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जी हाँ, वही SSC – जिसके थ्रू स्टूडेंट्स सरकारी नौकरी पाने की उम्मीद में दिन-रात मेहनत करते हैं।
किताबों में डूबे रहते हैं... कोचिंग सेंटर्स के बाहर लाइन लगाते हैं... और सालों तक घरवालों के सपने अपनी आँखों में बसाए रहते हैं!!
लेकिन आज वही SSC – लीक, चीटिंग, डिले, धांधली और सिस्टम फेलियर का दूसरा नाम बन चुका है!!
और स्टूडेंट्स का भरोसा – चूर-चूर हो रहा है!!
इन सबके खिलाफ स्टूडेंट्स का साथ देने वाले वो टीचर्स, जो कल तक स्टूडेंट्स के आइडल थे, आज जेल के अंदर हैं।
क्या यही सिस्टम का इंसाफ़ है?
आख़िर हो क्या रहा है SSC के सिस्टम में?
सरकार इस पर क्यों खामोश है?
क्या इस पूरे मसले की जड़ SSC का नया वेंडर "Eduquity Career Technologies" है?
हज़ारों स्टूडेंट्स का आरोप है कि इसी कंपनी के कारण exams में leaks, cancellation और mismanagement जैसे गंभीर मामले सामने आए हैं।
तो क्या students के इल्ज़ाम सही हैं?
या कहीं पर कोई और बड़ी साज़िश चल रही है?
इस ब्लॉग पोस्ट में हम इन्हीं सवालों की तह तक जाने की कोशिश कर रहे हैं। आज सिर्फ system पर सवाल उठाने का वक़्त नहीं, बल्कि उसे सुधारने की माँग करने का भी वक़्त है।
SSC का मतलब है: Staff Selection Commission।
यह एक सरकारी संस्था है जो अलग-अलग सरकारी नौकरियों के लिए एग्ज़ाम कंडक्ट करती है।
अगर किसी को सरकारी नौकरी चाहिए तो SSC हर साल कई पॉपुलर एग्ज़ाम्स लेता है –
जैसे CGL (Graduate वालों के लिए),
CHSL (12th पास वालों के लिए),
GD (Police Force के लिए),
और MTS (10th पास वालों के लिए)।
ये एग्ज़ाम्स क्लियर करने के बाद लोगों को सरकारी जॉब्स मिलती हैं – जैसे Clerk, Police, या Income Tax Officer आदि।
SSC की शुरुआत 4 नवम्बर 1975 को हुई थी।
उस समय इसका नाम था Subordinate Services Commission।
लेकिन 1977 में इसका नाम बदलकर Staff Selection Commission (SSC) रख दिया गया।
तब से लेकर आज तक SSC हर साल लाखों कैंडिडेट्स के लिए एग्ज़ाम्स कंडक्ट करता आ रहा है।
SSC का मकसद है:
देश के अलग-अलग सरकारी डिपार्टमेंट्स में Group B और Group C लेवल की जॉब्स (मतलब ऑफ़िसर या असिस्टेंट लेवल की पोस्ट्स) के लिए लोगों का सेलेक्शन करना।
आज SSC एक बड़े विवाद के बीच है, और ये मुद्दा पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
ये पूरा मामला शुरू हुआ 24 जुलाई से 1 अगस्त 2025 के बीच, जब SSC ने Phase-13 Selection Post Exams कंडक्ट करना शुरू किया।
लेकिन एग्ज़ाम के दौरान कई सीरियस प्रॉब्लम्स सामने आईं, जिनके बाद स्टूडेंट्स का सिस्टम से भरोसा ही उठ गया:
पेपर लीक:
कई स्टूडेंट्स का कहना है कि कुछ शिफ्ट्स के पेपर एग्ज़ाम से पहले ही लीक हो गए थे।
कई ग्रुप्स में क्वेश्चन्स शेयर हो रहे थे, जो एग्ज़ाम के असली पेपर से मैच करते थे।
गलत सेंटर एलोकेशन:
स्टूडेंट्स ने जो सेंटर प्रेफरेंस में भरे थे, उसकी जगह उन्हें 500-1000 किलोमीटर दूर भेजा गया।
एक जयपुर के स्टूडेंट को तो अंडमान का सेंटर मिला।
एग्ज़ाम कैंसलेशन:
पहला दिन, पहली शिफ्ट और कई सेंटर्स पर एग्ज़ाम कैंसिल!
स्टूडेंट्स सफर करके पहुँचे, पैसे खर्च किए, लेकिन वहाँ जाकर पता चला – “घर जाओ, एग्ज़ाम नहीं होगा!”
