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NIOS Question Paper Oct 2024 SET B
HINDI (301)
Question 27-29
27. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो के उत्तर 50-60 शब्दों में लिखिए :
(i) 'संयुक्त परिवार' कविता के आधार पर लिखिए कि कवि अपने घर के लगी पर्ची को देखकर बेचैन क्यों हो उठता है? घर आए अतिथि बिना मिला लौट जाने पर आपकी क्या प्रतिक्रिया होती है?
उत्तर - कवि अपने घर के दरवाजे पर लगी पर्ची देखकर बेचेन हो उठता है क्योंकि यह आधुनिक समाज में संयुक्त परिवार के विघटन और आत्मीयता की कमी को दर्शाता है। अतिथि बिना मिले लौट जाता है, जो पारिवारिक संबंधों की ठंडक को दर्शाता है। यदि मेरे घर आए अतिथि बिना मिले लौट जाते, तो मुझे दुःख और ग्लानि होती। मैं प्रयास करता कि घर पर सभी का स्वागत हो और परिवार में प्रेम व अपनापन बना रहे।
(ii) 'क्या भूलूँ क्या याद करूँ मैं' कवि स्मृतियों के द्वंद्व से मुक्ति की कामना क्यों करता है?
उत्तर - कवि को अपनी यादों में सुखद और दुखद दोनों तरह के अनुभव दिखाई देते हैं, जिससे वह असमंजस में है कि क्या याद करे और क्या भूल जाए। कवि चाहता है कि वह इन यादों के बोझ से मुक्त हो जाए और एक नई शुरुआत करे, जहाँ वह केवल वर्तमान में जी सके। कवि अपनी यादों के साथ अकेला है, और इसलिए वह उनसे दूर होना चाहता है ताकि वह जीवन में आगे बढ़ सकें और एक नया जीवन जी सके।
(iii) 'परशुराम के उपदेश' कविता के संदर्भ में 'दिनकर 'जी की भाषागत विशेषताओं पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर - :‘परशुराम के उपदेश‘ कविता के संदर्भ में ‘दिनकर‘ जी की भाषागत विशेषताएँ निम्न है :
(क) वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा सँभालो
(ख) पीयूष चंद्रमाओं को पकड़ निचोड़ो
(ग) किरिचों पर अपने तन का चाम मढ़ो रे !
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28. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
जला अस्थियाँ बारी-बारी
चटकाई जिनमें चिंगारी,
जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर,
लिए बिना गर्दन का मोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।
जो अगणित लघु दीप हमारे
तूफानों में एक किनारे,
जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल
पीकर जिनकी लाल शिखाएँ
उगल रही सौ लपट दिशाएँ
जिनके सिंहनाद से सहमी,
धरती रही अभी तक डोल
कलम, आज उनकी जय बोल
अंधा, चकाचौध का मारा
क्या जाने इतिहास बेचारा
साखी हैं उनकी महिमा के,
सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल।
कलम, आज उनकी जय बोल।
(i) कलम से किनकी जय बोलने के लिए कहा जा रहा है? और क्यों?
उत्तर - कलम से स्वतंत्रता सेनानियों की जय बोलने के लिए कहा जा रहा है। क्योंकि उनके बलिदानों के कारण ही हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई है, और उनका संघर्ष हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है।
(ii) 'लिए बिना गर्दन का मोल' का क्या आशय है?
उत्तर - 'लिए बिना गर्दन का मोल' का आशय है कि उन्होंने बिना अपनी जान की परवाह किए हुए, , अपने प्राणों की आहुति दी।
(iii) स्वाधीनता सेनानियों के बलिदान के साक्षी कौन हैं? और कैसे?
उत्तर - स्वाधीनता सेनानियों के बलिदान के साक्षी इतिहास, सूर्य, चंद्र, भूगोल और खगोल हैं।
(iv) इतिहास को अंधा क्यों कहा है?
उत्तर - इतिहास को अंधा इसलिए कहा गया है क्योंकि वह कभी भी स्वाधीनता सेनानियों के बलिदान और संघर्ष को पूरी तरह से पहचान और सम्मान नहीं दे सका।
(v) स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति हमारा क्या कर्त्तव्य है?
