और नागरिकों के लिए कर्तव्यों की भी व्यवस्था की गई है।
भारतीय संविधान की विशेषता पर कहे गए विद्वानों के अनुसार महत्वपूर्ण कथन : -
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं
1. सबसे बड़ा संविधान : भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जो भारत में विभिन्न प्रांतों, धर्मों, जातियों, भौगोलिक परिस्थितियों और नई चुनौतियों का सामना करने के लिए निर्मित किया गया है। इसके मूल संविधान में 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियाँ और 22 भाग थे।
भारतीय संविधान में अमेरिकी संविधान से मूल अधिकार, ब्रिटेन से संसदीय लोकतंत्र, आयरलैंड से नीति-निदेशक तत्व, कनाडा से संघवाद, ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची, फ्रांस से प्रयुक्त शब्दावली एवं जापान से कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया को अपनाया गया है।
2. कठोर एवं लचीला संविधान : भारतीय संविधान में कठोरता और लचीलेपन का संतुलन है। संविधान की कठोरता इस बात पर निर्भर करती है कि संशोधन के लिए जटिल प्रक्रिया अपनाई जाती है।
3. संसदात्मक शासन प्रणाली: भारतीय संविधान में संसदीय शासन प्रणाली अपनाई गई है, जिसमें प्रधानमंत्री और उनकी मंत्री परिषद वास्तविक कार्यकारी होते हैं, जबकि राष्ट्रपति नाममात्र का प्रधान होता है। भारत सरकार अधिनियम 1919 और 1935 के तहत भारत में संसदीय प्रणाली की नींव पहले ही रखी जा चुकी थी, जिससे भारतीय जनता इस व्यवस्था से परिचित थी।
संविधान सभा ने इसी कारण इसे प्राथमिकता दी। राष्ट्रपति के पास सैद्धांतिक रूप से सभी कार्यकारी शक्तियां होती हैं, लेकिन वह इन्हें मंत्री परिषद की सलाह के बिना प्रयोग नहीं कर सकता। मंत्री परिषद सामूहिक रूप से जनता के प्रति उत्तरदायी होती है।
4. एकात्मक और संघात्मक स्वरूप: भारतीय संविधान में एकात्मक और संघात्मक दोनों प्रकार की व्यवस्थाएँ हैं। इसका मूल ढांचा संघात्मक है, यानी राज्यों की अपनी सरकारें और अधिकार हैं, लेकिन यह आपातकाल के समय एकात्मक हो जाता है, जैसे केंद्रीय सरकार की शक्तियाँ बढ़ जाती हैं। उदाहरण के तौर पर, एकात्मक तत्वों में इकहरी नागरिकता, इकहरी न्यायपालिका, और गवर्नरों की नियुक्ति शामिल हैं।
5. स्वतंत्र न्यायपालिका एवं एकल नागरिकता : भारतीय संविधान ने स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना की है, जो न्यायपूर्ण और निष्पक्ष निर्णय देने के लिए स्वतंत्र होती है। इसका मुख्य कार्य केंद्र और राज्यों के बीच विवादों को सुलझाना और मूल अधिकारों की रक्षा करना है।
6. मूल अधिकार, मूल कर्तव्य और राज्य के नीति-निदेशक तत्व : भारतीय संविधान में मूल अधिकार नागरिकों के जीवन की बुनियादी स्वतंत्रताएँ और सुरक्षा प्रदान करते हैं, और इन्हें किसी भी कानून से छेड़ा नहीं जा सकता। यदि ऐसा होता है, तो न्यायपालिका इसे असंवैधानिक घोषित कर सकती है।
निष्कर्ष
अतः कहा जा सकता है कि भारतीय संविधान लिखित और विस्तृत होने के साथ-साथ भारतीय परिस्थतियों के अनुसार निर्मित किया गया है, जिसकी उपरोक्त वर्णित विशेषताएं इसे महत्वपूर्ण बनाती है। यह भारतीय शासन प्रणाली को व्यवस्थित तरीके से चलाने में सहयोग करता है।
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