सिस्टम फ्रीज़:
कम्प्यूटर हैंग हो रहे थे, माउस और कीबोर्ड काम नहीं कर रहे थे।
सबका टाइम वेस्ट हुआ, और स्टूडेंट्स का ग़ुस्सा और बढ़ गया।
ज़ीरो ट्रांसपेरेंसी:
SSC ने ना तो क्लियर नोटिस दिया, ना ही ग्लिचेज़ या कैंसलेशन का प्रॉपर रीजन बताया।
पुअर मैनेजमेंट:
SSC के नए वेंडर Eduquity ने पूरा मिसमैनेजमेंट किया।
सेंटर्स पर कोई प्लानिंग नहीं थी, Invigilators क्लूलेस और अनप्रोफेशनल थे।
SC Phase-13 Selection Post Exam 2025 के दौरान जो हुआ, उसने देशभर के लाखों स्टूडेंट्स को झकझोर कर रख दिया। पेपर लीक, एग्जाम कैंसिलेशन, टेक्निकल गड़बड़ियां और खुलेआम मिसमैनेजमेंट — ये सब मिलकर छात्रों के भविष्य के साथ एक बड़ा मज़ाक बन गए।
जो छात्र सालों से मेहनत कर रहे थे, दिन-रात पढ़ाई में लगे थे, उन्होंने उम्मीद की थी कि ये परीक्षा उनका जीवन बदल सकती है। लेकिन सिस्टम की लापरवाही ने उन उम्मीदों को कुचल कर रख दिया।
सोशल मीडिया पर छात्रों का गुस्सा अब फूट पड़ा है। लगातार ये हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे हैं:
#SSCMisManagement #SSCSystemSudharo #JusticeForAspirants
1. नैशनवाइड प्रोटेस्ट और "चलो दिल्ली" आंदोलन:
31 जुलाई को दिल्ली के जंतर-मंतर पर हज़ारों स्टूडेंट्स और टीचर्स सड़क पर उतर आए।
सभी ने मिलकर “चलो दिल्ली” प्रोटेस्ट किया, जहाँ #SSCVendorFailure और #SSCMisManagement पर तीखे सवाल उठाए गए।
2. मेंटल और फाइनेंशियल स्ट्रेस:
स्टूडेंट्स ने दूर-दराज के सेंटर्स तक जाने में हज़ारों रुपए खर्च किए, पर एग्ज़ाम कैंसिल हो गया!
एक स्टूडेंट ने X पर लिखा:
“साल भर की मेहनत और पैसे दोनों गए, क्या ये टाइम और पैसे कोई वापस देगा?”
3. वेंडर पर सवाल:
स्टूडेंट्स का कहना है कि नया वेंडर Eduquity, जिसे SSC ने एग्ज़ाम का ठेका दिया, वो बिल्कुल बेकार है और पहले से ही ब्लैकलिस्टेड था।
“ऐसी कंपनी को इतना बड़ा एग्ज़ाम कैसे दे दिया? ये तो हमारे फ्यूचर के साथ खिलवाड़ है!”
4. सिस्टम में सुधार की माँग:
स्टूडेंट्स माँग कर रहे हैं कि SSC अपना खुद का सॉफ्टवेयर बनाए,
ट्रांसपेरेंट सेंटर एलोकेशन करे और इस नए वेंडर कॉन्ट्रैक्ट की पूरी जाँच हो।
5. आने वाले एग्ज़ाम का डर – SSC CGL 2025
SSC CGL 2025 की शुरुआत 13 अगस्त से होने जा रही है, लेकिन छात्रों के मन में डर पहले ही घर कर चुका है।Phase-13 Selection Post Exam में जो कुछ भी हुआ — paper leak, system failure, exam cancellation — उसने छात्रों का भरोसा हिला दिया है। अब जब CGL जैसा बड़ा exam करीब आ रहा है, जिसमें 30 लाख से ज़्यादा छात्र शामिल होंगे, तो चिंता और भी बढ़ गई है।
Eduquity एक बेंगलुरु-बेस्ड प्राइवेट एजेंसी है, जो साल 2000 में बनी थी।
ये अपनी वेबसाइट पर “Zero Failure Rate” का दावा करती है, लेकिन इसका ट्रैक रिकॉर्ड कंट्रोवर्सीज़ से भरा हुआ है:
2020: DGT (Directorate General of Training) ने Eduquity को “ineligible” डिक्लेयर किया था एग्ज़ाम्स कंडक्ट करने के लिए।
2022: MP TET (Teacher Eligibility Test) में पेपर लीक के आरोप लगे।
2023: MP Patwari एग्ज़ाम में डेटा मिसहैंडलिंग और टेक्निकल फेलियर्स की शिकायतें आईं।
फिर भी SSC ने 2025 में इस कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दे दिया!