उत्तर - हम उनके द्वारा दिए गए स्वतंत्रता के मूल्य और संघर्षों को हमेशा याद रखें और उसे संजोएं।
29. निम्नलिखित गद्यांश की व्याख्या कीजिए :
(i)
शिवालिक की सूखी नीरस पहाड़ियों पर मुस्कराते हुए ये वृक्ष द्वंद्वातीत हैं, अलमस्त हैं। मैं किसी का नाम नहीं जानता, कुल नहीं जानता, शील नहीं जानता, पर लगता है, ये जैसे मुझे अनादि काल से जानते हैं। इन्हीं में एक छोटा-सा बहुत ही ठिगना-पेड़ है, पत्ते चौड़े भी हैं, बड़े भी हैं। फूलों से ऐसा लदा है कि कुछ पूछिए नहीं।
उत्तर -
शिवालिक की सूखी ........... कुछ पूछिए नहीं।
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश प्रसिद्ध निबंधकार “आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी” द्वारा रचित निबंध ‘कुटज’ से अवतरित है। यह उद्धरण भारतीय दर्शन और प्रकृति की गहरी समझ को प्रकट करता है, जिसमें पेड़-पौधों की अद्वितीयता, उनके अस्तित्व और उनके साथ एक भावनात्मक जुड़ाव का बोध होता है।
व्याख्या : यहाँ लेखक शिवालिक की पहाड़ियों की सूनी, नीरस स्थिति का वर्णन कर रहे हैं। वे बताते हैं कि इन पहाड़ियों पर उगने वाले वृक्ष, जैसे कुटज, अपने स्वरूप में द्वंद्वातीत हैं—यानी वे किसी द्वंद्व या संघर्ष से बाहर, अलमस्त और स्वतंत्र हैं। वे इन वृक्षों से परिचित हैं, भले ही उनका नाम या अन्य किसी पहचान का ज्ञान न हो। यह एक गहरे आत्मिक जुड़ाव की भावना है, जैसे इन वृक्षों के साथ उनका संबंध अनादि (अनंत काल से) जुड़ा हुआ है। यहाँ कुटज के छोटे, ठिगने वृक्ष का वर्णन किया गया है, जिसके पत्ते चौड़े भी हैं व बड़े भी हैं और फूलों से पूरी तरह लदा हुआ है। यह वृक्ष एक अद्वितीय सुंदरता और जीवन की प्रचुरता का प्रतीक है।
विशेष-
अथवा
(ii)
शेक्सपियर के नाटकों में ट्रेजेडी ट्रेजेडी रहती है, कॉमेडी कॉमेडी। मगर वे शेक्सपियर को घर भूल आए थे। यहाँ आकर उन्होंने सीखा था, ट्रेजेडी को कॉमेडी में और कॉमेडी को ट्रेजेडी में बदलना। तभी तो वे फाँसी की सुबह तमाम कोठरियों के द्वार खोल देते थे, ताकि बाहरी सींखचो से कैदी देख सकें अपना भविष्य-फाँसी, आज़ादी की माँग करनेवालों का भविष्य-फाँसी।
उत्तर -
शेक्सपियर के नाटकों ........... का भविष्य-फाँसी।
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश श्रीकांत वर्मा द्वारा लिखित "अंडमान डायरी" से लिया गया है। प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ‘सेल्यूलर जेल’ के फाँसीघर के माहौल का चित्रण कर रहे हैं।
व्याख्या : लेखक प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से बताते है कि अंग्रेज़ों को अपनी सभ्यता और संस्कृति पर बहुत गर्व था। वे शेक्सपियर के साहित्य को महान मानते थे, लेकिन उनके खुद के काम उसके विपरीत थे। लेकिन भारत में उनकी क्रूरता और पाखंड सामने आया। वे शेक्सपियर के साहित्य में मानवता की बातें करते थे, लेकिन असल में अमानवीय थे। फाँसी से पहले कैदियों को धार्मिक किताबें पढ़ने और अंतिम इच्छा पूछने का दिखावा करते थे, लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों की आज़ादी की माँग पूरी नहीं की। लेखक व्यंग्य करते हुए यह दिखाते हैं कि अंग्रेज़ों ने भारत में न्याय और अन्याय का एक नया नियम बना दिया था, जहाँ वे अपनी क्रूरता को भी एक मज़ाक की तरह प्रस्तुत करते थे और भारतीयों की उम्मीदों और खुशियों को दर्द में बदल देते थे। वे शेक्सपियर की मानवता की बातें करते थे, लेकिन असल में बहुत ही बर्बर थे। उनके लिए भारत में त्रासदी और हास्य का अंतर खत्म हो गया था। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों की फाँसी को भी एक नाटक बना दिया था, जहाँ वे झूठी सहानुभूति और क्रूरता को साथ-साथ निभाते थे।
विशेष-
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