स्टूडेंट्स सोशल मीडिया पर पूछ रहे हैं –
“क्या ब्लैकलिस्टेड कंपनी को एग्ज़ाम कॉन्ट्रैक्ट देना हमारे भविष्य के साथ एक स्कैम नहीं है?”
TCS यानी Tata Consultancy Services जिसने SSC के कई बड़े एग्ज़ाम्स (जैसे CGL, CHSL, MTS) को सालों तक सफलतापूर्वक कंडक्ट किया।
TCS के सिस्टम में पेपर लीक या ग्लिचेज़ जैसी समस्याएँ बेहद कम थीं।
स्टूडेंट्स और टीचर्स दोनों को TCS पर भरोसा था।
लेकिन SSC ने 2025 में TCS को हटा दिया क्योंकि:
Eduquity ने ₹220 per student का टेंडर दिया
जबकि TCS का ₹350 per student था।
यानि SSC ने क्वालिटी के बदले पैसे बचाने को महत्व दिया।
और ये कॉस्ट-कटिंग का नतीजा आज स्टूडेंट्स भुगत रहे हैं।
अब जो सबसे बड़ा डर है – वो है SSC CGL 2025, जो 13 अगस्त से शुरू हो रहा है।
स्टूडेंट्स डरे हुए हैं कि ये सारी गड़बड़ियाँ उस एग्ज़ाम में भी दोबारा ना हो जाएँ।
3 लाख स्टूडेंट्स वाले एग्ज़ाम में इतनी दिक्कतें आईं, तो 30 लाख स्टूडेंट्स वाले CGL एग्ज़ाम का क्या होगा?
मैं भी एक टीचर हूँ… और स्टूडेंट्स का दर्द दिल से महसूस कर रहा हूँ।
मेहनत करने वाले बच्चों का सपना अगर बेईमानी की वजह से टूटे, तो सिर्फ करियर नहीं, कॉन्फिडेंस भी टूट जाता है।
लेकिन मैं चाहता हूँ कि आप हार मत मानो, और खुद पर पूरा भरोसा रखो।
प्रोटेस्ट ज़रूरी है, लेकिन पीसफुली और बिना हिंसा के।
हमें सिस्टम पर प्रेशर बनाना है, लेकिन खुद को भी मेंटली स्ट्रॉन्ग रखना है।
हमें एक ट्रांसपेरेंट और फेयर सिस्टम चाहिए, जहाँ सिर्फ मेहनत का रिजल्ट मिले –
और हर Aspirant को भरोसा हो।
गलत वेंडर हो या बेकार सिस्टम – सच सामने लाना हमारा हक है।
आवाज़ उठाओ, क्योंकि सिस्टम को सुधारना ही पड़ेगा।
और ये बदलाव सिर्फ स्टूडेंट्स की आवाज़ की एकता से ही आएगा।
आपकी, मेरी और देश के उन करोड़ों स्टूडेंट्स की आवाज़, जिन्होंने अपनी पूरी जवानी इन एग्ज़ाम्स की तैयारी में लगाई है –
अब दबनी नहीं चाहिए…
हम सब मिलकर #JusticeForAspirants के लिए लड़ेंगे – और जीतेंगे!!!
SSC Phase-13 Exam 2025 ने लाखों छात्रों की मेहनत और सपनों को गहरी चोट पहुंचाई है। Paper leak, exam cancellation, technical glitches और poor management ने ये साबित कर दिया कि system में कहीं न कहीं बड़ी चूक है।
छात्रों का गुस्सा और मायूसी जायज़ है — वो सालों से मेहनत कर रहे हैं, coaching ले रहे हैं, माता-पिता की उम्मीदों का बोझ लेकर चल रहे हैं... और बदले में मिल रहा है सिर्फ़ system failure।
अब वक्त है कि SSC अपनी ज़िम्मेदारी निभाए और साफ़-सुथरे reforms करे। Transparency, accountability और vendor की पूरी जांच होनी चाहिए।
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Comment में अपनी राय दीजिए — क्या SSC को अपना vendor बदल देना चाहिए?
मिलते हैं अगले ब्लॉग में, एक नए मुद्दे, नए सोच और नए जोश के साथ।
तब तक के लिए —
जय हिंद, जय भारत
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